नई दिल्ली: केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक तथा संसदीय कार्य मंत्री श्री अनंत कुमार ने आज बंगलुरु में भारत फार्मा एवं भारत मेडिकल उपकरण अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे संस्करण का उद्घाटन किया। विजन- ‘जिम्मेदार स्वास्थ्य के लिए’ के साथ इस तीन दिवसीय सम्मेलन का आयोजन रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के फार्मास्यूटिकल्स विभाग द्वारा उद्योग चैम्बर फिक्की के सहयोग से 11 से 13 फरवरी, 2017 तक किया जा रहा है।
श्री कुमार ने जनसमूह को संबोधित करते हुए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को ‘फार्मा एवं मेडिकल उपकरणों का कुंभ’ बताया। उन्होंने वहां उपस्थित हितधारकों से भारत को ‘दुनिया के फार्मेसी के रूप में ’ प्रस्तुत करने की अपील की। उन्होंने कहा कि सम्मेलन के दूसरे संस्करण की विशेषता अंतरराष्ट्रीय दवा नियामकों की बैठक और नियामकों तथा उद्योग के बीच परस्पर आपसी संपर्क होगी। यह परस्पर अंत: संपर्क एक तरफ उद्योग को अंतरराष्ट्रीय नियामकीय संरचना को बेहतर तरीके से समझने में मदद करेगी तथा दूसरी ओर उद्योग की आवश्यकताओं को समझने में नियामकों की सहायता भी करेगी। मंत्री महोदय ने कहा कि यह फार्मा क्षेत्र के दोनों हितधारकों को इस क्षेत्र को शासित करने वाली नीतियों को इसके अनुकूल बनाने में मदद करेगी।
फार्मा क्षेत्र की उपलब्धियों के बारे में चर्चा करते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि उद्योग को 15 प्रतिशत से अधिक की संयोजित वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) अर्जित करने पर बधाई दी और विश्वास जताया कि यह क्षेत्र वर्तमान 32 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2020 तक 55 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा। मंत्री महोदय ने यह भी कहा कि भारत की विश्व जनेरिक दवा आपूर्ति श्रृंखला में लगभग 20 प्रतिशत की हिस्सेदारी है और यह वैश्विक रूप से 250 से अधिक देशों को निर्यात करता है। उन्होंने बताया कि भारतीय फार्मा उद्योग वैश्विक टीकों का 60 प्रतिशत से अधिक हिस्सा उपलब्ध कराता है।
इसके अतिरिक्त, श्री कुमार ने जानकारी दी कि चालू वित्त वर्ष के दौरान भारतीय फार्मा क्षेत्र ने लगभग 14 बिलियन डॉलर का विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) प्राप्त किया है और देशभर में 2.5 मिलियन से अधिक लोगों के लिए रोजगार का सृजन किया है। मंत्री महोदय मंच से यह भी घोषणा की कि सूचना प्रौद्योगिकी और कुशल श्रमबल का केंद्र होने के कारण बंगलुरु एक फार्मा और मेड टेक जोन स्थापित किए जाने के लिए एक आदर्श स्थान साबित होगा और मंत्रालय इसकी शीघ्र स्थापना के लिए राज्य सरकार के साथ मिलकर कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि यह कदम मेक इन इंडिया मिशन के तहत भारत में फार्मास्यूटिकल्स एवं चिकित्सा उपकरणों के घरेलू निर्माण को बढ़ावा देगा।
फार्मा एवं चिकित्सा उपकरण क्षेत्र में व्यवसाय करने की सरलता को बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा लंबे समय से लंबित मामलों के समाधान को रेखांकित करते हुए श्री कुमार ने कहा कि सरकार द्वारा चिकित्सा उपकरणों के लिए विषम शुल्क संरचना में सुधार, बल्क दवाओं के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए आयातों पर विस्तार शुल्क की वापसी तथा इस क्षेत्र में एक निष्पक्ष, पारदर्शी, प्रत्याशित और समान अवसर लाने का कार्य किया गया है। मत्री महोदय ने उद्योग को यह भी भरोसा दिलाया कि सरकार भविष्य में भी इस क्षेत्र के लिए इस स्थायित्व को बरकरार रखेगी। श्री कुमार ने फार्मास्यूटिकल विभाग को एक स्वतंत्र मंत्रालय के रूप में बनाने के लिए सरकार में सर्वोच्च स्तर पर किए जा रहे विचार-विमर्शों के बारे में भी जिक्र किया।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री श्री सिद्धरमैया ने कहा कि यह दूसरा अवसर है कि कर्नाटक मेडिकल डिवाइस एवं फार्मास्यूटिकल क्षेत्र पर इस सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है और इस प्रकार यह राज्य को फार्मा एवं मेडिकल डिवाइस क्षेत्र के तहत निवेशों के लिए एक पसंदीदा गंतव्य के रूप में उभरने का अवसर दे रहा है तथा इस क्षेत्र में मेक इन इंडिया मिशन को बढ़ावा दे रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य के फार्मा उद्योग में 264 विनिर्माण इकाइयां हैं जिनमें लघु- मझोली, बड़ी, सार्वजनिक क्षेत्र एवं बहुराष्ट्रीय कंपनियां शामिल हैं।
केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक, जहाज रानी, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री श्री मनसुख लाल मंडाविया ने इस अवसर पर बोलते हुए रेखांकित किया कि आंध्र प्रदेश में हाल में फार्मा एवं मेड टेक जोन को दी गई मंजूरी से वहां घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय फार्मा कंपनियों से निवेश के लिए 30 से अधिक प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं जिससे दवाओं एवं चिकित्सा उपकरणों के विनिर्माण लागत में वैश्विक मूल्यों की तुलना में लगभग 30 प्रतिशत की कमी आने की संभावना है।