नई दिल्ली: रेल और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने देश में कोविड-19 और लॉकडाउन के प्रभाव का आकलन करने के लिए डेवलपर्स, अग्रणी स्टार्टअप्स, एंजेल निवेशकों और अन्य सहित स्टार्ट-अप व्यवस्था के हितधारकों के साथ आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बैठक की। इस बैठक में उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग, कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय, सेबी, सीबीडीटी, सीबीआईसी, नीति आयोग, और सिडबी के अधिकारियों ने भी भाग लिया।
श्री गोयल ने स्टार्ट अप्स द्वारा देश में आशा के अग्रदूतों के रूप में और देश के भविष्य के लिए निभाई जा रही महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया। उन्होंने कहा कि देश अभूतपूर्व संकट के दौर से गुजर रहा है और इसके लिए त्वरित उपचारात्मक कार्रवाइयां किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने उद्योग, विशेषकर स्टार्टअप्स के समक्ष आ रही कठिनाइयों पर काबू पाने के लिए सभी का सहयोग मांगा। श्री गोयल ने कहा कि यह स्टार्टअप उद्यमियों की सकारात्मक भावना है जो वे इस अवसर पर आगे बढ़ रहे हैं और कोविड-19 से जुड़ी विभिन्न समस्याओं का समाधान खोजने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने एक्शन कोविड-19 टीम (एसीटी) की शुरूआत का स्वागत किया, जो 100 करोड़ रुपये का कार्यक्रम शुरू कर रही है, जिसका लक्ष्य भारत में कोविड-19 के आर्थिक प्रभावों का मुकाबला करने के लिए अनुदान के माध्यम से 50 से अधिक पहल करना है। श्री गोयल ने एक अन्य स्टार्टअप उद्यम का भी स्वागत किया, जो टियर- II और टियर- III शहरों में किराना स्टोरों (छोटी खुदरा दुकानों) को आपूर्ति श्रृंखला और संसाधनों की कमी दूर करने में मदद करने की कोशिश कर रहा है। स्टार्टअप हितधारकों की विभिन्न समस्याओं और सुझावों को सुनने के बाद, श्री गोयल ने सहयोगपूर्ण प्रयास किए जाने का आह्वान किया।
बैठक में इस बात का उल्लेख किया गया कि अनेक स्टार्ट-अप महामारी के निवारक, सहायक और उपचारात्मक पहलुओं पर ध्यान देते हुए कोविड-19 के मुद्दों के विभिन्न समाधान तलाशने की दिशा में काम कर रहे हैं। अनेक उपक्रम लॉन्च के अंतिम चरण में हैं और अन्य को आकार लेने के लिए कुछ और समय लगेगा। इन उपक्रमों को पहुंच, वित्त पोषण, सत्यापन, संवर्धन और सहायता की आवश्यकता होगी। विभिन्न सरकारी विभागों और उद्योग संघों की एक संयुक्त समिति इन पहलों का मूल्यांकन कर रही है। प्रतिभागियों ने बैठक में उपस्थित अधिकारियों के समक्ष अपनी विशिष्ट समस्याएं रखीं। बैठक में अनेक समाधानों की ओर इंगित किया गया और यह तय किया गया कि स्टार्टअप बिरादरी के कुछ सुझावों पर विस्तृत विचार किए जाने की जरूरत है। स्टार्टअप प्रतिनिधियों ने अपने अस्तित्व, नकदी की कमी, नकदी के प्रवाह और राजस्व समस्याओं, श्रम संबंधी मामलों से लेकर लॉकडाउन आदि के कारण उपक्रम चलाने में आ रही अन्य कठिनाइयों तक की चिंताओं को सामने रखा।