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अभियान के तहत छात्रों को पेटेंट प्रणाली और प्रौद्योगिकी के बारे में जानकारी दी जाएगी: ‘निशंक’

देश-विदेश

केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने पूर्व राष्ट्रपति और जाने माने वैज्ञानिक स्वर्गीय डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की 89वीं जयंती पर बौद्धिक संपदा साक्षरता और जागरूकता अभियान ‘कपिला’ कलाम का आज शुभारंभ किया। इस अवसर पर शिक्षा राज्य मंत्री श्री संजय धोत्रे, उच्च शिक्षा सचिव श्री अमित खरे, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल सहस्रबुद्धे, उपाध्यक्ष डॉ. एम. पी. पूनिया और सदस्य सचिव डॉ. राजीव कुमार भी उपस्थित थे।

श्री निशंक ने इस अवसर पर कहा कि देश को आत्मनिर्भर बनाए रखने के लिए आविष्कार करने के साथ साथ इनका पेटेंट भी आवश्यक है। उन्होंने कहा “भारत में नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालयों का एक गौरवशाली इतिहास रहा है, इसलिए हमारे पास पहले से ही हमारी संस्कृति के भीतर विरासत में मिली बौद्धिक संपदा है।” उन्होंने कहा कि भारत को बौद्धिक संपदा के क्षेत्र में विश्वगुरु के रूप में दुनिया का नेतृत्व करना है। अभियान के तहत ‘राष्ट्रीय नवाचार दिवस’ पर, भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में यह महत्वपूर्ण पहल की गई है। अभियान के तहत उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों को अपने आविष्कार को पेटेंट कराने के लिए आवेदन प्रक्रिया की सही जानकारी मिलेगी और वे अपने अधिकारों के बारे में जागरूक होंगे। उन्होंने आगे कहा कि पेटेंट के क्षेत्र में एक बड़ी छलांग लगाने की आवश्यकता है।

केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि बौद्धिक संपदा के क्षेत्र में उपलब्ध पर्याप्त संसाधनों का लाभ उठाने के लिए सबको मिशन मोड में काम करना होगा। उन्होंने युवाओं से अपने आविष्कारों के साथ आगे आने की अपील करते हुए कहा कि देश में पर्याप्त प्रतिभाएं मौजूद हैं जिनके शोध और नवाचार कार्यों को पेटेंट की दिशा में ले जाने की आवश्यकता है। इसके लिए अधिक से अधिक छात्रों को पेटेंट की प्रक्रिया के बारे में जानकारी देने और इसके लिए प्रोत्साहित करने के लिए कॉलेजों और संस्थानों में सुविधांए दी जाएंगी। उन्होंने भारतीय छात्रों से 21वीं सदी के ‘न्यू इंडिया’ में अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए देश में रहने और अध्ययन करने का आग्रह किया।

नवाचार संस्थान परिषद (आईआईसी 2.0) की वार्षिक प्रदर्शन रिपोर्ट इस अवसर पर प्रस्तुत की गई और आईआईसी 3.0 की शुरुआत करने की घोषणा की गई। इसके साथ ही 15 से 23 अक्टूबर के सप्ताह को ‘बौद्धिक संपदा साक्षरता सप्ताह’ के रूप में मनाने का भी निर्णय लिया गया। इस अवसर पर आईआईसी 3.0 की वेबसाइट का भी शुभारंभ किया गया।

श्री संजय धोत्रे ने कहा कि नवाचार संस्थान परिषद् की स्थापना शिक्षा मंत्रालय द्वारा 2018 में की गई थी। अब तक लगभग 1700 उच्च शिक्षण संस्थानों में इसकी शाखाएं खोली जा चुकी हैं। आईआईसी 3.0 के तहत 5000 उच्च शिक्षण संस्थानों में आईआईसी बनाई जाएगी। भारत को 5 ट्रिलियन वाली अर्थव्यवस्था बनाने के लिए सभी को अपनी बौद्धिक संपदा की रक्षा के लिए अधिक जागरूक होना होगा। उन्होंने कहा कि अनुसंधान और विकास में लगे भारत के शोध छात्रों और वैज्ञानिकों को अपने आविष्कारों के संरक्षण और सुरक्षा के लिए पेटेंट का आवेदन करना चाहिए।

श्री धोत्रे ने बताया कि बौद्धिक संपदा साक्षरता सप्ताह के तहत, 15 अक्टूबर से 23 अक्टूबर तक कई गतिविधियां आयोजित की जाएंगी, जिसमें पेटेंट और उसके लिए आवेदन करने की प्रक्रिया के महत्व के बारे में ऑनलाइन जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी। पेटेंट के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए वाद-विवाद प्रतियोगिता, पोस्टर प्रतियोगिता, क्विज़ और सामुदायिक बैठकें भी आयोजित की जाएंगी। श्री धोत्र ने उम्मीद जताई कि शिक्षा मंत्रालय का यह मिशन भारत के उच्च शिक्षा बुनियादी ढांचे में उद्यमिता और स्टार्टअप को बढ़ावा देगा।

उच्च शिक्षा सचिव श्री खरे ने अपने संबोधन में कहा कि देश के उच्च शिक्षा संस्थानों में छात्र अपने शिक्षकों के मार्गदर्शन में निरंतर नवाचार कर रहे हैं लेकिन वे इन्हें पेटेंट कराने की व्यवस्था से भलि भांति अवगत नहीं हैं। आज जो अभियान शुरु किया गया है उससे छात्र अपने नवाचारों का पेटेंट करा सकेंगे और अपनी नई खोजों से पूरा लाभ प्राप्त कर पाएंगे।

पेटेंट्स, डिज़ाइन और ट्रेडमार्क महानियंत्रक जनरल श्री ओ. पी. गुप्ता ने कहा “देश अपने आविष्कारों से तभी लाभान्वित हो सकता है जब देश के शोधकर्ता और आविष्कारक पेटेंट कराने के उचित तरीके से अवगत हों। यह अभियान छात्रों में पेटेंट के लिए आवेदन दाखिल करने के लिए जागरुकता लाएगा।

शिक्षा मंत्रालय के नवाचार प्रकोष्ठ के मुख्य नवप्रवर्तन अधिकारी डॉ. अभय जेरे ने उद्घाटन समारोह में बौद्धिक संपदा शिक्षा अभियान पर एक प्रस्तुति दी। उन्होंने भारत में बौद्धिक संपदा के संरक्षण के लिए आवेदन की वर्तमान स्थिति तथा इस दिशा में देश को आगे ले जाने के बारे में सरकार का नजरिया साझा किया। प्रकोष्ठ के निदेशक डॉ. मोहित गंभीर ने आईआईसी 2.0 की उपलब्धियों पर वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की।

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