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प्रधानमंत्री ने विज्ञान भवन में 16वें सिविल सेवा दिवस को संबोधित किया

देश-विदेश

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में 16वें सिविल सेवा दिवस, 2023 के अवसर पर सिविल सेवकों को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कार भी प्रदान किए और ई-बुक ‘विकसित भारत – एंपावरिंग सिटीजंस एंड रिचिंग दी लास्ट माइल, खंड I और II का विमोचन भी किया।

सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने सिविल सेवा दिवस के अवसर पर सभी को बधाई दी। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस वर्ष सिविल सेवा दिवस का अवसर और भी विशेष हो जाता है, क्योंकि देश ने अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे कर लिए हैं और एक विकसित भारत के लक्ष्यों एवं उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ना शुरू कर रहा है। उन्होंने उन सिविल सेवकों के योगदान पर प्रकाश डाला जो 15-25 साल पहले सेवा में शामिल हुए थे और उन युवा अधिकारियों की भूमिका पर जोर दिया जो अमृत काल के अगले 25 वर्षों में राष्ट्र निर्माण में योगदान देंगे। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि युवा अधिकारी इस अमृत काल में देश की सेवा करने को लेकर अत्यंत भाग्यशाली हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारे पास समय कम है, लेकिन सामर्थ्य भरपूर है। हमारे लक्ष्य कठिन हैं, लेकिन हौसला कम नहीं है। हमें पहाड़ जैसी ऊंचाई भले चढ़नी है, लेकिन इरादे आसमान से भी ज्यादा ऊंचे हैं।” प्रधानमंत्री ने कहा, “आजादी के अमृत काल में देश के स्वाधीनता सेनानियों के सपनों को पूरा करने का दायित्व हम सभी पर है।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 9 वर्षों में भारत आज जहां पहुंचा है, उसने हमारे देश को बहुत ऊंची छलांग के लिए तैयार कर दिया है। उन्होंने कहा कि देश में ब्यूरोक्रेसी वही है, अधिकारी-कर्मचारी वही हैं, लेकिन परिणाम बदल गए हैं। उन्होंने कहा कि भारत अगर विश्व पटल पर एक विशिष्ट भूमिका में आया है, अगर देश के गरीब से गरीब को भी सुशासन का विश्वास मिला है, अगर भारत के विकास को नई गति मिली है, तो ये भी आप जैसे कर्मयोगियों की भूमिका के बिना संभव नहीं था। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभर रहा है, फिनटेक में प्रगति कर रहा है क्योंकि भारत डिजिटल लेनदेन में नंबर एक है, सबसे सस्ते मोबाइल डेटा वाले देशों में से एक है और दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम वाला देश है। उन्होंने ग्रामीण अर्थव्यवस्था, रेलवे, राजमार्ग, बंदरगाह की क्षमता में वृद्धि और हवाई अड्डों की संख्या में क्रांतिकारी परिवर्तन के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि आज के पुरस्कार कर्मयोगियों के योगदान और सेवा की भावना को दर्शाते हैं।

पिछले साल 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के सामने ‘पंच प्रणों’ अर्थात् – विकसित भारत के निर्माण का विराट लक्ष्य, गुलामी की हर सोच से मुक्ति, भारत की विरासत पर गर्व की भावना, देश की एकता-एकजुटता को निरंतर सशक्त करने, और अपने कर्तव्यों को सर्वोपरि रखने का आह्वान किया है। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि पंच प्रणों की प्रेरणा से जो ऊर्जा निकलेगी, वो हमारे देश को वह ऊंचाई देगी, जिसका वो हमेशा से हकदार रहा है।

इस वर्ष के सिविल सेवा दिवस की थीम विकसित भारत की धारणा पर आधारित होने पर चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि विकसित भारत की अवधारणा आधुनिक बुनियादी ढांचे तक सीमित नहीं है। प्रधानमंत्री ने कहा, “विकसित भारत के लिए आवश्यक है – भारत का सरकारी सिस्टम, हर देशवासी की आकांक्षा को सपोर्ट करें। विकसित भारत के लिए आवश्यक है – भारत का हर सरकारी कर्मचारी देशवासियों के सपनों को सच करने में उनकी मदद करें। विकसित भारत के लिए आवश्यक है – भारत में सिस्टम के साथ जो नेगेटिविटी बीते दशकों में जुड़ी थी, वो पॉजिटिविटी में बदले, हमारा सिस्टम, देशवासियों के सहायक के रूप में अपनी भूमिका को आगे बढ़ाए।”

