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लागत लेखाकारों की भूमिका अन्‍य महत्‍वपूर्ण क्षेत्रों में भी बढ़ी हैं: पी.पी. चौधरी

देश-विदेश

नई दिल्ली: पीयूष गोयल ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं और राजनीति में भारत की बढ़ती भूमिका इस तथ्य से स्पष्ट होती है कि भारत ने इस सप्‍ताह मुंबई में एशियाई बुनियादी ढांचा और निवेश बैंक शिखर सम्मेलन की मेजबानी की और अब हम दक्षिण एशियाई लेखाकार परिसंघ (एसएएफए) का अंतर्राष्ट्रीय सम्‍मेलन आयोजित कर रहे हैं। उन्‍होंने यह बात आज यहां भारतीय लागत लेखाकार संस्‍थान (आईसीएआई) द्वारा आयोजित दक्षिण एशियाई लेखाकार परिसंघ के अंतर्राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन 2018 को संबोधित करते हुए कही। उन्‍होंने कहा कि साहसी नए विश्‍व में आगामी चुनौतियों से निपटने के लिए एशियाई देशों को एक टीम के रूप में कार्य करने की आवश्‍यता है। लागत लेखा के तौर पर विश्‍व छोटा हो रहा है। लागत लेखा की प्रकृति पूर्णतया वैश्विक है।

लागत लेखा के महत्‍व को रेखांकित करते हुए श्री गोयल ने कहा कि इससे कंपनियों की स्‍थापना और शासन में महत्‍वपूर्ण सुधार किया जा सकता है, क्‍योंकि प्रतिस्‍पर्धा के लिए गुणवत्‍ता से समझौता किए बगैर लागत कम करना आवश्‍यक है। इसके लिए योजना बनाने और निरंतर माल की आपूर्ति करने की जरूरत है। जिस संगठन में लागत विश्‍लेषण न हो वह आज के चुनौती भरे विश्‍व में सफल नहीं हो सकता। दिन प्रतिदिन बदलते लागत परिदृश्‍यों से ये और अधिक चुनौतीपूर्ण हो गया है। श्री गोयल ने कहा कि विकास के लिए निरंतरता महत्‍वपूर्ण है और लागत को कम कर निरंतरता हासिल की जा सकती है। इसके अलावा लागत से निष्‍पक्ष प्रतिस्‍पर्धा सुनिश्चित की जा सकती है।

देश की आबादी और पैमाने को देखते हुए माल और सेवा कर (जीएसटी) कार्यान्‍वयन में चुनौ‍तियों के बारे में बताते हुए श्री गोयल ने कहा कि सरकार लागत को समझे बगैर यह कार्य नहीं कर सकती थी। सभी प्रकार के सुधारों के लिए लागत महत्‍वपूर्ण है।

इससे पहले केंद्रीय विधि और न्‍याय तथा कॉरपोरेट मामले राज्‍यमंत्री श्री पी.पी. चौधरी ने सम्‍मेलन का उद्घाटन किया। अपने उद्घाटन संबोधन में उन्‍होंने जनता के हित में लागत मानकों और तरीकों के बीच तालमेल बनाने का आग्रह किया। उन्‍होंने कहा कि इससे हमारी स्थिति मजबूत होती है और हम विकास की ओर अग्रसर होते हैं। श्री चौधरी ने कहा कि दक्षिण एशियाई लागत परिसंघ के सभी देश विकासशील अर्थव्‍यवस्‍थाएं हैं इसलिए हमें अपने सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी) को बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए, ताकि करोड़ों गरीबों को राहत मिल सके। यह तभी संभव है जब कारोबार प्रतिस्‍पर्धी और लेखाकार सुदृढ़ हो, क्‍योंकि कारोबार तभी तेजी से फलता फूलता है जब इसकी नींव मजबूत होती है। लेखाकारों की भूमिका केवल लेखाकार, ऑडिटर या कर विशेषज्ञ तक ही सीमित नहीं होती है, बल्कि कॉरपोरेट वित्‍त, निवेश बैंकिंग, कोष प्रबंधन, ऋण विश्‍लेषण, पूंजी बाजार, मध्‍यस्‍थता, जोखिम प्रबंधन, कारोबार का मूल्‍यांकन और दिवाला जैसे अन्‍य महत्‍वपूर्ण क्षेत्रों में भी उनका महत्‍व बढ़ा है।

सम्मेलन का विषय ‘भावी पेशेवर: 2018 और उससे आगे पर विचार’ है, विकास की राह में आने वाली पेशेवर चुनौतियों और अवसरों पर बल देता है। डिजीटीकरण की चुनौती ने पेशेवर सेवा क्षेत्र को अपनी आंतरिक संरचना के बारे में दोबारा सोचने को मजबूर किया और जिसके परिणामस्‍वरूप बढ़ते डिजी‍टीकरण के कारण सेवाओं की बेहतर आपूर्ति हुई है और अधिकतम लाभ मिला है। लेकिन यह भी सोचने की आवश्‍यकता है कि स्‍वचालन से रोजगार पर प्रभाव पड़ेगा और कुल मिलाकर कार्यबल की संरचना भी बदल रही है। डिजीटल युग की मांगों को पूरा करने के लिए केवल नई तकनीक लागू करने की बजाय सही अर्थों में डिजीटल करोबार में परिवर्तित होना आवश्‍यक है।

भारतीय लागत लेखाकार संस्‍थान (आईसीएआई) के बारे में

भारतीय लागत लेखाकार संस्‍थान (आईसीएआई) एक स्‍वायत्‍त निकाय है, जिसकी स्‍थापना संसद अधिनियम के अंतर्गत वर्ष 1959 में की गई थी।

दक्षिण एशियाई लेखाकार परिसंघ (एसएएफए) के बारे में

1984 में दक्षिण एशियाई लेखाकार परिसंघ (एसएएफए) का गठन किया गया था। इसका गठन दक्षिण एशियाई क्षेत्र में पेशेवर लेखाकारों की सहायता और लेखा जगत में उनके महत्‍व को कायम रखने के उद्देश्‍य से किया गया था। एसएएफए सार्क का शीर्ष निकाय है।

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