नई दिल्ली: राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद ने नई दिल्ली में भारतीय लागत लेखाकार संस्थान (आईसीएआई) के प्लैटिनम जयंती समारोहों का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि लागत लेखाकार प्रक्रियाओं-विशेष रूप से विनिर्माण-एवं पूंजीगत उपयोग में दक्षता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।
उन्होंने कहा कि जैसे जैसे वैश्विक विनिर्माण और विकसित होता जाएगा और मेक इन इंडिया कार्यक्रम के साथ आने वाले दशक में भारत परिपक्व होता जाएगा, लागत लेखाकार की भूमिका भी पहले से और अधिक बड़ी होती जाएगी।
महामहिम राष्ट्रपति ने कहा कि लागत लेखाकारों को सुनिश्चित करना चाहिए कि उत्पादों एवं सेवाओं की प्रदायगी प्रतिस्पर्धी कीमत पर हो लेकिन गुणवत्ता से समझौता न हो।
महामहिम राष्ट्रपति ने कहा कि लागत लेखाकारों को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि उत्पादन में बेकार की गतिविधियां और लागत खत्म हो जाए। लागत लेखाकारों को प्रक्रियाओं में नवोन्मेषण तथा बेहतरी लाने में मदद करनी चाहिए और वैसी लागतों में कमी लानी चाहिए जिनसे बचा जा सकता है।
महामहिम राष्ट्रपति ने कहा कि जैसे जैसे हमारी अर्थव्यवस्था बढ़ती जाएगी, उन्हें उम्मीद है कि लागत लेखाकारों की मांग भी तेजी से बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार एवं मंत्रालय तथा केंद्र सरकार के विभाग भी व्ययों एवं लागतों को युक्तिसंगत बनाने के लिए प्रयास कर रहे हैं।
भारतीय लागत लेखाकार संस्थान (आईसीएआई) के प्लैटिनम जयंती समारोहों में केंद्रीय कंपनी मामले एवं कानून तथा विधि राज्य मंत्री श्री पी पी चौधरी, वित मंत्रालय के आर्थिक मामले विभाग के सचिव श्री सुभाष चंद्र गर्ग तथा आईसीएआई के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया।
श्री चौधरी ने अपने संबोधन में कहा कि आईसीएआई ने पिछले 75 वर्षों में 74,000 लागत लेखाकार पैदा किए हैं जिसने इसे विश्व में दूसरा सबसे बड़ा एवं एशिया में सबसे बड़ा लागत लेखा निकाय बना दिया है। उन्होंने कहा कि भारत जैसी विश्व की सबसे तेज गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था में लागत लेखाकार अपरिहार्य हैं।