नई दिल्ली: सबसे पहले मैं यहां मुंबई के अस्पताल में हुए हादसे पर अपना दुःख व्यक्त करता हूं। मेरी मुख्यमंत्री जी से इस बारे में बात हुई है। राज्य सरकार, पीड़ित परिवारों की हर संभव मदद कर रही है। इस हादसे में जिन परिवारों ने अपनों को खोया है, उनके प्रति मेरी पूरी संवेदना है।
पत्रकार द्वारा प्रेरित, पत्रकार द्वारा संचालित, शुद्ध पत्रकारिता के प्रति प्रतिबद्ध, रिपल्बिक टीवी, एक-सशक्त प्रयोग है। बहुत कम समय में आपके चैनल ने अपनी पहचान बनाई है। आप सभी देश के जन-जन तक सही सूचनाएं पहुंचाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। मैं Republic TV के पूरे मैनेजमेंट को, यहां काम करने वाले प्रत्येक जर्नलिस्ट को, देश के अलग-अलग हिस्सों में कार्य कर रहे रिपोर्टर्स और स्ट्रिंगर्स को बधाई देता हूं। देश की दशा और दिशा पर विचार करने के लिए, इस प्रकार के आयोजन कर आप नए Ideas, नएSolutions के लिए भी लोगों को प्रेरित कर रहे हैं। इसके लिए भी आप सभी को बहुत-बहुत बधाई।
आजादी के पहले, आजादी के दीवाने ही पत्रकारिता करते थे। पत्र-पत्रिकाएं, आजादी का बिगुल बजाती थीं। आजाद भारत में, सुखी-समृद्ध देश के लिए सकारात्मक खबरों की भी बहुत जरूरत है। देशवासियों में कुछ करने की इच्छा जगे, देश को आगे बढ़ाने की इच्छा जगे, ये बहुत आवश्यक है। जैसी स्वराज के आंदोलन की स्पिरिट थी, वैसी ही सुराज्य के आंदोलन की ऊर्जा होनी चाहिए। भारत, विश्व में एक ताकत के रूप में उभरे,इसके लिए कई क्षेत्रों में हमें वैश्विक ऊँचाई को प्राप्त करना होता है।
चाहे साइंस हो, टेक्नोलॉजी हो, इनोवेशन हो, स्पोर्ट्स हो, उसी प्रकार दुनिया में भारत की आवाज बुलंद करने के लिए हमारा मीडिया भी वैश्विक पहुंच बनाए, वैश्विक पहचान बनाए, ये समय की मांग है। आज भारत के मीडिया वर्ल्ड को, इस चुनौती को स्वीकार करना चाहिए।
Surging India, ये दो शब्द 130 करोड़ भारतीयों की भावनाओं का प्रकटीकरण हैं। ये वो फीलिंग्स हैं, वो वाइब्रेशंस हैं, जो आज पूरी दुनिया अनुभव कर रही है। समाज जीवन के हर पहलू में वो वैश्विक मंच पर अपनी सही जगह की तरफ तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। भारत की अर्थव्यवस्था हो, भारत की प्रतिभा हो, भारत की सामाजिक व्यवस्था हो, भारत के सांस्कृतिक मूल्य हों या फिर भारत की सामरिक ताकत, हर स्तर पर भारत की पहचान और मजबूत हो रही है।
आज मैं मीडिया के मंच पर हूं, सवाल आपको बहुत प्रिय होते हैं, इसलिए मैं भी कुछ सवालों के साथ अपनी बात की शुरुआत करूंगा। कहते हैं जैसा संग वैसा रंग, कुछ पल आपके साथ का संग है तो मुझे भी आदत लगती है। जैसे आपके सवालों में बहुत कुछ छिपा होता है, वैसे ही मेरे सवालों में भी आपको Surging Indiaके बहुत से उत्तर अपने आप मिल जाएंगे ।
क्या चार साल पहले किसी ने सोचा था कि भारत इतनी जल्दी फाइव ट्रिलियन डॉलर Economies के क्लब में शामिल होने की तरफ अपना कदम बढ़ा देगा ? क्या चार साल पहले किसी ने सोचा था किEase of Doing Business की रैंकिंग में 142 से 77 पर आ जाएगा, भारत टॉप 50 में आने की ओर तेज़ गति से कदम रख रहा है । क्या चार साल पहले किसी ने सोचा था कि भारत में एसी ट्रेन में चलने वाले लोगों से ज्यादा लोग हवाई सफर करने लगेंगे ? हवाई जहाज में बैठे होंगे? क्या चार साल पहले किसी ने सोचा था कि रिक्शा चलाने वाला भी,
सब्जी वाला भी और चायवाला भी BHIM App का इस्तेमाल करने लगेगा, अपनी जेब में रूपे डेबिट कार्ड रखकर अपना आत्मविश्वास बढ़ाएगा ?
