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बेगम परवीन सुल्ताना की भारतीय हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत कि प्रस्तुति से झूमे विरासत के लोग

उत्तराखंड

देहरादून: विरासत आर्ट एंड हेरिटेज फेस्टिवल 2022 के नौवें दिन की शुरुआत डॉ. बी. आर. अंबेडकर स्टेडियम (कौलागढ़ रोड) देहरादून में आर्ट एंड क्राफ्ट कार्यशाला के साथ हुआ। इस वर्कशॉप में देहरादून के 5 स्कूलों के लगभग 98 छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया। इस कार्यशाला के अंतर्गत छात्र-छात्राओं ने शिल्पकार मास्टर के साथ मिलकर विभिन्न प्रकार के कला और आर्ट बनाने का प्रशिक्षण लिया। इस कार्यशाला में पेबल आर्ट, चॉकलेट मेकिंग, टाई एंड डाई, मिट्टी के बर्तन बनाना, जुट की गुड़िया बनाना, गुब्बारे पर कलाकृतियां उकेरना, फेस आर्ट, मंडना ब्लॉक प्रिंटिंग एवं पतंग बनाने जैसे कला शामिल थी।

सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ एवं अमर्त्य चटर्जी घोष द्वारा कथक नृत्य प्रस्तुत किया गया। जिसमे पहली प्रस्तुति ओम नमः शिवाय, आमद और प्राण फिर ’यात्रा तीन ताल में’, उसके बाद कि प्रस्तुति पंडित बिरजू महाराज जी के याद में की गई एवं उनकी आखिरी प्रस्तुति कत्थक सूफी संगीत ऐरी सखी  मोरे पिया घर  आयो पर दी गई। इनके संगत में तबला पर आशीष मिश्रा, सितार पर विशाल मिश्रा एवं वोकल में जाकिर अहमद रहे। बताते चले कि अमर्त्य चटर्जी घोष संजोग एकेडमी ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स में कलात्मक निदेशक के साथ-साथ एक शिक्षक, कोरियोग्राफर एवं एक रिसर्च स्कॉलर और मास कम्युनिकेशन की लेक्चरर भी हैं। वे डांस कम्युनिकेशन पर शोध भी करती है।

सांस्कृतिक कार्यक्रम के अन्य प्रस्तुतियों में बेगम परवीन सुल्ताना द्वारा भारतीय हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत प्रस्तुत किया गया। उन्होंने कार्यक्रम में अपने गायन की शुरूआत राग मारू बिहाग विलाम्बित ख्याल और द्रुत ख्याल से की उसके बाद उन्होंने मिरा बाई के भजन गया,फिर उन्होंने ’हमें तुमसे प्यार कितान’ फिल्म कुदरत का गाना गया जिसके लिए उन्हें राष्ट्रीय सर्वश्रेष्ठ गायक पुरस्कार मिला था। बेगम परवीन सुल्ताना पटियाला घराने गायिका हैं और वे परवीन जी असाम से आती है।

उन्हें 2014 में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण और 1998 में संगीत नाटक अकादमी द्वारा संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार मिला है एवं उन्हें विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठित पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया हैं।

सुल्ताना के पिता इकरामुल मजीद ने 4 साल की उम्र से ही उन्हें संगीत सिखाना शुरू कर दिया था। वे जनाब मजीद  बांग्लादेश के संगीतकार गुल मोहम्मद खान के शिष्य थे जो पटियाला घराने के गायक थे। परवीन जी ने अपनी पहली प्रस्तुति 12 साल की उम्र  में दी थी । उनके कई  रिकॉर्ड  हमें सुनने मिलते हैं। विभिन्न फिल्मों में भी उन्होंने शास्त्रीय गायन किया है।

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