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हर माह होगी एमएसएमई इकाइयों के लम्बित प्रकरणों की समीक्षा: डा0 नवनीत सहगल

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: अपर मुख्य सचिव, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम श्री नवनीत सहगल ने कहा कि प्रदेश की सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम इकाइयों के लम्बित प्रकरणों का निस्तारण तत्काल सुनिश्चित किया जाये। उन्होंने कहा कि एमएसएमई इकाइयां रोजगार और निवेश में प्रमुख सहायक है, इनको आगे बढ़ाना राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
अपर मुख्य सचिन ने यह निर्देश आज लोक भवन में एमएसएमई साथी पोर्टल पर इकाइयों के लम्बित प्रकरणों की समीक्षा करते हुए दिए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक माह पोर्टल की नियमित समीक्षा की जायेगी और लापरवाही मिलने पर सख्त कार्रवाई भी होगी। उन्होंने सख्त निर्देश दिए कि मासिक समीक्षा बैठक में अधिकारियों को बताना होगा कि उन्होंने एमएसएमई साथी पोर्टल पर आये कितने मामलों को निस्तारित किया है। साथ ही यह भी बताना होगा कि उनके द्वारा जनपद में कितने स्टार्ट-अप को प्रामोट किया गया है। इसी आधार पर जनपदों के अधिकारियों की वार्षिक प्रविष्टि निर्धारित होगी।
श्री सहगल ने कहा कि सभी जिला उद्योग अधिकारी अपने को-कनवीनियर होने के कर्तव्य को पूरी तरह निभायें। जनपदों में स्टार्ट-अप को हैण्डहोल्ड करें। पोर्टल अथवा ऑफलाइन इकाइयों/उद्यमियों से प्राप्त होने वाले प्रस्तावों व प्रकरणों को तत्काल जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित कमेंटी की समक्ष प्रस्तुत किया जाये। उन्होंने समीक्षा के दौरान पाया कि 75 जिलों में पंचायती राज, श्रम, वन विभागों के स्तर पर एमएसमई के 38 मामले लम्बित है। उन्होंने संबंधित विभागों के अधिकारियों से तत्काल इन मामलों के निस्तारण की अपेक्षा की।
अपर मुख्य सचिव ने निर्देश दिए पारंपरिक कारीगरों को बढ़ावा देने के लिए हर जिले में एक-एक ओडीओपी मेले का आयोजन किया जाये। विशिष्ट अवसरों पर आयोजित होने वाले मेले व प्रदशर्नियों में भी ओडीओपी उत्पादों के स्टाल अवश्य लगाये जाये। अपर मुख्य सचिव ने ई-आफिस की समीक्षा करते हुए निर्देश दिये कि सभी जिलों में कम्प्यूटर और हार्डवेयर तत्काल उपलब्ध करा दिया जायें और 30 सितम्बर तक जनपद एवं मुख्यालय की सभी फाइलें ऑन-लाइन हो जानी चाहिए। आगामी 02 अक्टूबर गांधी जयंती के अवसर पर इसका शुभारंभ किया जायेगा।
बैठक में विशेष सचिव एमएसएमई, प्रशांत शर्मा तथा प्रदीप कुमार, संयुक्त आयुक्त सुनील सहित वरिष्ठ विभागीय अधिकारी उपस्थित थे एवं पंचायती राज, श्रम विभाग, वन विभाग तथा सभी जिलों के जिला उद्योग अधिकारी ऑनलाइन जुड़े थे।

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