क्या चार पहले किसी ने सोचा था कि भारत का एविएशन सेक्टर इतना तेज आगे बढ़ेगा कि कंपनियों को एक हजार नए हवाई जहाज का ऑर्डर देना पड़ेगा ? और आपको जानकर के हैरानी होगी कि हमारा देश में आज़ादी से अबतक कुल 450 हवाई जहाज operational है, प्राइवेट हो, पब्लिक हो , सरकारी हो, कुछ भी हो । एक साल में एक हज़ार नए हवाई जहाज का order यह बताता है । क्या चार साल पहले किसी ने सोचा था कि भारत में नेशनल वॉटरवेज एक सच्चाई बन जाएंगे, कोलकाता से एक जहाज गंगा नदी पर चलेगा और बनारस तक सामान लेकर आएगा ? क्या चार साल पहले किसी ने सोचा था कि हम भारत में ही बनी, बिना इंजन वाली ऐसी ट्रेन का परीक्षण कर रहे होंगे, जो 180 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार पर दौड़ेगी ?
क्या चार साल पहले किसी ने सोचा था कि भारत एक बार में सौ सैटेलाइट छोड़ने का रिकॉर्ड बनाएगा, और इतना ही नहीं गगनयान के लक्ष्य भी पर आज वह आगे बढ़ रहा है । क्या चार साल पहले किसी ने सोचा था कि Start Up की दुनिया से लेकर Sports की दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा इतनी ज्यादा बढ़ जाएगी ?
चार साल पहले ये भी किसी ने नहीं सोचा था कि एक दिन हेलीकॉप्टर घोटाले का इतना बड़ा राजदार,क्रिश्चियन मिशेल भारत में होगा, सारी कड़ियां जोड़ रहा होगा। चार साल पहले ये भी किसी ने नहीं सोचा था कि 1984 के सिख नरसंहार के दोषी कांग्रेस नेताओं को सज़ा मिलने लगेगी, लोगों को इंसाफ मिलने लगेगा। आखिर ये परिवर्तन क्यों आया ? देश वही है, लोग वहीं है, ब्यूरोक्रेसी वही है, हमारे साधन वही हैं, संसाधन वही हैं, फिर इस परिवर्तन की वजह क्या है ?
हमारे यहां एक साइकोलॉजी रही है कि जब सरकार के खिलाफ आरोप लगाते हुए कोई अदालत में जाता है,तो माना जाता है कि सरकार गलत होगी और आरोप लगाने वाला सही होगा । यह आमतौर पे हमारी मान्यता है, घोटाले हों, भ्रष्टाचार के आरोप हों, यही एक मानसिकता हमारे मन में घर कर गयी है, क्यूंकि हमने वही देखा है पहले । लेकिन ये भी पहली बार हुआ है जब कुछ, सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए देश की सबसे बड़ी अदालत गए और अदालत ने उन्हें दो टूक जवाब मिला कि जो काम हुआ है, वो पूरी पारदर्शिता से हुआ है, ईमानदारी से हुआ है। हमारे देश में ऐसा भी होगा, चार साल पहले ये भी किसी ने नहीं सोचा था।
भाइयों और बहनों, मैं अकसर देखता हूं कि आप लोग ब्रॉडकास्ट के दौरान पहले और अब की Two Window,यानि दो स्थितियों का फर्क बहुत दिलचस्पी से दिखाते हैं। मेरे पास भी पहले और अब की बहुत दिलचस्प तस्वीर है जो Surging India को और प्रभावी बनाती है।
आज देश के सामने 2014 से पहले की एक तस्वीर है जब स्वच्छता का दायरा 40 प्रतिशत से भी कम था। अब 2018 के अंत में वही दायरा बढ़कर 97 प्रतिशत पहुंच चुका है। आज देश के सामने 2014के पहले की तस्वीर है, जब देश के 50 प्रतिशत लोगों के पास बैंक खाते नहीं थे। अब 2018 के अंत में, देश के हर परिवार बैकिंग सिस्टम से जुड़ चुका है। आज देश के सामने 2014 के पहले की एक और तस्वीर है जहां टैक्स देने वालों की संख्या 3 करोड़ 80 लाख थी। अब इस साल ये संख्या बढ़कर लगभग 7 करोड़ हो चुकी है।
