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प्रधानमंत्री ने सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में आईपीएस प्रशिक्षु अधिकारियों के साथ संवाद किया

देश-विदेश

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में आईपीएस प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित किया। उन्होंने इस दौरान आईपीएस प्रशिक्षु अधिकारियों के साथ संवाद भी किया। इस अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह और राज्य मंत्री (गृह) श्री नित्यानंद राय भी उपस्थित थे।

प्रशिक्षु अधिकारियों के साथ संवाद

प्रधानमंत्री ने भारतीय पुलिस सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों के साथ अत्‍यंत उत्साहपूर्ण माहौल में संवाद किया। प्रशिक्षु अधिकारियों के साथ संवाद अत्‍यंत सहज माहौल में किया गया और प्रधानमंत्री ने नई पीढ़ी के पुलिस अधिकारियों की आकांक्षाओं एवं सपनों पर चर्चा करने के लिए इस प्रतिष्ठित सेवा के आधिकारिक पहलुओं से परे जाकर संवाद किया।

आईआईटी रुड़की से अपनी पढ़ाई पूरी करने वाले हरियाणा के अनुज पालीवाल, जिन्हें केरल कैडर आवंटित किया गया है, के साथ संवाद के दौरान प्रधानमंत्री ने अधिकारी के एकदम अलग प्रतीत होने वाले, लेकिन पूरी तरह से उपयोगी प्राथमिकताओं के बारे में बात की।अधिकारी ने प्रधानमंत्री को अपराधों की जांच में अपनी जैव-प्रौद्योगिकी पृष्ठभूमि की उपयोगिता के साथ-साथ अपने चुने हुए करियर के विभिन्‍न पहलुओं से निपटने में सिविल सेवा परीक्षा में अपने वैकल्पिक विषय ‘समाजशास्त्र’ की उपयोगिता के बारे में बताया। प्रधानमंत्री ने कहा कि श्री पालीवाल को संगीत का शौक है जो पुलिस सेवा की उदासीन दुनिया में भले ही अजीब लगे, लेकिन यह शौक उनके लिए काफी मददगार साबित होगा एवं उन्हें एक बेहतर अधिकारी बनाएगा और इसके साथ ही उन्हें इस सेवा को बेहतर बनाने में मदद करेगा।

रोहन जगदीश, जो कानून स्नातक हैं, सिविल सेवा परीक्षा में जिन्होंने राजनीति विज्ञान एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध विषयों चयन किया और जो एक बेहतरीन तैराक भी हैं, से संवाद करते हुए प्रधानमंत्री ने पुलिस सेवा में फिटनेस के महत्व पर भी चर्चा की। प्रधानमंत्री ने समय बीतने के साथ प्रशिक्षण में आए बदलावों को लेकर चर्चा की। एक वह समय जब श्री जगदीश के पिता कर्नाटक में राज्य सेवा में अधिकारी थे और एक वह समय जब वह स्वयं बतौर आईपीएस अधिकारी बनकर कर्नाटक जा रहे हैं, के दौरान आए बदलावों को लेकर बातचीत की।

गौरव रामप्रवेश राय, जो महाराष्ट्र से सिविल इंजीनियर हैं, जिन्हें छत्तीसगढ़ कैडर मिला है, से संवाद करते हुए प्रधानमंत्री ने श्री राय के पसंदीदा खेल शतरंज को लेकर बातचीत की। किस प्रकार से शतरंज का खेल श्री राय के लिए रणनीति तैयार में मददगार सिद्ध हो सकता है, इसपर संवाद किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित होने के कारण क्षेत्र में कई गंभीर चुनौतियां हैं इनके समाधान के लिए जनजातीय क्षेत्र में कानून और व्यवस्था के साथ विकास व सामाजिक भागीदारी पर भी जोर दिया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि उनके जैसे युवा अधिकारी युवाओं को हिंसा के रास्ते से बाहर निकालने में अहम योगदान देंगे। उन्होंने कहा कि हम माओवादी हिंसा को नियंत्रित करने में सफल रहे हैं और जनजातीय क्षेत्रों में विकास एवं विश्वास के नए सेतु स्थापित किए जा रहे हैं।

