नई दिल्ली: विधि और न्याय तथा कॉरपोरेट मामलों के राज्य मंत्री श्री पी.पी. चौधरी ने आज यहां भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) के 16 पंजीकृत मूल्यांककों के पहले बैच को पंजीकरण प्रमाण पत्र प्रदान किए।
श्री चौधरी ने प्रमाण पत्र पाने वाले मूल्यांककों को बधाई देते हुए उनसे अपने व्यवहार पर ध्यान केन्द्रित करने और ऐसी छवि अर्जित करने का अनुरोध किया, जिससे वे समाज में लोगों का विश्वास प्राप्त कर सकें और हितधारकों में आत्मविश्वास पैदा कर सकें। उन्होंने कहा कि संकटग्रस्त परिसंपत्तियों के आंतरिक मूल्य को एक सक्षम और उत्तरदायी पेशेवर द्वारा निर्धारित किया जाना चाहिए।
श्री चौधरी ने कहा कि पंजीकृत मूल्यांककों के पेशे को नियंत्रित करने के लिए एक संस्थागत फ्रेमवर्क विकसित करने के लिए कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय और आईबीबीआई बधाई के पात्र हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि पंजीकृत मूल्यांककों को केवल कंपनी कानून 2013 और भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता कोड 2016 की सीमाओं के भीतर मूल्यांकन करने तक सीमित नहीं रहना चाहिए। वे चाहें तो इस संबंध में प्रासंगिक अन्य कानूनों के आधार पर भी मूल्यांकन का काम कर सकते हैं। सरकार ने दिवाला और शोधन अक्षमता कोड 2016 इसलिए बनाया, ताकि कारोबार को सुगम बनाया जा सके तथा संकटग्रस्त परिसंपत्तियों का निपटारा तय अवधि में सही तरीके से किया जा सके। उन्होंने कहा कि भूषण स्टील लिमिटेड इसका एक उदाहरण है।
आईबीबीआई के अध्यक्ष डॉ. एम.एस. साहू ने इस अवसर पर कहा कि विभिन्न तरह के व्यवसाय बाजार आधारित अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण हिस्से हैं। किसी देश की प्रतिस्पर्धा क्षमता उस देश के व्यवसायों की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। उन्होंने पंजीकृत मूल्यांककों की संस्था और पंजीकृत मूल्यांककों से गुणवत्ता तथा जवाबदेही युक्त मूल्यांकन सेवा प्रदान करने का अनुरोध किया।
इस अवसर पर कॉरपोरेट मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री के.वी.आर मूर्ति,आईबीबीआई के पूर्णकालिक सदस्य डॉ. नवरंग सैनी और डॉ. मुकुलिता विजयवर्गीय सहित आईबीबीआई के कई वरिष्ठ अधिकारी तथा पंजीकृत मूल्यांककों की संस्था के मुख्य कार्यकारी भी उपस्थित थे।