आज देश के सामने 2014 के पहले की एक तस्वीर है जहां सिर्फ 65 लाख उद्यमी टैक्स देने के लिए रजिस्टर्ड थे। अब आज स्थिति ये भी है कि सिर्फ डेढ़ साल में 55 लाख नए उद्यमी रजिस्ट्रेशन के लिए आगे आए हैं। आज देश के सामने 2014 के पहले की एक तस्वीर है जहां मोबाइल बनाने वाली सिर्फ 2 कंपनियां थीं। आज उन्हीं मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों की संख्या बढ़कर 120 के पार हो गई है। 2 से 120 ।
पहले और अब का ये बदलाव, Surging India की बहुत मजबूत तस्वीर को सामने रखता है। ये सब इसलिए हो रहा है कि आज देश में Policy Driven Governance और Predictable Transparent Policies को आधार बनाकर हमारी सरकार आगे बढ़ रही है। इसी का नतीजा है कि आज भारत में दोगुनी रफ्तार से हाईवे बन रहे हैं, दोगुनी रफ्तार से रेल लाइनों का दोहरीकरण हो रहा है, बिजलीकरण हो रहा है, 100 से ज्यादा नए एयरपोर्ट और हेलीपोर्ट पर काम हो रहा है, 30-30, 40-40 साल से अटकी हुई योजनाओं को पूरा किया जा रहा है।
आज आप भारत में कहीं भी जाएं, एक साइनबोर्ड जरूर देखने को मिलेगा- ‘Work in Progress’.
ये साइनबोर्ड सही मायने में ये दिखाता है कि ‘India in Progress’. सिर्फ सड़कें, फ्लाईओवर, मेट्रो नहीं, यहाँ नया भारत बनाने का काम हो रहा है ! मैं आज उस शहर में हूं, जिसके लिए कहते हैं ‘The city that never stops’. मैं यहां खड़ा होकर आपको ये कहना चाहता हूं कि Today, ‘India is a country that never stops’. न रुकेंगे, न धीमा पड़ेंगे, न थमेंगे : ये इंडिया ने ठान लिया है !
यहां मुंबई में भी 22 किलोमीटर लंबे मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक का निर्माण, मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन का काम,डबल लाइन सब-अर्बन कॉरिडोर का काम, सैकड़ों किलोमीटर के मेट्रो कॉरिडोर का काम, सब2014 में केंद्र में भाजपा सरकार बनने के बाद ही शुरू हुआ है। मुझे बताया गया है कि अंधेरी-विरार के व्यस्त section में नई ट्रेनें भी दी जा रही हैं, जिससे इस रेल लाइन की क्षमता 33 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी।
देश की ये आवश्यकताएं पहले भी थीं, मुंबई की ये आवश्यकताएं, ये जरूरतें, पहले भी तो थीं, कई दशकों से थीं। लेकिन काम अब हो रहा है। सोचिए क्यों ? इसका भी जवाब मैं आपको देना चाहता हूं और कोशिश करूंगा कि आप टीवी वालों के तौर-तरीकों से ही जवाब दूं।
मैं जब कभी समय मिलता है, तो अरनब को देखता हूं, देखने से ज्यादा सुनता हूं कि कैसे वो बहुत सारेGuests को लेकर बैठ जाते हैं, और सवाल-जवाब करते हैं। Two Window और Multiple Window का पूरा ताम-झाम होता है।
ऐसी ही एक Multiple Window हर महीने दिल्ली में प्रधानमंत्री कार्यालय में भी बनती है। ये बैठक होती है प्रगति की और इसमें लेखा-जोखा लिया जाता है, दशकों से अटके हुए प्रोजेक्ट का। पिछले चार साल में खोज-खोजकर मैंने वो प्रोजेक्ट निकाले हैं, जो जाने कब से फाइलों में दबे हुए थे। मैं आपको जानकारी देना चाहता हूं कि अब तक 12 लाख करोड़ रुपए से भी ज़्यादा के पुराने प्रोजेक्ट्स की समीक्षा, इस बैठक में की जा चुकी है। एक – एक प्रोजेक्ट की क्या अहमियत होती है, कैसे मेहनत होती है, ये भी मैं आपको मुंबई का ही उदाहरण लेकर बताता हूं।
