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साजिश के तहत जनता की मूलभूत समस्याओं से ध्यान बँटाने की कोशिशें हो रही है: राजेन्द्र चौधरी

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि भाजपा और बसपा ने इन दिनों सम्मिलित रुप से उत्तर प्रदेश को बदनाम करने का अभियान चला रखा है। किसी साजिश के तहत जनता की मूलभूत समस्याओं से ध्यान बँटाने की कोशिशें हो रही है। ऐसा लगता है कि अब सामाजिक-नैतिक मूल्यों को भी तिलांजलि देने में भाजपा-बसपा नेताओं को संकोच नही हो रहा है। राजनीति में इतनी गिरावट पहले कभी नही देखी गई।
बुलन्दशहर की दुर्भाग्यपूर्ण घटना को लेकर दिल्ली में भाजपा-बसपा ने आज जो बयानबाजी की है वह मानवीय संवेदना के साथ खिलवाड़ है। पीड़ित पक्ष के प्रति सहानुभूति जताने और उनकी पीड़ा में सहभागी बनने के बजाय भाजपा-बसपा ने अपने राजनीतिक स्वार्थ साधन में मानवता को ही लांछित करने का काम किया है। भाजपा को प्रदेश सरकार की आलोचना से पहले उ0प्र0 में ही राज्यपाल श्री रामनाईक द्वारा बुलन्दशहर कांड में त्वरित कार्यवाही के लिए मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव की प्रशंसा को पढ़ लेना चाहिए था।
बसपा प्रमुख तो समाजवादी सरकार बनने के पहले दिन से ही इसकी खिलाफत में हैं। वे तो 15 मार्च,2012 से ही राष्ट्रपति राज की असंवैधानिक बात करने लग गई थी। जबसे जनता ने उन्हें सत्ता से बाहर किया है वे समाजवादी सरकार के विरोध में झण्डा उठाये हुए है। उनके जमाने की जितनी घटनांए घटी उसमें उनके ही दल के मंत्री-विधायक शामिल पाए गए थे।
भाजपा को उत्तर प्रदेश की घटनाओं पर उंगली उठाने के पहले राजधानी दिल्ली की दुर्दशा पर गौर कर लेना चाहिए था। दिल्ली में उत्तर प्रदेश से 10 गुना से भी ज्यादा अपराध की घटनांए घट रही है। केन्द्र की भाजपा सरकार के दो वर्ष के कार्यकाल में ही जन सामान्य मंहगाई, भ्रष्टाचार और बेकारी का दंश झेलने को मजबूर है। ट्रैफिक जैसी समस्या का भी समाधान नही होने से भीषण जाम की स्थिति है। दिल्ली में बैठकर अनर्गल बयानबाजी करने से पहले भाजपा को अपनी नाकामी पर ध्यान देना चाहिए और दिल्ली में लगातार खराब कानून व्यवस्था के लिए केन्द्र सरकार से इस्तीफा मांगना चाहिए।
भाजपा-बसपा को उत्तर प्रदेश विधानसभा के आगामी चुनावों में होने वाली अपनी दयनीय स्थिति का अंदाजा है। ये दल राजनीति के लिए बुलन्दशहर की घटना की आड़ में घिनौनी राजनीति करने में अंधे हो गए हैं। लोकतंत्र में विपक्ष की यह भूमिका पूर्णतया असंगत और अनैतिक है। राजनीति में मूल्यों का ऐसा क्षरण खतरनाक है। जनता उनकी चालों को बखूबी समझ रही है।

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