प्रधानमंत्री ने इस महामारी में जान गंवाने वाले लोगों के प्रति शोक व्यक्त किया। इस महामारी को पिछले सौ वर्षों में सबसे बड़ी आपदा बताते हुए, उन्होंने इसे एक ऐसी महामारी के रूप में चिन्हित किया जिसे आधुनिक दुनिया में न तो देखा गया और न ही अनुभव किया गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश ने इस महामारी से कई मोर्चों पर लड़ाई लड़ी। श्री मोदी ने कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं।
टीकाकरण की रणनीति पर पुनर्विचार करने और 1 मई से पहले की व्यवस्था को वापस लाने कीकई राज्यों की मांग को देखते हुए, प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि राज्यों के जिम्मे जो 25 प्रतिशत टीकाकरण था, उसे अब भारत सरकार द्वारा करने का निर्णय लिया गया है। इस निर्णय को दो सप्ताह में अमल में ला दिया जाएगा। दो सप्ताह में केन्द्र और राज्य नए दिशानिर्देशों के मुताबिक जरूरी तैयारियां करेंगे। प्रधानमंत्री ने आगे घोषणा कीकि आगामी 21 जून से, भारत सरकार 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी भारतीय नागरिकों को मुफ्त टीका प्रदान करेगी। भारत सरकार टीके के उत्पादकों के कुल उत्पादन का 75 प्रतिशत खरीदेगी और राज्यों को मुफ्त मुहैया कराएगी। किसी भी राज्य सरकार को टीकों के लिए कुछ भी खर्च नहीं करना होगा। अब तक करोड़ों लोगों को मुफ्त टीका मिल चुका है, अब इसमें 18 वर्ष वाले आयु – वर्गको जोड़ा जाएगा। प्रधानमंत्री ने इस बात को दोहराया कि भारत सरकार सभी नागरिकों को मुफ्त टीके उपलब्ध कराएगी।
श्री मोदी ने बताया कि निजी अस्पतालों द्वारा 25 प्रतिशत टीकों की सीधी खरीदकी व्यवस्था जारी रहेगी। राज्य सरकारें इस बात की निगरानी करेंगी कि निजी अस्पतालों द्वारा टीकों की निर्धारित कीमत पर केवल 150 रुपये का सर्विस चार्ज लिया जाए।
एक अन्य बड़ी घोषणा के तहत, प्रधानमंत्री श्री मोदी ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को दीपावली तक बढ़ाने के निर्णय से अवगत कराया। यानी नवंबर तक, 80 करोड़ लोगों को हर महीने निर्धारित मात्रा में मुफ्त अनाज मिलता रहेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस महामारी के दौरान सरकार गरीबों के साथ उनकी सभी जरूरतों के लिए उनके दोस्त के रूप में खड़ी है।
अप्रैल और मई के महीनों के दौरान इस महामारी की दूसरी लहर के दौरान मेडिकल ऑक्सीजन की मांग में अभूतपूर्व वृद्धि को याद करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार के सभी तंत्र को तैनात करके इस चुनौती से युद्धस्तर पर निपटा गया। श्री मोदी ने कहा कि भारत के इतिहास में मेडिकल ऑक्सीजन की इतनी मांग पहले कभी नहीं महसूस की गई थी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वैश्विक स्तर पर, टीके बनाने वाली कंपनियां और देश टीकों की वैश्विक मांग की तुलना में काफी पीछे हैं। ऐसी परिस्थिति में, मेड इन इंडिया टीका भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण था। प्रधानमंत्री ने कहा कि अतीत में, विदेशों में विकसित होने के दशकों बाद भारत को टीके मिलते थे। अतीत में इसका नतीजा हमेशा एक ऐसी स्थिति के रूप में होता था जिसमें भारत में टीकाकरण जहां शुरू भी नहीं होता था,वहीँ अन्य देश टीकाकरण का काम खत्म कर चुके होते थे। श्री मोदी ने कहा कि हमने मिशन मोड में काम करते हुए 5-6 वर्षों में टीकाकरण कवरेज को 60 प्रतिशत से बढ़ाकर 90 प्रतिशत कर दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने न सिर्फ टीकाकरण की गति बढ़ाई, बल्कि उसका दायरा भी बढ़ाया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बार भारत ने सभी आशंकाओं को दूर कर दिया और साफ इरादों, स्पष्ट नीति और निरंतर कड़ी मेहनत के जरिए भारत में कोविड के लिए न केवल एक, बल्कि भारत में निर्मित दो टीके लॉन्च किए गए। हमारे वैज्ञानिकों ने अपनी क्षमता साबित की। देश में अब तक टीके की 23 करोड़ से ज्यादा खुराकें दी जा चुकी हैं।
प्रधानमंत्री ने याद किया कि वैक्सीन टास्क फोर्स का गठन उस समय किया गया था जब कोविड -19 केकेवल कुछ हजार मामले ही थे और टीका बनाने वाली कंपनियों को सरकार द्वारा परीक्षण और अनुसंधान एवं विकास के लिए वित्त पोषण में हर संभव तरीके से सहयोग दिया गया। प्रधानमंत्री ने बताया कि अथक प्रयास और कड़ी मेहनत के कारण आने वाले दिनों में टीकों की आपूर्ति बढ़ने वाली है। उन्होंने बताया कि आज सात कंपनियां अलग-अलग तरह के टीके तैयार कर रही हैं। प्रधानमंत्री ने जानकारी दी कि तीन और टीकों का परीक्षण के अग्रिम चरण में है। प्रधानमंत्री ने बच्चों के लिए दो टीकों और एक ‘नाक के जरिए दिए जाने वाले टीके’ के परीक्षण के बारे में भी बताया।
प्रधानमंत्री ने टीकाकरण अभियान के बारे में विभिन्न हलकों की ओर से आने वाले अलग-अलग विचारों पर प्रकाश डाला। ज्योंहि कोरोना के मामले घटने लगे, राज्यों के लिए विकल्प की कमी को लेकर सवाल उठने लगे और कुछ लोगों ने सवाल किया कि केन्द्र सरकार सब कुछ क्यों तय कर रही है। लॉकडाउन में लचीलापन और सभी पर एक ही तरह की बात लागू नहीं होती के तर्क को आगे बढ़ाया गया। श्री मोदी ने कहा कि 16 जनवरी से अप्रैल के अंत तक भारत का टीकाकरण कार्यक्रम ज्यादातर केन्द्र सरकार के अधीन चलाया गया। सभी के लिए नि:शुल्क टीकाकरण का काम आगे बढ़ रहा था और लोग अपनी बारी आने पर टीकाकरण कराने में अनुशासन दिखा रहे थे। इन सबके बीच टीकाकरण के विकेंद्रीकरण की मांग उठाई गई और कुछ आयु वर्ग के लोगों को प्राथमिकता देने के निर्णय की बात उठाई गई। कई तरह के दबाव डाले गए और मीडिया के कुछ हिस्से ने इसे अभियान के रूप में चलाया।
प्रधानमंत्री ने टीकाकरण के खिलाफ अफवाह फैलाने वालों के बारे में आगाह किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे तत्व लोगों की जिंदगी से खेल रहे हैं और इनके खिलाफ सतर्क रहने की जरूरत है।