मुझे याद है करीब तीन साल पहले ‘प्रगति’ की बैठक में नवी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट का विषय आया था,तो मैं हैरान रह गया था। मुंबई में दूसरे एयरपोर्ट को लेकर नवंबर 1997 में पहली बार कमेटी बनी थी। तब से लेकर करीब-करीब 20 साल तक सिर्फ फाइलें ही इधर से उधर दौड़ती रहीं, मैं कहूंगा उड़ती रहीं । इस बीच कितनी सरकारें आईं, कितनी चली गईं, फाइलें उड़ती रहीं, जहाज कभी नहीं उड़ा। लेकिन नवी मुंबई एयरपोर्ट की फाइल आगे नहीं बढ़ पाई।
प्रगति की बैठक में Multiple Window बनाकर, सारे अफसरों, सारे विभागों को एक साथ, आमने-सामने लाकर, हमारी सरकार ने इस प्रोजेक्ट के सामने आ रहे सारे रोड़े दूर किए, और अब नवी मुंबई एयरपोर्ट पर तेजी से काम चल रहा है।
सोचिए, ये सिर्फ एक प्रोजेक्ट की कहानी है। और मैं फिर बता दूं, ऐसे ही 12 लाख करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स को हम तेज़ गति से आगे बढ़ा चुके हैं। Surging India के पीछे, जो कार्य-संस्कृति में बदलाव आया है, ये उसका जीता जागता उदाहरण है।
कुछ साल पहले एक मंच पर मैंने 2 मित्रों की एक कहानी सुनाई थी। एक बार ये दो दोस्त जंगल में टहलने के लिए चले गए । लेकिन बड़ा घना जंगल था भयानक पशु थे तो अपने साथ सुरक्षा का भी सामान रखे हुए थे, बढ़िया quality का pistol, बंदूक अपने साथ थी । और फिर उनको नज़र नहीं आ रहा होगा तो रुक करके गाडी से उतरके, सोचा की ज़रा टहल ले तो टहलने के लिए निकल पड़े और जब टहलने के लिए निकल पड़े तो अचानक एक शेर आ गया। और सामान तो गाड़ी में पड़ा था, बंदूक तो गाड़ी में पड़ी थी, वहीं छोड़ आये और ये टहल रहे थे शेर आ गया। लेकिन अब इस परिस्थिति का मुकाबला कैसे करें? भागे तो भागे जाएं कहाँ? लेकिन उसमें से एक जो था उसने अपनी जेब से revolver का लाइसेंस निकाल के शेर को दिखाया की देख मेरे पास है।
हमारे देश में यही होता रहा है । साथियों, यही हमारी पहले की सरकार की approach थी। कुछ भी हो Actदे दो Action का कोई ठिकाना नहीं होता था। जब मैंने ये कहानी सुनाई थी, तब तो मैं प्रधान मंत्री भी नहीं था। तब मैंने कहा था कि हमें Act से भी आगे बढ़कर मजबूती के साथ Action लेने की ज़रूरत है। सरकार में आने के बाद, ये हमने कैसे साकार किया मैं आपको बताता हूं।
पिछली सरकार Food Security Act लेकर आई, बहुत गाने बजाये, उनके जो गीत गाने वाले लोग हैं बहुत चिल्ला चिल्ला के गाते रहते थे। बहुत हल्ला किया गया, बहुत तालियां बटोरी गईं, लेकिन हम जब 2014 में सत्ता में आए तब तक सिर्फ 11 राज्यों ने ही इसका लाभ लिया था। सोचिए, इतनी तालियां बटोरने के बाद भी भारत की बहुत बड़ी जनसँख्या इसका लाभ नहीं ले पा रही थी ।
हमने आने के बाद सुनिश्चित किया कि सारे 36 राज्यों और union territories के लोगों को इसका लाभ पहुंचना चाहिए। इसी तरह 2013-14 में बड़ी चर्चा चल रही थी कि गैस के 10 सिलेंडर देंगे या 12सिलेंडर देंगे और इसके नाम पर चुनाव लड़े जा रहे थे। लेकिन 2014 तक भारत के सिर्फ 55 प्रतिशत घरों में ही गैस का कनेक्शन था।
आप सोचिए 10 सिलेंडर-12 सिलेंडर के नाम पर चुनाव लड़े गए और देश की आधी जनता के पास तो गैस का कनेक्शन ही नहीं था।
