नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नई दिल्ली में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के रजत जयंती समारोह को संबोधित किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एनएचआरसी ने पिछले ढ़ाई दशकों में वंचितों और शोषितों की आवाज बनकर राष्ट्र निर्माण में योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों की रक्षा हमारी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण अंग है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद स्वतंत्र और निष्पक्ष न्याय प्रणाली; एक सक्रिय मीडिया; एक सक्रिय नागरिक समाज और एनएचआरसी जैसे संगठन मानवाधिकारों की रक्षा के लिए बनाए गए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मानवाधिकार केवल एक नारा नहीं होना चाहिए बल्कि हमारे चरित्र का हिस्सा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछले चार वर्षों अथवा उसके बाद गरीबों का जीवन स्तर सुधारने के लिए अनेक गंभीर प्रयास किए गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार का पूरा ध्यान यह सुनिश्चित करने पर लगा है कि मनुष्य की आधारभूत जरूरतों तक सभी भारतीयों की पहुंच हो। इस संदर्भ में उन्होंने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ; सुगम्य भारत अभियान; प्रधानमंत्री आवास योजना; उज्जवला योजना और सौभाग्य योजना की उपलब्धियों और इन योजनाओं के परिणाम स्वरूप लोगों के जीवन में आए बदलाव का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 9 करोड़ से अधिक शौचालयों के निर्माण ने करोड़ों गरीब लोगों के लिए स्वच्छ और प्रतिष्ठित जीवन सुनिश्चित किया है। उन्होंने हाल में आयुष्मान भारत के अंतर्गत शुरू स्वास्थ्य गारंटी पहल- पीएमजेएवाई का जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने केन्द्र सरकार की वित्तीय समावेश पहलों की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से राहत प्रदान करने वाला कानून भी लोगों को मूलभूत अधिकार प्रदान करने की श्रृंखला में उठाया गया एक कदम है।
प्रधानमंत्री ने न्याय प्रणाली तक पहुंच आसान बनाने के लिए ई-अदालतों की संख्या में बढ़ोतरी और राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड को मजबूत बनाने जैसे कदमों का जिक्र किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इन पहलों की सफलता जन भागीदारी के कारण संभव हुई है। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता के साथ नागरिकों को अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के प्रति भी जागरुक होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो लोग अपनी जिम्मेदारियों को समझते हैं, वे यह भी जानते हैं कि दूसरों के अधिकारों का सम्मान कैसे किया जा सकता है।