हरियाणा की रहने वाली रंजीता शर्मा जिन्हें राजस्थान कैडर मिला हैं, से भी प्रधानमंत्री ने बात की। प्रधानमंत्री ने प्रशिक्षण के दौरान सुश्री रंजीता के सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षु अधिकारी चयनित होने की सराहना की। उन्होंने कहा कि सेवा के दौरान जनसंचार विषय की उनकी पढ़ाई काफी उपयोगी सिद्ध होगी। श्री मोदी ने इस बात को रेखांकित किया कि हरियाणा और राजस्थान में अपनी बेटियों की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए विभिन्न सकारात्मक प्रयास किए हैं। उन्होंने महिला अधिकारी को सलाह देते हुए कहा कि वे प्रत्येक सप्ताह एक घंटे के लिए अपने कार्यक्षेत्र की बालिकाओं से बात करें और उन्हें इस बात के लिए प्रेरित करें कि लड़कियों को अपनी पूर्ण क्षमता के अनुरूप उपलब्धि हासिल करनी चाहिए।

केरल के नितिनराज पी जिन्हें गृह राज्य कैडर आवंटित किया गया है, से संवाद करते हुए प्रधानमंत्री ने श्री नितिनराज को फोटोग्राफी और शिक्षण के प्रति उनकी रुचि को बनाये रखने की सलाह देते हुए कहा कि ये रुचियां लोगों के साथ सीधे तौर पर जुड़ने की अच्छी माध्यम हैं।

प्रधानमंत्री ने पंजाब की एक दंत चिकित्सक डॉक्टर नवजोत सिमी, जिन्हें बिहार कैडर आवंटित किया गया है, से कहा कि सैन्य बलों में महिला अधिकारियों की उपस्थिति सेवा में सकारात्मक बदलाव लाएगी। उन्होंने गुरुओं से मिली शिक्षा का जिक्र करते हुए अधिकारी को करुणा और संवेदनशीलता के साथ बिना किसी डर के कर्तव्यों का पालन करने का संदेश भी दिया। आगे उन्होंने कहा कि बेटियों का ज्यादा से ज्यादा पुलिस सेवा में शामिल होना पुलिस व्यवस्था को ओर अधिक मजबूत बनाएगा।

कोम्मी प्रताप शिवकिशोर, जो आईआईटी खड़गपुर से एम.टेक है और जिन्हें होम कैडर आंध्र प्रदेश मिला है, से भी प्रधानमंत्री ने बातचीत की। प्रधानमंत्री ने वित्तीय धोखाधड़ी से निपटने के लिए उनके विचार जानते हुए चर्चा की। प्रधानमंत्री ने सूचना प्रौद्योगिकी की समावेशी क्षमता पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने दुनिया में बढ़ते साइबर अपराध से निपटने के लिए उनसे इस दिशा में अपना तालमेल बनाए रखने को कहा। प्रधानमंत्री ने युवा अधिकारियों से डिजिटल जागरूकता में सुधार लाने के लिए अपने सुझाव भेजने को भी कहा।

श्री मोदी ने मालदीव के एक प्रशिक्षु अधिकारी मोहम्मद नाजिम से भी वार्तालाप किया। प्रधानमंत्री ने मालदीव के प्रकृति प्रेमी लोगों की सराहना की। उन्होंने कहा कि मालदीव सिर्फ पड़ोसी ही नहीं बल्कि एक अच्छा मित्र भी है। भारत वहां एक पुलिस अकादमी स्थापित करने में सहायता कर रहा है। प्रधानमंत्री ने दोनों देशों के बीच सामाजिक और व्यावसायिक संबंधों की भी चर्चा की।

प्रधानमंत्री का संबोधन

इस अवसर पर अपने संबोधन में, प्रधानमंत्री ने कहा कि आने वाला 15 अगस्त स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ का शुभारंभ करेगा। पिछले 75 वर्षों में एक बेहतर पुलिस सेवा के निर्माण के प्रयास किए गए हैं। हाल के वर्षों में, पुलिस प्रशिक्षण से संबंधित बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है। प्रधानमंत्री ने प्रशिक्षु अधिकारियों से स्वतंत्रता संग्राम की भावना का स्मरण रखने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि 1930 से 1947 के बीच की अवधि में, हमारे देश की युवा पीढ़ी एक महान लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एकजुट होकर आगे बढ़ी थी। उन्होंने कहा कि आज के युवाओं के भीतर भी यही भावना अपेक्षित है। प्रधानमंत्री ने जोर देते हुए कहा कि “उन्होंने ‘स्वराज्य’ के लिए लड़ाई लड़ी; आपको ‘सुराज्य’ के लिए आगे बढ़ना होगा।”

