केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण तथा वस्त्र मंत्री श्री पीयूष गोयल ने आज कहा कि निर्यात सरकार के उन प्रयासों की सबसे परिभाषित विशेषताओं में से एक रहा है जिससे भारत को 2047 तक एक विकसित देश बनाया जा सके, एक ऐसा लक्ष्य जिसे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र को अपने संबोधन में स्पष्टता के साथ सामने रखा है।
माननीय मंत्री ने कहा कि भारत में विकास की संभावनाओं को लेकर दुनिया भर को काफी भरोसा है और आह्वान किया कि घरेलू उद्योग देश के लिए उपलब्ध होने वाले अवसरों में से ज्यादा से ज्यादा हासिल करने लिए अपनी सभी कमजोरियां दूर करें। उन्होंने साथ ही कहा कि दुनिया पहले से ही भारत को एक महाशक्ति के रूप में देख रही है।
श्री गोयल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पिछले कुछ वर्षों में भारत में बुनियादी परिवर्तन का प्रयास किया गया है जिसने भारत को एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए गति प्रदान की है। पारदर्शी, सुसंगत, ईमानदार नीतियों का आह्वान करते हुए माननीय मंत्री ने कहा कि सरकार की नीतियां इतनी मजबूत होनी चाहिए कि लोगों से किए गए वादों को पूरा किया जा सके।
श्री गोयल ने ऐसे तरीके खोजने की आवश्यकता के बारे में भी कहा जिससे लोगों को अनुपालन करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके और पारदर्शिता एवं व्यवसाय में सुगमता लाई जा सके । उन्होंने साथ ही कहा कि भारत को एक ईमानदार देश बनना चाहिए। वाणिज्य और उद्योग मंत्री श्री गोयल ने घोषणा की कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 17 सितंबर को लॉजिस्टिक पॉलिसी जारी करेंगे।
यह कहते हुए कि 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जिन पंच प्रण की बात की थी, उन्हें प्राप्त करने के लिए व्यापार एक मजबूत स्तंभ है, श्री गोयल ने विश्वास व्यक्त किया कि आज की बैठक एक विकसित भारत को प्राप्त करने की दिशा में काम करने में हम सभी के सामूहिक विश्वास को दर्शाती है।
श्री गोयल ने विकसित देशों के साथ और अधिक एफटीए करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने व्यापार मंडल की बैठक के प्रतिभागियों से एफटीए में प्रत्येक क्षेत्र की संभावनाओं पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया।
अपने संबोधन का समापन करते हुए, श्री गोयल ने कहा कि प्रतिभागियों द्वारा उठाए गए सभी मुद्दों को हल किया जाएगा और आज की बैठक में उनके द्वारा दिए गए सुझावों पर विचार किया जाएगा।
व्यापार बोर्ड की बैठक में निर्यात लक्ष्य का निर्धारण, नई विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) (2022-27), और घरेलू विनिर्माण और निर्यात को आगे बढ़ाने के लिए रणनीति और उपायों पर ध्यान केंद्रित किया गया। व्यापार बोर्ड (बीओटी) का गठन दिनांक 17 जुलाई 2019 की अधिसूचना संख्या 11/2015-20 के तहत व्यापार विकास और संवर्धन परिषद को व्यापार बोर्ड के साथ विलय करके किया गया है। व्यापार बोर्ड, अन्य बातों के साथ, सरकार को भारत के व्यापार को बढ़ावा देने के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए विदेश व्यापार नीति संबंधित नीतिगत उपायों पर सलाह देता है। .
यह राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को व्यापार नीति पर राज्य-उन्मुखी दृष्टिकोण व्यक्त करने के लिए एक मंच प्रदान करता है। यह भारत के व्यापार को प्रभावित करने वाले अंतर्राष्ट्रीय बदलावों के प्रति राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के मूल्यांकन के लिए भारत सरकार के लिए एक मंच के रूप में भी कार्य करता है। यह उद्योग निकायों, संघों, निर्यात प्रोत्साहन परिषदों और राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की सरकारों के साथ व्यापार संबंधी मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए एक महत्वपूर्ण तंत्र है।
व्यापार बोर्ड की इस बैठक में पहली बार 29 नए गैर-सरकारी सदस्यों को भी आमंत्रित किया गया था।
व्यापार बोर्ड की बैठक के दौरान, भारत के आयात / निर्यात प्रदर्शन, वाणिज्य विभाग के पुनर्गठन, एफटीए और आगे की राह, राज्यों के निर्यात प्रदर्शन, निर्यात हब के रूप में जिले, नई प्रस्तावित विदेश व्यापार नीति, कारोबार के सुधारात्मक कदम, कस्टम्स के द्वारा व्यापार की सुविधा के उपाय और सरकारी ई-मार्केटप्लेस जैसे विभिन्न विषयों पर प्रस्तुतियाँ दी गईं।
राज्यों के मंत्रियों ने बैठक में अपनी बातें रखीं, अपने राज्य से जुड़े सुझाव दिए, और विदेशी व्यापार को बढ़ावा देने में केंद्र सरकार की पहल का भी समर्थन किया।
उद्घाटन समारोह में वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री श्री सोम प्रकाश और श्रीमती अनुप्रिया पटेल, वाणिज्य सचिव, श्री बीवीआर सुब्रह्मण्यम, राजस्व सचिव, श्री तरुण बजाज, विदेश व्यापार महानिदेशक, श्री संतोष सारंगी, सचिव वित्तीय सेवाएं विभाग संजय मल्होत्रा, सदस्य सीमा शुल्क, राजीव तलवार और अन्य वरिष्ठ अधिकारी और भारतीय उद्योग के सदस्य शामिल हुए।
बैठक में विभिन्न राज्यों के मंत्रियों और प्रमुख मंत्रालयों और राज्यों के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों, सभी प्रमुख व्यापार और उद्योग निकायों, निर्यात संवर्धन परिषदों और उद्योग संघों ने भाग लिया।