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प्रधानमंत्री ने स्वामी चिद्भवानंद की भगवदगीता का किंडल वर्सन लॉन्च किया

देश-विदेश

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से स्वामी चिद्भवानंद की भगवदगीता का किंडलवर्सन लॉन्च किया।

स्वामी चिद्भवानंद की भगवदगीता को ई-बुक के रूप में लॉन्च करते हुए प्रधानमंत्री ने ई-बुक वर्सन लाने की सराहना की, क्योंकि इससे युवा और अधिक संख्या में गीता के नेक विचारों से जुड़ेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि परम्परा और टेक्नोलॉजी का आपस में मिलन हो गया है। उन्होंने कहा कि इस ई-बुक से शाश्वत गीता और गौरवशाली तमिल संस्कृति के बीच संपर्क भी प्रगाढ़ होगा। उन्होंने कहा कि यह ई-बुक विश्वभर में रह रहे तमिल लोगों को आसानी से पढ़ने में सक्षम बनाएगा। उन्होंने विदेशों में रह रहे तमिल लोगों के अनेक क्षेत्रों में ऊंचाई पर पहुंचने और बसने के स्थान पर उनके द्वारा तमिल संस्कृति की महानता अपने साथ ले जाने की सराहना की।

स्वामी चिद्भवानंद को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वामी चिद्भवानंद का मस्तिष्क, शरीर, हृदय और आत्मा भारत के पुनर्निर्माण के प्रति समर्पित थी। उन्होंने कहा कि स्वामी चिद्भवानंद पर स्वामी विवेकानंद के मद्रास व्याख्यान का प्रभाव पड़ा, जिसमें उन्होंने राष्ट्र को सर्वोपरि रखने और लोगों की सेवा करने की प्रेरणा दी थी। उन्होंने कहा कि एक ओर स्वामी चिद्भवानंद स्वामी विवेकानंद से प्रेरित थे, तो दूसरी ओर अपने नेक कार्यों से विश्व को प्रेरित करते रहे। उन्होंने सामुदायिक सेवा, स्वास्थ्य, शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों के लिए और स्वामी चिद्भवानंद के नेक कार्य को आगे बढ़ाने के लिए श्री रामकृष्ण मिशन की सराहना की।

प्रधानमंत्री ने कहा कि गीता की सुंदरता, इसकी गहराई, विविधता और लचीलापन में है। उन्होंने कहा कि आचार्य विनोवा भावे ने भगवदगीता का वर्णन मां के रूप में किया है, जो बच्चे की गलती पर उसे अपनी गोद में ले लेती हैं। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी, लोकमान्य तिलक, महाकवि सुब्रह्मण्यम भारती जैसे महान नेता गीता से प्रेरित थे। उन्होंने कहा कि गीता हमें सोचने में सक्षम बनाती है, प्रश्न करने के लिए प्रेरित करती है, बहस को प्रोत्साहित करती है और हमारे मस्तिष्क को खुला रखती है। उन्होंने कहा कि जो भी व्यक्ति गीता से प्रेरित हैं, वह स्वभाव से दयालु और लोकतांत्रिक मनोदशा का होगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि श्रीमदभगवतगीता का जन्म तनाव और निराशा के दौरान हुआ था और आज मानवता ऐसे ही तनाव और चुनौतियों को दौर से गुजर रही है। उन्होंने कहा भगवदगीता विचारों का खजाना है, जो निराशा से विजय की यात्रा को दिखाती है। उन्होंने कहा कि श्रीमदभगवदगीता में दिखाया गया मार्ग उस समय और प्रासंगिक हो जाता है, जब विश्व महामारी से लड़ रहा हो और दूरगामी, सामाजिक तथा आर्थिक प्रभाव के लिए तैयार हो रहा हो। उन्होंने कहा कि श्रीमदभगवदगीता मानवता को चुनौतियों से विजेता के रूप में उभरने में शक्ति और निर्देश प्रदान करेगी। उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित पत्रिका का हवाला दिया, जिसमें कोविड महामारी के समय गीता की प्रासंगिकता की लंबी चर्चा की गई है।

प्रधानमंत्री ने कहा की श्रीमदभगवदगीता का मूल संदेश कर्म है, क्योंकि यह अकर्मण्यता से कहीं अधिक अच्छा है। उन्होंने कहा कि इसी तरह आत्मनिर्भर भारत का मूल न केवल अपने लिए धन और मूल्य का सृजन करना है बल्कि व्यापक मानवता के लिए सृजन करना है। हम मानते हैं कि आत्मनिर्भर भारत विश्व के लिए अच्छा है। उन्होंने कहा कि गीता की भावना के साथ मानवता की पीड़ा दूर करने और सहायता देने के लिए वैज्ञानिकों ने कम समय में कोविड का टीका विकसित किया।

प्रधानमंत्री ने लोगों, खासकर युवाओं से श्रीमदभगवदगीता पर दृष्टि डालने का आग्रह किया जिसकी शिक्षाएं अत्यंत व्यावहारिक और जोड़ने वाली हैं। उन्होंने कहा कि तेज रफ्तार की जिंदगी में गीता शांति प्रदान करेगी। यह हमें विफलता के भय से मुक्त करेगी और हमारे कर्म पर फोकस करेगी। उन्होंने कहा कि सार्थक मस्तिष्क तैयार करने के लिए गीता के प्रत्येक अध्याय में कुछ न कुछ है।

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