भारत की आजादी के बाद के दशकों के अनुभव पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन में अंतिम-मील वितरण के महत्व के बारे में चर्चा की। उन्होंने पिछली सरकारों की नीतियों के परिणामों का उदाहरण देते हुए कहा कि 4 करोड़ से अधिक नकली गैस कनेक्शन, 4 करोड़ से अधिक नकली राशन कार्ड थे और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा 1 करोड़ फर्जी महिलाओं तथा बच्चों को सहायता प्रदान की गई थी। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय द्वारा लगभग 30 लाख युवाओं को फर्जी छात्रवृत्ति दी गई थी, और लाखों फर्जी खाते मनरेगा के तहत उन श्रमिकों के लाभ को हड़पने के लिए बनाए गए थे जो कभी अस्तित्व में नहीं थे। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि इन फर्जी लाभार्थियों के बहाने देश में एक भ्रष्ट इकोसिस्टम उभरा है। उन्होंने व्यवस्था में आए बदलाव का श्रेय सिविल सेवकों को दिया, जहां लगभग 3 लाख करोड़ रुपये गलत हाथों में जाने से बच गए, जो अब गरीबों के कल्याण के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि जब समय सीमित होता है तो दिशा और कार्यशैली तय करना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। उन्होंने कहा, “आज की चुनौती दक्षता को लेकर नहीं है, बल्कि यह पता लगाने की है कि कमियों को कैसे खोजा और दूर किया जाए।” उन्होंने उस समय को याद किया जब कमी की आड़ में छोटे पहलू को भी नियंत्रित करने का प्रयास किया जाता था। उन्होंने कहा कि आज उसी कमी को कार्यकुशलता में बदलकर व्यवस्था की बाधाओं को दूर किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “पहले ये सोच थी कि ‘सरकार सब कुछ करेगी’, लेकिन अब सोच है कि ‘सरकार सबके लिए करेगी’।” प्रधानमंत्री ने कहा, “अब सरकार ‘सबके लिए’ काम करने की भावना के साथ टाइम और रिसोर्सेज का एफिशिएंटली उपयोग कर रही है। आज की सरकार का ध्येय है – नेशन फर्स्ट – सिटीजन फर्स्ट। आज की सरकार की प्राथमिकता है – वंचितों को वरीयता।” प्रधानमंत्री ने कहा कि आज की सरकार, एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट तक जा रही है, एस्पिरेशनल ब्लॉक जा रही है, देश के सीमावर्ती गांवों को, आखिरी गांव ना मानकर, उन्हें फर्स्ट विलेज मानते हुए काम कर रही है, वाइब्रेंट विलेज योजना चला रही है। उन्होंने कहा कि 100 फीसदी सैचुरेशन के लिए हमें और भी ज्यादा मेहनत करने और इनोवेटिव सॉल्यूशंस की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि प्रशासन का बहुत बड़ा समय एनओसी, प्रमाणपत्र, क्लीयरेंस, इन्हीं सब कामों में चला जाता है और हमें इनके सॉल्यूशंस निकालने ही होंगे, तभी ईज ऑफ लिविंग बढ़ेगी, तभी ईज ऑफ डूइंग बिजनेस बढ़ेगा।

पीएम गतिशक्ति मास्टर प्लान का उदाहरण देते हुए, प्रधानमंत्री ने समझाया कि इसके तहत हर प्रकार के इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े डेटा लेयर्स एक ही प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हैं और इसका हमें अधिक से अधिक उपयोग करना है। उन्होंने कहा कि हमें सोशल सेक्टर में बेहतर प्लानिंग एवं एग्जीक्यूशन के लिए भी पीएम गतिशक्ति का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए, जिससे हमें लोगों की जरूरतों का पता लगाने और उन्हें कार्यान्वित करने में आने वाली मुश्किलों को दूर करने में मदद मिलेगी और डिपार्टमेंट्स के बीच, डिस्ट्रिक्ट और ब्लॉक के बीच संवाद और सरल होने के साथ ही हमारे लिए आगे की स्ट्रेटजी बनाना भी ज्यादा आसान होगा।