हमारी सरकार, समस्याओं के स्थाई समाधान के लिए काम कर रही है, देश के सामने जो चुनौतियां हैं, उनकेPermanent Solutions की ओर बढ़ रही है। हम ऐसी व्यवस्थाओं को तोड़ रहे हैं, खत्म कर रहे हैं, जिन्होंने दशकों से देश के विकास को रोक रखा था। मैं आपको Insolvency and Bankruptcy Code यानि IBC का उदाहरण देना चाहता हूं।
हमारे देश में कर्ज को लेकर एक अजीब सी परंपरा थी कि कोई गरीब या निम्न मध्यम वर्ग का व्यक्ति एक लाख का कर्ज बैंक ले, और उसे लौटा न पाए तो उसका बचना मुश्किल हो जाता था । लेकिन इसके अलावा एक और तस्वीर से आप भली-भांति परिचित रहे हैं। देश में हजारों ऐसी बड़ी-बड़ी कंपनियां थीं, जो बैंक से 5-10 लाख नहीं, 5-10 करोड़ नहीं, बल्कि पांच सौ हजार करोड़ रुपए का कर्ज लेती थीं।
लेकिन अलग-अलग वजहों से जब ये कंपनियां बीमार पड़ती थीं, घाटे में चली जाती थीं, बैंकों का पैसा नहीं लौटा पातीं थीं, तो इन कंपनियों को और इन कंपनियों के मालिकों को कुछ नहीं होता था।
आजादी के बाद से 70 साल से देश में यही व्यवस्था चली आ रही थी। जानते हैं, ऐसा क्यों था ? ऐसा इसलिए था क्योंकि इन कंपनियों को एक खास तरह का सुरक्षा कवच मिला हुआ था। ये एक ऐसा सुरक्षा कवच, जिसमें कुछ खास लोगों, कुछ खास परिवार के निर्देश चलते थे। ये ऐसा सुरक्षा कवच था जो बैंकों को कार्रवाई से रोकता था, जो कंपनियों को भी प्रोत्साहित करता था कि क्यों लौटाओ बैंकों का पैसा, कौन आपसे पैसे मांगने आ रहा है ?
भाइयों और बहनों, मुझे पता कि कितनी दिक्कतें आईं, किस तरह के दबाव का सामना करना पड़ा, लेकिन2016 में Insolvency and Bankruptcy Code बनाकर मैंने इस सुरक्षा चक्र को तोड़ दिया। आज मैं गर्व से कह सकता हूं कि बैंकों से कर्ज लेकर बैठ जाने वाले, बीमार कंपनी के बहाने देश का हजारों करोड़ रुपए लेकर बैठे ऐसे लोग, ऐसी कंपनियां खुद अपना पैसा लौटाने लगी हैं।
सिर्फ दो साल में अब तक सवा लाख करोड़ रुपए खुद चलकर ऐसी कंपनियों ने बैंकों को और अपने देनदारों को लौटाए हैं। इसमें से बहुत सारी राशि छोटे सप्लायर्स की थी, छोटे उद्यमियों की थी, MSMEसेक्टर की थी। जिन कंपनियों पर इस कानून का डंडा चला है, ऐसी कंपनियों से अब तक पौने दो लाख करोड़ रुपए का कर्ज वापस लिया जा चुका है। यानि एक तरह से देखें तो 2016 में जो नया कानून बनाया, उसके बाद करीब-करीब तीन लाख करोड़ रुपए का कर्ज इन करोड़पतियों ने, इनकी कंपनियों ने अपने बैंकों को, अपने देनदारों कोचुकाने के लिए मज़बूर होना पड़ा है । और ये प्रक्रिया आज भी जारी है।
इसी तरह बैंकों को लूटकर जो भगोड़े हो जाते हैं, उनके लिए भी सख्त कानून अपना काम कर रहा है। अब देश में ही नहीं विदेशों में भी ऐसे अपराधियों की संपत्ति कुर्क हो रही है। ऐसे तमाम अपराधियों को दुनिया के किसी भी कोने में छुपने की जगह नहीं मिले, इसके लिए ये सरकार प्रतिबद्ध है।
भ्रष्टाचार को भारत में न्यू नॉर्मल मान लिया गया था। भारत में ये तो चलता ही है, इतना तो चलता ही है। अगर कोई सामने से आवाज़ उठाता था, नियम-कायदों की याद दिलाता था, तो सामने से तुरंत जवाब मिलता था कि, ये भारत है, यहां ऐसा ही चलता है। ऐसा ही क्यों चलना चाहिए ? कब तक चलना चाहिए ? स्थिति को वैसा ही क्यों रहना चाहिए ? ऐसी स्थिति को बदलना क्यों नहीं चाहिए ?
