16.4 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

पीयूष गोयल ने महाजेनको पाइप कन्वेयर सिस्टम का उद्घाटन किया – डब्ल्यूसीएल एवं महाजेनको की एक पहल

देश-विदेशप्रौद्योगिकी

नई दिल्ली: पीयूष गोयल ने वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (डब्ल्यूसीएल) की खदानों के क्लस्टर से कोयले की ढुलाई के लिए आज महाजेनको पाइप कन्वेयर सिस्टम का उद्घाटन किया। केंद्रीय सड़क परिवहन, राजमार्ग एवं जल संसाधन मंत्री श्री नितिन गडकरी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस भी नागपुर नगर निगम के सुरेश भट्ट सभागार में इस कार्य के शुभारंभ समारोह के साक्षी बने। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन श्री अश्विनी लोहानी और शहरी विकास मंत्रालय में सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्रा भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

6.3 किलोमीटर की लंबाई वाली प्रथम पाइप कन्वेयर परियोजना महाजेनको के चंद्रपुर सुपर थर्मल पावर स्टेशन की एक समर्पित प्रणाली है, जिसका काम चंद्रपुर क्षेत्र की भटादी ओसी खान से कोयला प्राप्त करना और फिर उसे पदमापुर स्थित एमजीआर में डालना है। लगभग 20 किलोमीटर की लंबाई वाली दूसरी परियोजना में डब्ल्यूसीएल के नागपुर क्षेत्र की पांच फीडिंग ओपन कास्ट खदानें यथा गोंडेगांव, कांप्टी, इंदर, भानेगांव एवं सिंघोरी खदानें होंगी जो महाराष्ट्र स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी लिमिटेड (एमएसपीजीसीएल) के खापरखेदा एवं कोराडी विद्युत केंद्रों को समर्पित हैं। इस परियोजना का काम दो चरणों में किया जा रहा है। इस परियोजना के पूरा हो जाने पर सड़क मार्ग से कोयले की ढुलाई करने का काम रोक दिया जाएगा और डब्ल्यूसीएल की इन खदानों में उत्पादित होने वाले शत-प्रतिशत कोयले की ढुलाई कोराडी और खापरखेदा कोल पाइप कन्वेयर के जरिए ही होगा।

पाइप कन्वेयर सिस्टम डब्ल्यूसीएल की खदानों से महाजेनको के पिट हेड विद्युत केंद्रों तक कोयले की ढुलाई करने के लिए एक अत्याधुनिक, दक्ष एवं पर्यावरण अनुकूल साधन विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। महाराष्ट्र स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी लिमिटेड (एमएसपीजीसीएल) ने डब्ल्यूसीएल द्वारा अधिग्रहीत भूमि के जरिए पाइप कन्वेयर सिस्टम लगाने का काम शुरू किया है। यह समर्पित कोयला परिवहन प्रणाली कोल इंडिया लिमिटेड में अपनी तरह की पहली प्रणाली है। इससे सड़क परिवहन के जरिए पर्यावरण पर होने वाले असर को कम करने में काफी मदद मिलेगी क्योंकि इसमें कोयले की बिखरी हुई धूल की कोई समस्या नहीं रहेगी। इसके साथ ही वाहनों से होने वाला प्रदूषण भी इसकी बदौलत कम हो जाएगा। यही नहीं, इससे कोयले की चोरी रोकने में भी मदद मिलेगी और इससे कम ढुलाई लागत पर विद्युत संयंत्रों को उच्च गुणवत्ता वाले कोयले की पर्याप्त आपूर्ति करने में भी सहूलियत होगी।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More