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि आजादी का ये अमृतकाल, भारत के सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए जितने बड़े अवसर लेकर आया है, उतना ही चुनौतीपूर्ण भी है। प्रधानमंत्री ने विस्तार से बताया कि आज के आकांक्षी नागरिक व्यवस्था में बदलाव देखने के लिए लंबे समय तक इंतजार करने को तैयार नहीं हैं और इसके लिए हमारे पूरे प्रयास की जरूरत होगी। त्वरित निर्णय लेना और उन्हें तेजी से लागू करना और भी महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि भारत से दुनिया की उम्मीदें भी नाटकीय रूप से बढ़ी हैं। जैसा कि दुनिया कह रही है कि भारत का समय आ गया है, ऐसी स्थिति में भारत की ब्यूरोक्रेसी को एक भी पल गंवाना नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा, “देश ने आप पर बहुत भरोसा किया है, आप को मौका दिया है, उस भरोसे को कायम रखते हुए काम करिए। आपकी सर्विस में, आपकी निर्णय का आधार सिर्फ और सिर्फ देशहित होना चाहिए।”

लोकतंत्र में विभिन्न विचारधाराओं वाले राजनीतिक दलों के महत्व और आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने यह आकलन करने के लिए नौकरशाही की आवश्यकता पर बल दिया कि सत्ता में राजनीतिक दल राष्ट्र के लाभ के लिए करदाताओं के पैसे का उपयोग कर रहे हैं या नहीं। प्रधानमंत्री ने कहा, “एक ब्यूरोक्रेट के तौर पर, एक सरकारी कर्मचारी के तौर पर अब आपको अपने हर निर्णय में कुछ सवालों का अवश्य ध्यान रखना ही पड़ेगा। जो राजनीतिक दल सत्ता में आया है, वो टैक्सपेयर्स मनी का इस्तेमाल अपने दल के हित के लिए कर रहा है, या देश के हित के लिए उसका उपयोग कहां हो रहा है? वो राजनीतिक दल, अपने दल के विस्तार में सरकारी धन का उपयोग कर रहा है या फिर देश के विकास में उस पैसे का इस्तेमाल कर रहा है? वो राजनीतिक दल, अपना वोटबैंक बनाने के लिए सरकारी धन लुटा रहा है या फिर सभी का जीवन आसान बनाने के लिए काम कर रहा है? वो राजनीतिक दल, सरकारी पैसे से अपना प्रचार कर रहा है, या फिर ईमानदारी से लोगों को जागरूक कर रहा है? वो राजनीतिक दल, अपने कार्यकर्ताओं को ही विभिन्न संस्थाओं में नियुक्त कर रहा है या फिर सबको पारदर्शी रूप से नौकरी में आने का अवसर दे रहा है?” नौकरशाही को भारत का फौलादी ढांचा होने के बारे में सरदार पटेल के शब्दों को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह समय उम्मीदों पर खरा उतरने और युवाओं के सपनों को कुचलने से रोकने के साथ-साथ करदाताओं के पैसे को नष्ट होने से बचाने का है।

