लखनऊ: प्रदेश में मानसून के मौसम में उद्यान विभाग ने बागवान भाईयों को नये बाग रोपित करने की सलाह दी है। अगस्त माह में मानसून के सक्रिय रहने के कारण वातावरण में नमी रहती है, इसी कारण इस समय रोपित पौधे आसानी से लग जाते हैं तथा जीवितता अधिकतम रहती है, इसलिए यह माह नए फलदार पौधों के रोपण का उचित समय होता है।
आम एवं लीची का नया बाग लगाने के लिए 10 गुणे 10 मीटर की दूरी पर तथा अमरूद, आवंला, बेल के लिए 6 गुणे 6 मीटर की दूरी पर रेखांकन कर 75-100 सेमी0 (लम्बाई, चैड़ाई एवं गहराई) आकार के गड्ढे खोदकर प्रति गड़्ढा 50-60 कि0ग्रा0 कमपोस्ट गोबर की सड़ी खाद एवं इसके साथ-साथ 500 ग्राम नीम की खली अथवा 50 ग्राम कीटनाशक पाउडर मिट्टी में मिलाकर गड्ढों में भरंे तथा बारिश हो जाने पर गड्ढों में मिट्टी बैठ जाने के बाद चयनित फलदार पौधों को रोपित करें। रोपाई के तुरन्त बाद पौधों की सिंचाई किया जाना आवश्यक है। बारिश नहीं होने की दशा में रोपाई के एक माह तक 3-4 दिन के अंतराल पर तथा बाद में 10-15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करते रहें।
प्रदेश के उद्यान विभाग द्वारा खरीफ मौसम/वर्षाकाल में वर्ष 2015-16 के समस्त जनपदों में कलमी, फलदार, बीजू तथा शोभाकार पौधों के नवीन उद्यान रोपण कार्यक्रम के अंतर्गत कृषकों द्वारा बिना अनुदान के विभाग से तकनीकी परामर्श प्राप्त उद्यान रोपण कराया जाता है, जिसके लिए रोपण सामग्री की व्यवस्था कृषक द्वारा स्वयं निजी क्षेत्र से अथवा विभागीय राजकीय पौधशालाओं से की जा सकती है।
उद्यान निदेशालय, लखनऊ से प्रदेश के विभागीय जनपदीय/मण्डलीय अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि नवीन उद्यान रोपण हेतु प्रसंस्करण योग्य प्रजातियों, परागणीय प्रजातियों तथा नवीनतम प्रजातियों की रोपण सामग्री की व्यवस्था सुनिश्चित कराई जाए, साथ ही गौण फलों तथ जामुन, बेल, बेर, फालसा, खिरनी, कटहल, अनार, पपीता एवं लसौढ़ा आदि को भी प्रोत्साहित किया जाए। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2015-16 में प्रदेश में विभाग द्वारा अनुदान रहित नवीन उद्यान रोपण कार्यक्रम 63,100 है0 क्षेत्रफल के अंतर्गत 63.10 लाख फलदार पौधों के वितरण के लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इन लक्ष्यों का निर्धारण जनपद विशेष के क्षेत्र विस्तार की सम्भावनाओं, विभागीय राजकीय पौधशालाओं पर बिक्री योग्य रोपण सामग्री की उपलब्धता तथा गत वर्ष अर्जित उपलब्धियों के आधार पर किया गया है।