नई दिल्ली: वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से फार्मास्युटिकल उद्योग के दिग्गजों और फार्मा संगठनों के पदाधिकारियों के साथ विचार-विमर्श किया। इस बैठक में राज्य मंत्री श्री एच.एस.पुरी और श्री सोम प्रकाश, वाणिज्य एवं फार्मास्युटिकल विभागों के सचिवों तथा वाणिज्य, फार्मास्युटिकल एवं स्वास्थ्य विभागों के अधिकारियों ने भाग लिया।
श्री गोयल ने कोविड संकट के दौरान हरसंभव सहयोग देकर भारत को गौरवान्वित करने के लिए फार्मा उद्योग की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत की पहचान अब ‘दुनिया की फार्मेसी’ के तौर पर बन गई है क्योंकि पिछले दो महीनों के दौरान 120 से भी अधिक देशों को कुछ आवश्यक दवाएं मिलीं, जिनमें से 40 दवाएं उन्हें अनुदान के तौर पर मुफ्त में मिली हैं। उन्होंने कहा कि कोविड संकट के दौरान डीजीएफटी, विदेश मंत्रालय, स्वास्थ्य और फार्मास्युटिकल विभाग (डीओपी) के अधिकारियों ने अक्सर देर रात तक काम किया, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि निर्यात की खेपें जल्द से जल्द अपने गंतव्यों तक पहुंच जाएं। पूरी दुनिया ने भारत के इन उत्कृष्ट प्रयासों की सराहना की और इससे भारत की सद्भावना एवं प्रतिष्ठा में नए चांद लग गए हैं। उन्होंने कहा कि भारत के पास अपनी अनुमानित घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए एचसीक्यू एवं पीसीएम की पर्याप्त उत्पादन क्षमता और प्रचुर मात्रा में इनका स्टॉक है। श्री गोयल ने कहा कि इन दवाओं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना रहा है कि दवाएं सभी जरूरतमंद देशों को उपलब्ध हों, और कोई भी अवांछित तत्व अनुचित लाभ के लिए इनका स्टॉक न करे।
मंत्री महोदय ने यह सुनिश्चित करने की दिशा में असाधारण प्रदर्शन करने के लिए फार्मा उद्योग की सराहना की कि इस अवधि के दौरान देश को दवाओं की किसी भी प्रकार की कमी का सामना नहीं करना पड़े। श्री गोयल ने कहा कि लॉकडाउन की घोषणा जल्द यानी उचित समय पर कर देने से देश को महामारी का फैलाव रोकने के साथ-साथ स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचागत सुविधाओं को बढ़ाने एवं क्षमता निर्माण के अलावा विभिन्न तरह की सावधानियों और निवारक उपायों के बारे में लोगों के बीच जागरूकता उत्पन्न करने में भी मदद मिली। उन्होंने कहा कि भारत ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के कुशल मार्गदर्शन और नेतृत्व में अत्यंत सक्रियता के साथ कोविड-19 से निपटने के अनेक अहम उपाय कर और इसके प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के लिए कल्याणकारी एवं राहत पैकेजों की घोषणा कर एक मिसाल पेश की है।
श्री गोयल ने फार्मा उद्योग को यह आश्वासन दिया कि सरकार इस उद्योग को अपने विस्तार, विविधीकरण और सुदृढ़ीकरण में पूरा सहयोग देगी। उन्होंने कहा कि ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ में फार्मा उद्योग की महत्वपूर्ण भूमिका है। श्री गोयल ने कहा कि देश को जल्द से जल्द ‘एपीआई’ में आत्मनिर्भर बन जाना चाहिए, क्योंकि सरकार ने इसके लिए कई अहम कदम उठाए हैं। सरकार ने 3 बल्क ड्रग पार्कों में साझा अवसंरचना सुविधाओं के वित्तपोषण के लिए ‘बल्क ड्रग पार्क संवर्धन योजना’ को पहले ही मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही देश में महत्वपूर्ण केएसएम/ दवा मध्यवर्ती अवयवों (ड्रग इंटरमीडिएट) और एपीआई के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन योजना को स्वीकृति दे दी गई है।
मंत्री महोदय ने कहा कि डंपिंग रोधी जांच प्रक्रिया में तेजी लाई गई है। उन्होंने कहा कि मौजूदा द्विपक्षीय एफटीए (मुक्त व्यापार समझौता) के मामले में यदि किसी भी तरह की बाधा या अनुचित प्रतिस्पर्धा के बारे में पता चलता है, तो सरकार को इस बारे में सूचित किया जा सकता है और फिर शीघ्र ही आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि फार्मा उद्योग को पूर्वी यूरोप और रूस के विशाल अनछुए बाजार में अपने लिए संभावनाएं ढूंढ़नी चाहिए। आरएंडडी संबंधी प्रयासों में सहयोग का मार्ग अपनाने का आह्वान करते हुए श्री गोयल ने कहा कि शिक्षाविदों, विश्वविद्यालयों, आईसीएमआर और निजी क्षेत्र को इसके लिए आपस में हाथ मिलाना चाहिए। सरकार ने कुछ फार्मा पीएसयू का विनिवेश करने का फैसला किया है, इस बारे में उपस्थित लोगों को सूचित करते हुए मंत्री महोदय ने भारतीय कंपनियों को विनिर्माण के ‘प्लग एंड प्ले मॉडल’ के लिए पीएसयू का उपयोग करने के लिए आमंत्रित किया। मंत्री महोदय ने फार्मा उद्योग को यह आश्वासन दिया कि बैठक में पेश किए गए सभी सुझावों पर शीघ्र ही गौर किया जाएगा और जहां भी आवश्यकता होगी, अंतर-मंत्रालय परामर्श को जल्द से जल्द पूरा किया जाएगा।