नई दिल्ली: भारत ने महामारियों के खिलाफ लड़ाई में कम कीमत में दवाओं की उपलब्धता बढ़ाने के लिए एक वैश्विक तंत्र विकसित करने और एक से दूसरे देश के लिए स्वास्थ्य पेशेवरों की आवाजाही को आसान बनाने की दिशा में काम करने का आह्वान किया है। जी-20 देशों के व्यापार और निवेश मंत्रियों की बैठक में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने वर्तमान चुनौतियों पार पाने के लिए बहुपक्षीय प्रतिबद्धताओं का समर्थन करने और उनके प्रभाव में सुधार पर जोर दिया।
श्री गोयल ने कहा कि भारत कई चुनौतियों के बावजूद दुनिया के लगभग 190 देशों के लिए प्रभावी और उच्च गुणवत्ता वाले चिकित्सा तथा फार्मा उत्पादों के लिए भरोसेमंद और किफायती स्रोत रहा है। उन्होंने कहा, “हमें भरोसा है कि बेहतर नियामकीय और आरएंडडी सहयोग से भारत ऐसे संकटपूर्ण हालात में दुनिया की सेवा करने के लिए अपनी क्षमताओं में ज्यादा सुधार कर सकता है। हमें सुनिश्चित करना चाहिए कि इन अक्षमताओं का हल निकालने और गरीबों का जीवन, आजीविका, खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए उपयुक्त साधन बने रहें।”
केंद्रीय मंत्री ने महामारी के खिलाफ लड़ाई में दुनिया के साथ भारत की एकजुटता और आवश्यक सेवाओं को बरकरार रखने के काम में लगे स्वास्थ्य पेशेवरों, सफाई कर्मचारियों और अन्य लोगों के लिए समर्थन जाहिर किया है। उन्होंने कहा कि विकासशील और अल्प विकसित देश ज्यादा संवेदनशील हैं, क्योंकि इस अप्रत्याशित महामारी का सामना करने के लिए उनके संसाधन, बुनियादी ढांचा और तकनीक क्षमताएं कम पड़ सकती हैं।
श्री गोयल ने कहा कि इन अप्रत्याशित चुनौतियों से उबरने के लिए दुनिया द्वारा नवाचार, सहयोग और सक्रिय प्रतिक्रिया आवश्यक है। उन्होंने कहा, “व्यापार के साथ ही अन्य क्षेत्रों में किसी भी पहल के केंद्र में बहु पक्षीय प्रणाली पर आधारित नियमों की प्रधानता जाहिर होनी चाहिए। हमें सुनिश्चित करना चाहिए कि सामानों और सेवाओं विशेषकर दवाओं और खाद्य उत्पादों की आपूर्ति बाधित नहीं होनी चाहिए, जो राष्ट्र की जरूरतों के हिसाब से बनी रहनी चाहिए। व्यापार को सुविधाजनक बनाए रखने के वास्ते कदम उठाए जाने की जरूरत है और जहां भी जरूरत हो सीमा शुल्क, बैंक जैसे विभागों को विभिन्न स्वीकृतियों के लिए आयातकों को मूल दस्तावेज पेश किए जाने से अस्थायी तौर पर छूट दी जानी चाहिए। इसके अलावा, हमें ऐसा उपयुक्त तंत्र विकसित करने की जरूरत है जिसके तहत पूर्व सहमत प्रोटोकॉल के अंतर्गत विभिन्न देशों के बीच बेहद कम समय में ही प्रमुख दवाएं, चिकित्सा उपकरण, जांच उपकरण और किट की आपूर्ति और स्वास्थ्य पेशेवरों की आवाजाही आसान हो सके।”
श्री गोयल ने कहा, “चलिए, महामारी से लड़ाई में अपने नेताओं के निर्देशों का मिलकर पालन करते हुए वैश्विक अर्थव्यवस्था की रक्षा, अंतरराष्ट्रीय व्यापार बाधाओं को दूर करके और उचित, स्थायी और नियमों पर आधारित वैश्विक व्यापार को वैश्विक बाजार की विसंगतियों से बचाकर सहयोग बढ़ाने की दिशा में मिलकर काम करें। साथ ही सुनिश्चित करें कि सभी के स्वास्थ्य और संपन्नता के लिए एक साधन के रूप में काम करें, जिससे राष्ट्रों के लिए अपने नागरिकों पर ध्यान देने के साथ ही दूसरों की मदद की जा सके। इससे ही मानवता हमारी एसडीजी 2030 के प्रति हमारी प्रतिबद्धताओं के क्रम में समान टिकाऊ भविष्य की दिशा में कदम बढ़ा सकेगी।”
जी20 और अतिथि देशों के व्यापार और निवेश मंत्रियों ने अपने-अपने बाजारों को मुक्त रखने और लॉजिस्टिक नेटवर्क के परिचालन को सुगम व निरंतर बनाए रखने का फैसला किया। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई बैठक में कोविड-19 महामारी को वैश्विक चुनौती करार दिया गया, साथ ही इसके लिए समन्वित वैश्विक कदम उठाने की जरूरत पर जोर दिया गया। बैठक के अंत में जारी बयान में अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मानव जीवन की रक्षा में सहयोग और समन्वय कायम करने, संकट के बाद मजबूत आर्थिक सुधार और एक टिकाऊ, संतुलित व समावेशी विकास की नींव रखने का आह्वान किया गया।
बयान में कहा गया कि कोविड-19 से पार पाने के लिए किए गए आपात उपाय लक्षित, आनुपातिक, पारदर्शी और अस्थायी होने चाहिए। साथ ही इनसे व्यापार में अनावश्यक बाधाएं या वैश्विक आपूर्ति चेन बाधित नहीं होनी चाहिए और वे डब्ल्यूटीओ नियमों के अनुरूप होने चाहिए। बयान के अनुसार, “हम अपने नागरिकों के स्वास्थ्य में सहयोग करने के लिए एक से दूसरे देश में अहम चिकित्सा आपूर्तियों और उपकरण, अहम कृषि उत्पादों और अन्य आवश्यक सामान व सेवाओं का निरंतर प्रवाह सुनिश्चित करने की दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। राष्ट्र की जरूरतों के अनुरूप हम इन आवश्यक वस्तुओं के व्यापार को आसान बनाने के लिए तत्काल कदम उठाएंगे। हम जरूरत के आधार पर आवश्यक चिकित्सा आपूर्तियों की उपलब्धता और पहुंच आसान बनाने तथा समानता के आधार पर किफायती कीमतों पर दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सहयोग करेंगे। साथ ही राष्ट्रीय परिस्थितियों को देखते हुए प्रोत्साहन और लक्षित निवेश के माध्यम से अतिरिक्त उत्पादन को भी बढ़ावा दिया जाएगा। हम मुनाफाखोरी और कीमतों में अवांछित बढ़ोतरी पर भी रोक लगाएंगे।”