पिछले 4 साढ़े चार साल में, मैं इसी स्थिति को बदलने का प्रयास कर रहा हूं, देश को पीछे ले जाने वाली बंदिशों को तोड़ने का काम कर रहा हूं। कुछ लोग देश को भ्रमित करने में जुटे हुए हैं। लेकिन मुझे सत्य की शक्ति पर भरोसा है, और सत्यनिष्ठ देशवासियों पर मेरा भरपूर भरोसा है।
भाइयों और बहनों, आज भारत की विदेश नीति घरेलू मामलों, तुष्टिकरण के दबाव के तहत हम नहीं चल रहे हैं, बल्कि हमारी सारी नीतियां, सारी योजनाएँ सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय राष्ट्रहित से तय होती है। हमें कहां जाना है, किस देश के साथ संबंध रखने हैं, वो दोनों देशों के आपसी हितों से तय होते हैं।
यही कारण है कि भारत के पासपोर्ट की ताकत आज बढ़ी है। आज पूरी दुनिया में भारत की आवाज़ गंभीरता से सुनी जा रही है। दुनिया की ताकतवर संस्थाओं में भारत को प्रतिनिधित्व मिल रहा है। भारत की चिंताओं के प्रति संवेदनशीलता के साथ विचार होता है और भारत के लिए विशेष प्रावधान किए जाते हैं। OPEC जैसी संस्थाओं में प्रतिनिधित्व ना होने के बावजूद भारत की बात सुनी जाती है।
ये दुनिया में भारत के प्रति बढ़े विश्वास और हमारे मजबूत संबंधों का ही परिणाम है, कि भारत को धोखा देने वाले, हमारी व्यवस्थाओं से खेलने वालों को कानून के कठघरे में खड़ा किया जा रहा है। उनको भारत को सौंपा जा रहा है।
जब सार्वजनिक जीवन में सुचिता, पारदर्शिता हो और लोगों के लिए काम करने के प्रति, Conviction हो,कमिटमेंट हो तो बड़े और कड़े फैसले लेने का हौसला अपने आप आ जाता है । हमारे देश में दशकों से जीएसटी की मांग थी। आज हम संतोष के साथ कह सकते हैं कि जीएसटी लागू होने के बाद बाजार की विसंगतियां दूर हो रही हैं और सिस्टम की कार्य क्षमता बढ़ रही है। अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता की तरफ हम बढ़ रहे हैं।
समाज के मेहनती औऱ उद्यमी लोग, जो बाजार से जुड़े हैं, उन्हें एक साफ-सुथरी, सरल, इंस्पेक्टर राज से मुक्त व्यवस्था मिल रही है। पूरे भारत ने एक-मन होकर, इतने बड़े टैक्स रीफॉर्म को लागू करने के लिए प्रयास किया। हर किसी ने अपना योगदान दिया है। हमारे कारोबारियों और लोगों के इसी जज्बे का परिणाम है कि भारत इतना बड़ा बदलाव करने में सफल हो सका। विकसित देशों में भी छोटे-छोटे टैक्स रीफॉर्म लागू करना आसान नहीं होता है।
जैसा मैंने पहले कहा-जीएसटी लागू से पहले रजिस्टर्ड इंटरप्राइजेज की संख्या मात्र 66 लाख थी। जो अब बढ़कर 1 करोड़ 20 लाख हो गई है। शुरुआती दिनों में जीएसटी अलग-अलग राज्यों में वैट और एक्साइज की जो व्यवस्था थी, उसी की छाया में आगे बढ़ रहा था। जैसे-जैसे विचार-विमर्श हुआ, stakeholders से बात हुई, राज्य सरकारों से बात हुई, economists से बात हुई, टैक्स practitioners से बात हुई, धीरे-धीरे इसमें भी बदलाव आते रहे।