प्रधानमंत्री ने अधिकारी प्रशिक्षुओं से कहा कि वे इस समय के महत्व को याद रखें, कि जब वे अपने करियर में प्रवेश कर रहे हैं तब भारत अपने हरेक स्तर पर परिवर्तन से गुजर रहा है। उनकी सेवा के शुरुआती 25 साल इस देश के जीवन के महत्वपूर्ण 25 साल होने जा रहे हैं, क्योंकि भारतीय गणतंत्र अपनी स्वतंत्रता के 75वें वर्ष से अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी की ओर आगे बढ़ेगा।

प्रधानमंत्री ने तकनीकी हस्तक्षेपों के इस वक्त में पुलिस को एकदम तैयार रखने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि अब चुनौती नई तरह के अपराधों को और भी नवीन तरीकों से रोकने की है। उन्होंने साइबर सुरक्षा के लिए नए प्रयोग, अनुसंधान और तरीके अपनाने की जरूरत पर जोर दिया।

श्री मोदी ने प्रशिक्षु अधिकारियों से कहा कि लोग उनसे एक खास तरह के आचरण की अपेक्षा करते हैं। उन्होंने कहा कि वे न सिर्फ कार्यालय या मुख्यालय में बल्कि उससे भी परे अपनी सेवा की गरिमा के प्रति हमेशा सचेत रहें। प्रधानमंत्री ने कहा कि, “आपका इरादा ये हो कि आपको समाज में अपनी सारी भूमिकाओं के बारे में पता हो। आपको मित्रवत रहने और वर्दी की गरिमा को हमेशा सर्वोच्च रखने की जरूरत है।”

प्रधानमंत्री ने प्रशिक्षु अधिकारियों को याद दिलाया कि वे ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के ध्वजवाहक हैं, इसलिए उन्हें हमेशा ‘राष्ट्र पहले, हमेशा पहले’ के मंत्र को अपने ज़ेहन में रखना चाहिए और ये उनकी सभी गतिविधियों में झलकना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि अपने क्षेत्रों में रहते हुए आपके फैसलों में देश हित और राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए।

श्री मोदी ने नई पीढ़ी की होनहार युवा महिला अधिकारियों का आभार व्यक्त किया और कहा कि बल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए कोशिशें की गयी हैं। उन्होंने इस बात को लेकर आशा व्यक्त की कि देश की बेटियां पुलिस सेवा में दक्षता, जवाबदेही के उच्चतम मानकों का संचार करेंगी और साथ ही विनम्रता, सहजता एवं संवेदनशीलता के तत्व भी जोड़ेंगी। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि राज्य 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में आयुक्त प्रणाली शुरू करने पर काम कर रहे हैं। 16 राज्यों के कई शहरों में यह व्यवस्था पहले ही शुरू की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि पुलिस को प्रभावी और भविष्यवादी बनाने के लिए सामूहिक और संवेदनशील तरीके से काम करना जरूरी है।

प्रधानमंत्री ने महामारी के दौरान सेवा देते हुए अपनी जान गंवाने वाले पुलिस बल के सदस्यों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने महामारी के खिलाफ लड़ाई में उनके योगदान को याद किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अकादमी में प्रशिक्षण ले रहे पड़ोसी देशों के पुलिस अधिकारी देशों की निकटता और गहरे संबंध को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा कि चाहे वह भूटान हो, नेपाल हो, मालदीव हो या मॉरीशस, हम केवल पड़ोसी नहीं हैं, बल्कि हमारी सोच और सामाजिक ताने-बाने में भी काफी समानताएं हैं। हम सभी सुख-दुख के साथी हैं और जब भी कोई आपदा या विपत्ति की घड़ी होती है तो हम सबसे पहले एक-दूसरे की मदद करते हैं। कोरोना की अवधि में भी यह साफ दिखा है।

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