प्रधानमंत्री ने सरकारी सेवकों से कहा कि जीवन जीने के दो तरीके होते हैं। पहला है ‘गेटिंग थिंग्स डन’. दूसरा है ‘ लेटिंग थिंग्स हैपन’ पहला एक्टिव एटीट्यूड और दूसरा पैसिव एटीट्यूड का प्रतिबिंब है। पहले तरीके से जीने वाले व्यक्ति की सोच होती है कि हां, बदलाव आ सकता है। दूसरे तरीके में विश्वास करने वाला व्यक्ति कहता है, ठीक है, रहने दो, सब ऐसे ही चलता है, पहले से भी चलता आया है, आगे भी चलता रहेगा, वो तो अपने आप हो जाएगा, ठीक हो जाएगा’। ‘गेटिंग थिंग्स डन’ में यकीन रखने वाले आगे बढ़कर जिम्मेदारी लेते हैं और जब उन्हें टीम में काम करने का अवसर मिलता है तो वो हर काम का ड्राइविंग फोर्स बन जाते हैं। प्रधानमंत्री ने कर्मयोगियों को बताया, “लोगों के जीवन में बदलाव लाने की ऐसी ज्वलंत इच्छा से ही आप एक ऐसी विरासत छोड़ जाएंगे, जिसे लोग याद करेंगे। आपको ये भी याद रखना होगा कि एक अफसर के रूप में आपकी सफलता इस बात से नहीं आंकी जाएगी कि आपने अपने लिए क्या हासिल किया। आपकी सफलता का आकलन इस बात से होगा कि आपके काम से, आपके करियर से दूसरों का जीवन कितना बदला है।” उन्होंने कहा, “सुशासन कुंजी है। जब पीपल सेंट्रिक गवर्नेंस होती है, जब डेवलपमेंट ओरिएंटेड गवर्नेंस होती है, तो वो समस्याओं का समाधान भी करती है और बेहतर रिजल्ट भी देती है।” उन्होंने आकांक्षी जिलों का उदाहरण दिया जो सुशासन और ऊर्जावान युवा अधिकारियों के प्रयासों के कारण कई विकास मानकों पर अन्य जिलों से बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोगों की भागीदारी पर ध्यान केंद्रित करने से लोगों में उत्तरदायित्व की भावना पैदा होती है और यह लोगों का उत्तरदायित्व अभूतपूर्व परिणाम सुनिश्चित करता है। उन्होंने इसे स्वच्छ भारत, अमृत सरोवर और जल जीवन मिशन के उदाहरणों से समझाया।

प्रधानमंत्री ने तैयार किए जा रहे जिला विजन@100 का जिक्र किया और कहा कि ऐसे विजन पंचायत स्तर तक तैयार किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि पंचायतों, ब्लॉकों, जिला और राज्य में किन क्षेत्रों पर ध्यान दिया जाए, निवेश को आकर्षित करने के लिए बदलाव और निर्यात के लिए कौन से उत्पादों की पहचान की जा सकती है, इन सबके लिए एक स्पष्ट दृष्टि विकसित की जानी चाहिए। उन्होंने स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए एमएसएमई और स्वयं सहायता समूहों की श्रृंखला को जोड़ने पर जोर देते हुए कहा, “आप सभी के लिए स्थानीय प्रतिभा को प्रोत्साहित करना, स्थानीय उद्यमिता और स्टार्ट-अप संस्कृति को बढ़ावा देना बहुत महत्वपूर्ण है।”

यह बताते हुए कि वे 20 से अधिक वर्षों से सरकार के प्रमुख हैं, प्रधानमंत्री ने सिविल सेवकों के साथ काम करने का अवसर मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने क्षमता निर्माण पर जोर दिया और प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि ‘मिशन कर्मयोगी’ सभी सिविल सेवकों के बीच एक बहुत बड़ा अभियान बन गया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि कैपेसिटी बिल्डिंग कमीशन इस अभियान को पूरी मजबूती से आगे बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा, “मिशन कर्मयोगी का उद्देश्य सिविल सेवकों की पूरी क्षमता का इस्तेमाल करना है।” iGOT प्लेटफार्म के बारे में चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ट्रेनिंग और लर्निंग से जुड़ा क्वालिटी मटेरियल हर जगह हर समय उपलब्ध हो, इसके लिए iGOT प्लेटफार्म बनाया गया है। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि ट्रेनिंग और लर्निंग कुछ महीनों की औपचारिकता बनकर नहीं रहनी चाहिए। श्री मोदी ने कहा, “अब सभी नए रिक्रूट्स को iGot पर ‘कर्मयोगी प्रारम्भ’ के ओरियंटेशन मॉड्यूल के साथ भी ट्रेन किया जा रहा है।”