आज जीएसटी का सिस्टम काफी हद तक स्थापित हो गया है। और हम अभी भी आवश्यकता के अनुसार जन सामान्य के अनुकूलता के हिसाब से उसको ढालने के लिए प्रतिबद्ध हैं । यह बहुत महत्वपूर्ण बात आपको बताना चाहता हूँ आज हम उस स्थिति की तरफ पहुंच रहे हैं, जहां 99 प्रतिशत चीजें, 18 प्रतिशत या उससे कम टैक्स के दायरे में लाई जा सकती हैं। और हम उस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। इसके बाद जो एक आध-प्रतिशत लक्जरी आइटम्स होंगे, वे ही शायद 18 प्रतिशत के बहार रह जायेंगे, जिसमें कोई हवाई जहाज खरीद करके लाता है, कोई बहुत बड़ी मेहेंगी गाडी खरीद करके लाता है,शराब है, सिगरेट है ऐसी कुछ चीजे, मुश्किल से एक परसेंट भी नहीं । हमारा ये मत है कि GST को जितना सरल और सुविधा जनक किया जा सकता है,उसे किया जाना चाहिए। और यह स्पष्ट है, और मैं तो अभी जो GST council की मीटिंग होगी उसके लिए भी मैंने अपने सुझाव दे दियें हैं, क्यूंकि वह सभी राज्य मिल करके तय करते हैं, 99 परसेंट चीजें 18 परसेंट से नीचे हो जाएँगी आधा पौना या एक परसेंट, हवाई जाहज हो, बड़ी गाडी हो, शराब हो, सिगरेट हो, ऐसी चीजों को छोड़कर, सामान्य मानव से जुडी हुई सारी चीजे 99 परसेंट, 18 परसेंट से नीचे हो जाएँगी । और यह काम हम लगातार करते करते लक्ष्य को पार करने के दिशा में पहुंच रहे हैं।
मेरा और मेरी सरकार की सोच और विजन स्पष्ट है। दुनिया का सबसे बड़ी युवा आबादी वाला देश छोटे सपने नहीं देख सकता। सपने, आकांक्षाएं और लक्ष्य तो ऊंचे ही होने चाहिए। हम बड़े लक्ष्य की तरफ ईमानदारी से प्रयास करेंगे, तो उसे प्राप्त भी करेंगे। लेकिन लक्ष्य ही छोटा रखोगे तो सफलता भी छोटी ही नजर आएगी।
सरकार का पूरा सिस्टम, पूरी मशीनरी 70 वर्ष के सतत विकास से बनी है। 4 साढ़े 4 वर्ष पहले भी यही सिस्टम था, यही मशीनरी थी। लेकिन आज काम करने की स्पीड और स्केल दोनों कई गुणा बढ़ गए हैं। आज अनेक लक्ष्य ऐसे हैं जिनकी तरफ हम तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। सबके पास अपना घर हो, हर घर में 24 घंटे रोशनी हो, साफ पानी और साफ ईंधन सबको सुलभ हो, इन लक्ष्यों के बहुत नज़दीक आज भारत पहुंच रहा है। बच्चों को पढ़ाई, युवा को कमाई, बुज़ुर्गों को दवाई, किसान को सिंचाई और जन-जन की सुनवाई, इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए एक-एक पल हमारा समर्पित है।
एक नया विश्वास लिए, न्यू इंडिया, विश्व पटल पर अपनी भूमिका तय कर रहा है। नए ग्लोबल ऑर्डर में अपने रोल को Redefine कर रहा है। आने वाले दो दिनों में इस रोल पर देश विदेश से जुटे मेहमान यहां गंभीर चर्चा करेंगे, इसके लिए मेरी तरफ से आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं हैं । नई ऊर्जा पर सवार New India के बारे में बताने का आपने अवसर दिया, इसके लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं । और मुझे विश्वास है की जिस सपने को लेकर के पत्रकारिता से जुड़े हुए कुछ नौजवानो ने रिपब्लिक टी.वी. का प्रयोग किया है और अब तो हिंदी में भी जा रहे हैं, देश की अन्य भाषाओं में भी जाने का सोचेंगे लेकिन विश्व में भी अपनी जगह बनाने का सपना लेकर के चलेंगे इसी शुभकामना के साथ बहुत बहुत धन्यवाद ।