हरिद्वार: पतंजलि विश्वविद्यालय को रविवार को योग गुरु पतंजलि के बाबा रामदेव जी की शुभ उपस्थिति में हार्टफुलनेस ध्यान के आध्यात्मिक मार्गदर्शक, संस्थापक – हार्टफुलनेस एजुकेशन ट्रस्ट एवं पद्म भूषण से सम्मानित दाजी द्वारा एक वार्ता और ध्यान सत्र की मेजबानी करने का दुर्लभ अवसर मिला। इस कार्यक्रम में पतंजलि आयुर्वेद के एमडी और सीईओ आचार्य बालकृष्ण जी और उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री श्री धन सिंह राव जी भी मौजूद थे। यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय के सभागार में आयोजित किया गया और इसमें पतंजलि फाउंडेशन के छात्रों और संकाय शोधकर्ताओं ने भाग लिया। श्रद्धेय दाजी के व्याख्यान के बाद दाजी द्वारा निर्देशित हार्टफुलनेस सफाई और ध्यान सत्र का आयोजन किया गया।
यह कार्यक्रम प्रतिभागियों को हार्टफुलनेस ध्यान योग के संपर्क में आने तथा चेतना के विकास और आध्यात्मिकता पर श्रद्धेय दाजी का मार्गदर्शन प्राप्त करने में सक्षम बनाने के लिए आयोजित किया गया था। श्रद्धेय दाजी ने कहा, “आयुर्वेद काम करता है, लेकिन पश्चिमी दुनिया को इसे प्रमाणों के साथ दिखाने के लिए हमें वैज्ञानिक आंकड़ों की आवश्यकता है, जो आप कर रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा, “आत्मा के पोषण के लिए हम क्या करते हैं? प्राणस्य प्राणः। आत्मा का पोषण ईश्वर से मिलता है। जीवन की छोटी-छोटी चीजों से लेकर हम जो कुछ भी करते हैं, उसमें पूर्णता और संतुष्टि प्राप्त करना और सब कुछ करते हुए ईश्वर की याद बनाए रखना हमें उससे जुड़े रहने में मदद करता है। योग जीवन में सब कुछ सही और सकारात्मक कर देता है। अनुभव के बिना, हमारी मान्यताएँ उथली हो जाती हैं। मानव जीवन का उद्देश्य प्रगति करना (चेतना को विकसित करना) है। आत्मा पर पड़ी छापों को हटाने पर ही चेतना अच्छी तरह से आगे बढ़ती है। मानव शरीर विकसित नहीं होता है। यह केवल उम्रदराज़ होता है। इसलिए हमें अपनी चेतना, मन और आत्मा को देवत्व की ओर अग्रसर करने के लिए योग की आवश्यकता है। ध्यान को सहज और सुखमय बनाएँ, नहीं तो वह बोझ बन जाएगा। साधना का अभ्यास इस तरह करें कि दूसरे आपसे ईर्ष्या करें। अपनी बुद्धि को सोचने से महसूस करने तक – अंतर्ज्ञान से ज्ञान तक ले जाएँ। मेरी इच्छा है कि आप सभी उच्चतम अवस्था को प्राप्त करें और भगवान स्वयं को आपके सामने प्रकट करें।“
योग गुरु बाबा रामदेव जी ने कहा, “आज पूज्य दाजी ने हमें अपना आशीर्वाद और मार्गदर्शन दिया है। हमारे व्यवसाय, कार्य और सांसारिक जीवन का अपना स्थान है। लेकिन ध्यान और आत्मा जीवन की सच्चाई हैं। दाजी ने हमें इस संतुलन को प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया है।”
आचार्य बालकृष्ण जी ने आगे कहा, “जब एक संतति सन्यासी बन जाता है, तो वह 21 पीढ़ियों के उद्धार में मदद करता है। लेकिन जब एक सन्यासी दिव्य हो जाता है, तो वह सारे संसार के उद्धार के लिए आता है। हम यह हमेशा याद रखेंगे कि हमें पूज्य दाजी के सुनहरे शब्दों को सुनने का सौभाग्य मिला था। आज दाजी की अत्यधिक श्रद्धेय और दिव्य उपस्थिति हमारे साथ है। हम दाजी का अनुसरण करने के बारे में सोचते हैं, लेकिन जब तक उन चुनौतियों पर, जिनका उन्होंने भी सामना किया होगा, काबू नहीं कर पाते हमारे लिए रास्ता खुलना शुरू नहीं होता। दृढ़ निश्चय करने वाले मार्ग की ठोकरें खाने के बाद सोने की तरह निखर जाते हैं।”
श्री धन सिंह राव जी – शिक्षा मंत्री, उत्तराखंड ने कहा, “आज यहाँ पूज्य दाजी और बाबा रामदेव जी जैसे महानायक एक साथ हैं। इस मौके पर हम इससे बेहतर और क्या चाह सकते थे। आयुर्वेद एक प्राचीन विज्ञान है जो हमें हमारे ऋषियों द्वारा दिया गया है। हमें गर्व होना चाहिए कि हार्टफुलनेस संस्थान और पतंजलि योगपीठ जैसी संस्थाओं ने हमारे पारंपरिक ज्ञान को वैज्ञानिक समर्थन के साथ दुनिया के बाकी हिस्सों में पहुँचाया है,”
उत्तराखंड पहुँचने के पहले श्रद्धेय दाजी भारत की राष्ट्रपति माननीया श्रीमती द्रौपदी मुर्मू द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किए जाने के क्रम में दिल्ली प्रवास पर थे। जिसके बाद भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद में उनका अभिनंदन किया गया। दिल्ली की अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान का भी दौरा किया, जहाँ उन्होंने न केवल वैज्ञानिक समुदाय के नेताओं और अधिकारियों से मुलाकात की, बल्कि उनकी यात्रा के कारण हार्टफुलनेस और एम्स के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी हुए।
हार्टफुलनेस के बारे में: हार्टफुलनेस, ध्यान के अभ्यासों और जीवन शैली में बदलाव का एक सरल संग्रह प्रदान करता है। इसकी उत्पत्ति बीसवीं शताब्दी के आरम्भ में हुई और भारत में 1945 में श्री राम चंद्र मिशन की स्थापना के साथ इसे औपचारिक रूप दिया गया, जिसका उद्देश्य था एक एक करके हर हृदय में शांति, ख़ुशी और बुद्धिमत्ता लाना। ये अभ्यास योग का एक आधुनिक रूप हैं जिनकी रचना एक उद्देश्यपूर्ण जीवन की दिशा में पहले कदम के रूप में संतोष, आंतरिक शांति और स्थिरता, करुणा, साहस और विचारों में स्पष्टता लाने के लिए की गई है। वे सरल और आसानी से अपनाए जाने योग्य हैं और जीवन के सभी क्षेत्रों, संस्कृतियों, धार्मिक विश्वासों और आर्थिक स्थितियों के लोगों के लिए उपयुक्त हैं, जिनकी उम्र पंद्रह वर्ष से अधिक है। हार्टफुलनेस अभ्यासों में प्रशिक्षण हजारों स्कूलों और कॉलेजों में चल रहा है, और 100,000 से अधिक पेशेवर दुनिया भर में कॉर्पोरेट निगमों, गैर-सरकारी और सरकारी निकायों में ध्यान कर रहे हैं। 160 देशों में 5,000 से अधिक हार्टफुलनेस केंद्रों का हजारों प्रमाणित स्वयंसेवी प्रशिक्षकों और लाखों अभ्यास करने वालों द्वारा संचालन किया जाता है।