पदानुक्रम के प्रोटोकॉल को खत्म करने की सरकार की पहल पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वे लगातार सचिवों, सहायक सचिवों और प्रशिक्षु अधिकारियों से मिलते रहते हैं। उन्होंने नए विचारों के लिए विभाग के भीतर सभी की भागीदारी बढ़ाने के लिए विचार मंथन शिविरों का उदाहरण भी दिया। उन्होंने यह भी कहा कि पहले वर्षों तक राज्यों में रहने के बाद ही प्रतिनियुक्ति पर केंद्र सरकार में कार्य का अनुभव प्राप्त करने वाले अधिकारियों के मुद्दे को सहायक सचिव कार्यक्रम के माध्यम से अंतर को  पाट कर समाधान किया गया है, जहां युवा आईएएस अधिकारियों को अब अपने करियर की शुरुआत में केंद्र सरकार में काम करने का मौका मिलता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि 25 साल की अमृत यात्रा को कर्तव्य काल माना जाता है। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा, “आजादी की शताब्दी देश की स्वर्ण शताब्दी तब होगी जब हम कर्तव्यों को पहली प्राथमिकता देंगे। कर्तव्य हमारे लिए विकल्प नहीं संकल्प हैं।” उन्होंने यह भी कहा, “यह तेजी से बदलाव का समय है। आपकी भूमिका भी आपके अधिकारों से नहीं बल्कि आपके कर्तव्यों और उनके प्रदर्शन से निर्धारित होगी। नए भारत में देश के नागरिकों की शक्ति बढ़ी है, भारत की शक्ति बढ़ी है। आपको इस नए उभरते भारत में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर मिला है।”

संबोधन का समापन करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि युवा सिविल सेवकों के पास स्वतंत्रता के 100 वर्षों के बाद राष्ट्र की उपलब्धियों का मूल्यांकन होने पर इतिहास में प्रमुखता का एक निशान बनाने का अवसर है। श्री मोदी ने अंत में कहा, “आप गर्व के साथ कह सकते हैं कि मैंने देश के लिए नई व्यवस्थाएं बनाने और उसमें सुधार करने में भी भूमिका निभाई है। मुझे विश्वास है कि आप सभी राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका का विस्तार करना जारी रखेंगे।”

इस अवसर पर केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव श्री पी. के. मिश्रा, कैबिनेट सचिव श्री राजीव गौबा और प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग के सचिव श्री वी. श्रीनिवास उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

प्रधानमंत्री ने राष्ट्र निर्माण में सिविल सेवकों के योगदान की लगातार सराहना की है और उन्हें और अधिक मेहनत करने के लिए उत्साहित किया है। यह कार्यक्रम देश भर के सिविल सेवकों को उत्साहित और प्रेरित करने को लेकर प्रधानमंत्री के लिए एक उपयुक्त मंच के रूप में कार्य करता है, ताकि वे विशेष रूप से अमृत काल के इस महत्वपूर्ण चरण के दौरान समान उत्साह के साथ देश की सेवा कर सकें।

कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री ने लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कार भी प्रदान किए। इन्हें आम नागरिकों के कल्याण के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के जिलों और संगठनों द्वारा किए गए असाधारण और अभिनव कार्यों को मान्यता देने की दृष्टि से स्थापित किया गया है।

चार चिन्हित प्राथमिकता वाले कार्यक्रमों – हर घर जल योजना के माध्यम से स्वच्छ जल को बढ़ावा, हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर के माध्यम से स्वस्थ भारत को बढ़ावा, समग्र शिक्षा के माध्यम से एक समान और समावेशी कक्षा के वातावरण के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा, आकांक्षी जिला कार्यक्रम के माध्यम से समग्र विकास – संतृप्ति दृष्टिकोण पर विशेष ध्यान देने के साथ समग्र प्रगति में किए गए अनुकरणीय कार्यों के लिए पुरस्कृत किया गया। उपरोक्त चार चिन्हित कार्यक्रमों के लिए आठ पुरस्कार दिए गए, जबकि नवाचारों के लिए सात पुरस्कार प्रदान किए गए।

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