नई दिल्ली: राज्यसभा में शुक्रवार का दिन ऐतिहासिक साबित हुआ, जब करीब 44 साल बाद किसी प्राइवेट मेंबर की ओर से पेश बिल सर्वसम्मति से पास किया गया।
यह ट्रांसजेंडर्स के अधिकारों के संरक्षण के बारे में है। इसे अब लोकसभा में पेश किया जाएगा। इससे पहले 1970 में संसद में किसी प्राइवेट बिल को पास किया गया था।
ताजा बिल को डीएमके के सांसद तिरुचि शिवा ने पिछले साल 12 दिसंबर को पेश किया था। बिल पर बहस के दौरान कुछ तल्खी भी हुई, जब सामाजिक न्याय मंत्री थावर चंद गहलौत ने कहा कि सरकार इस मामले में विस्तृत बिल लाएगी। अभी कई मसलों को सुलझाने के लिए मंत्रालयों के बीच विचार-विमर्श जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार से इस मसले पर स्पष्टीकरण मांगा है।
शिवा ने इसका विरोध किया और वोटिंग की मांग कर दी। कांग्रेस ने शिवा का समर्थन किया। शिवा अपने रुख पर डटे रहे। बाद में वित्त मंत्री और सदन के नेता अरुण जेटली ने कहा कि इस बिल का विरोध उचित नहीं होगा।सदन को ट्रांसजेंडर्स के अधिकारों के मामले में विभाजित नहीं दिखना चाहिए। इसके बाद बिल को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।