नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास (आईआईटी मद्रास) के 56वें दीक्षांत समारोह में शिरकत की।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा, ‘मेरे सामने मिनी-इंडिया और न्यू इंडिया का जज्बा दोनों ही हैं। यह ऊर्जा, जीवंतता और सकारात्मकता है। मैं आपकी आंखों में भविष्य के सपने देख सकता हूं। मैं आपकी आंखों में भारत की नियति देख सकता हूं।’ यहां से स्नातक की डिग्री लेने वाले विद्यार्थियों के अभिभावकों और शिक्षकों को बधाई देते हुए प्रधानमंत्री ने सहायक कर्मचारियों (सपोर्ट स्टाफ) की भी सराहना की। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैं सहायक कर्मचारियों की भूमिका पर भी प्रकाश डालना चाहता हूं। ये मौन रहने के साथ-साथ पर्दे के पीछे रहने वाले ऐसे लोग हैं जो आपका भोजन तैयार करते हैं, कक्षाओं को साफ-सुथरा रखते हैं और छात्रावासों में भी स्वच्छता सुनिश्चित करते हैं।’
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के युवाओं की क्षमता के प्रति विश्वास है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘अमेरिका की अपनी यात्रा के दौरान हमारी चर्चाओं में एक साझा कड़ी थी। यह नए भारत के प्रति आशावाद था। भारतीय समुदाय ने विश्व भर में विशेषकर विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। इसे कौन ऊर्जा प्रदान कर रहा है? इनमें से ज्यादातर आईआईटी में आपके सीनियर रह चुके हैं। आप विश्व स्तर पर ब्रांड इंडिया को और मजबूत बना रहे हैं।’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आज भारत पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की आकांक्षा रखता है, ऐसे में आपका नवाचार और प्रौद्योगिकी की अभिलाषा इस सपने को पूरा करेगी। यह सर्वाधिक प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था बनने के लिए भारत का आधार बन जाएगा। भारत में नवाचार दरअसल किफायती और उपयोगिता का अनूठा मिश्रण है।’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमने देश में अनुसंधान और नवाचार हेतु एक सुदृढ़ परिवेश बनाने के लिए अथक प्रयास किए हैं। अनेक संस्थानों में अटल इन्क्यूबेशन केन्द्र बनाए जा रहे हैं। अगला कदम स्टार्ट-अप्स के लिए एक बाजार ढूंढ़ना है।’
प्रधानमंत्री ने सराहना करते हुए कहा, ‘आपकी कड़ी मेहनत ने असंभव को संभव बना दिया है। अनेक अवसर आपकी प्रतीक्षा कर रहे हैं जिनमें से नि:संदेह सभी आसान नहीं हैं। सपने देखना कभी न छोड़ें, खुद को चुनौती देते रहें। इसी तरह से आप स्वयं को बेहतर बना पाएंगे।’
प्रधानमंत्री ने अनुरोध करते हुए कहा, ‘इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि आप कहां काम करते हैं और आप कहां रहते हैं, अपनी मातृभूमि की जरूरतों को भी अवश्य ध्यान में रखें। इस बारे में मनन करें कि आपके कार्य, शोध एवं नवाचार आपकी मातृभूमि की मदद कैसे करेंगे। यह आपकी सामाजिक जिम्मेदारी भी है।’
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा, ‘आज, एक समाज के रूप में, हम एकल उपयोग प्लास्टिक का उपयोग बंद कर इससे आगे बढ़ना चाहते हैं। इसका ऐसा पर्यावरण अनुकूल विकल्प क्या है जिसके समान उपयोग तो हैं, लेकिन समान नुकसान नहीं हैं। जब हम आप जैसे युवा अन्वेषकों की ओर देखते हैं तो यह उम्मीद बन जाती है। प्रौद्योगिकी जब डेटा विज्ञान, निदानिकी, व्यवहार विज्ञान और चिकित्सा के साथ एकजुट हो जाती है, तो दिलचस्प जानकारियां उभर कर सामने आ सकती हैं।’
प्रधानमंत्री ने स्वामी विवेकानंद को उद्धृत करते हुए कहा, ‘दो तरह के लोग हैं- वे जो दूसरों के लिए जीते हैं और वे जो स्वयं के लिए जीते हैं।” प्रधानमंत्री ने कहा कि जो लोग दूसरों के लिए जीते हैं वे एक खुशहाल और पूर्ण जीवन जीते हैं।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने यह कहते हुए अपना संबोधन समाप्त किया कि शिक्षा और शिक्षण एक सतत प्रक्रिया है। उन्होंने विद्यार्थियों से संस्थान छोड़ने के बाद भी शिक्षण और अन्वेषण को निरंतर जारी रखने का अनुरोध किया।