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पेट्रोल, डीजल की बढ़ती कीमतों से जल्‍द मिलेगी राहत, इसी हफ्ते सरकार राहत के लिए उठा सकती है कदम

देश-विदेश

नई दिल्ली: पेट्रोल, डीजल की बढ़ती कीमतों से आम आदमी को राहत पहुंचाने के लिए सरकार इसी हफ्ते कोई कदम उठा सकती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की लगातार बढ़ती कीमतों की वजह से देश में पेट्रोल, डीजल के दाम रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुके हैं। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए कहा कि सरकार इस मामले में केवल उत्पाद शुल्क कटौती पर ही निर्भर नहीं करेगी बल्कि कुछ और कदम भी उठा सकती है। पेट्रोल, डीजल के दाम में उत्पाद शुल्क का हिस्सा मात्र एक चौथाई ही है। हालांकि, अधिकारी ने इस बारे में विस्तार से कुछ नहीं बताया।

अधिकारी ने कहा कि ईंधनों के बढ़ते दाम सरकार के लिए संकट वाली स्थिति है। इस मामले में कुछ दूसरे उपायों को भी शामिल करना होगा। वित्त मंत्रालय इस संबंध में पेट्रोलियम मंत्रालय के साथ विचार-विमर्श कर रहा है। पेट्रोलियम कंपनियों ने पिछले एक सप्ताह के दौरान पेट्रोल, डीजल के दाम में अंतरराष्ट्रीय बाजार के बढ़ते दाम के मुताबिक वृद्धि की है। इस वृद्धि से दिल्ली में पेट्रोल 76.87 रुपए और डीजल का दाम 68.08 रुपए लीटर तक पहुंच गया। पिछले नौ दिन में पेट्रोल का दाम 2.24 रुपए और डीजल का दाम 2.15 रुपए लीटर बढ़ चुका है।

इससे पहले कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान 19 दिन तक तेल कंपनियों ने पेट्रोल, डीजल के दाम में रोजाना होने वाला फेरबदल नहीं किया था। अधिकारी ने हालांकि, उन कदमों के बारे में बताने से इनकार किया जिनपर सरकार विचार कर रही है। अधिकारी ने कहा कि सरकार को कोई भी कदम उठाते समय अपने वित्तीय गणित को ध्यान में रखना होगा। बढ़ते तेल मूल्यों की समस्या से निपटने के लिए कुछ कदम इसी सप्ताह उठाए जा सकते हैं।

केंद्र सरकार पेट्रोल पर 19.48 रुपए प्रति लीटर उत्पाद शुल्क लगाती है जबकि डीजल पर 15.33 रुपए लीटर की दर से उत्पाद शुल्क लगता है। राज्यों में वैट की दर अलग अलग है। उत्पाद शुल्क की दर प्रति लीटर निर्धारित है लेकिन राज्यों में वैट की दर मूल्यानुसार लगती है। दाम बढ़ने पर वैट प्राप्ति भी बढ़ती है। दिल्ली में अप्रैल माह में पेट्रोल पर प्रति लीटर वैट 15.84 रुपए जबकि डीजल पर यह 9.68 रुपए प्रति लीटर था लेकिन मई माह में आज यह पेट्रोल पर 16.34 रुपए और डीजल पर 10.02 रुपए प्रति लीटर है।

सरकार के मुताबिक उत्पाद शुल्क में प्रत्येक एक रुपए की कटौती से खजाने को 13,000 करोड़ रुपए का नुकसान होता है। इससे पहले सरकार ने नवंबर 2014 से लेकर जनवरी 2016 के बीच जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम नीचे चल रहे थे उत्पाद शुल्क में नौ बार वृद्धि की। इस दैरान पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 11.77 रुपए और डीजल में 13.47 रुपए प्रति लीटर की वृद्धि की गई। इससे सरकरी खजाने में 2016- 17 में 2,42,000 करोड़ रुपए की प्राप्ति हुई।

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