प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव श्री एंटोनियो गुटेरेस के साथ एक द्विपक्षीय बैठक में हिस्सा लेने के बाद गुजरात में केवडिया के एकता नगर में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी में मिशन लाइफ का शुभारंभ किया। प्रधानमंत्री और संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर पुष्पांजलि अर्पित की। संयुक्त राष्ट्र के सभी क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले 11 राष्ट्रों के प्रमुखों द्वारा मिशन लाइफ के शुभारंभ पर बधाई के वीडियो संदेश भी प्रसारित किए गए।
सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के लिए तो भारत दूसरे घर जैसा है और उन्होंने अपनी युवावस्था के दिनों में कई बार भारत की यात्रा की। उन्होंने भारत में गोवा राज्य के साथ श्री गुटेरेस के पैतृक संबंध के बारे में बताया। प्रधानमंत्री ने भारत की अपनी यात्रा को एक अवसर के रूप में लेने के लिए श्री गुटेरेस को धन्यवाद दिया और इस बात पर प्रकाश डाला कि गुजरात में उनका स्वागत करना परिवार के एक सदस्य का स्वागत करने जैसा है।
प्रधानमंत्री ने मिशन लाइफ पहल को शुरू करने के लिए भारत को मिले समर्थन पर प्रसन्नता व्यक्त की और सभी राष्ट्रों के प्रमुखों को इस महान अवसर पर बधाई संदेश भेजने के लिए धन्यवाद दिया। जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में एकता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए श्री मोदी ने कहा कि मिशन लाइफ का शुभारंभ भारत के राष्ट्रीय गौरव सरदार वल्लभभाई पटेल की विशाल प्रतिमा स्टेच्यू ऑफ यूनिटी के सानिध्य में हो रहा है। उन्होंने कहा, “दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा निर्धारित लक्ष्यों को हासिल करने में प्रेरणा का स्रोत होगी।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “जब मानक असाधारण होते हैं, तो रिकॉर्ड बहुत बड़े होते हैं।” गुजरात में हो रहे शुभारंभ के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि गुजरात भारत के उन राज्यों में से एक है जिसने सबसे पहले रिन्यूएबल एनर्जी और एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन की दिशा में काम करना शुरू कर दिया था। चाहे बात नहरों पर सोलर पैनल लगाने की हो या सूखाग्रस्त इलाकों में जल स्तर को ऊपर उठाने के लिए जल संरक्षण के अभियान हो गुजरात हमेशा ट्रेंडसेटर रहा है।
प्रधानमंत्री ने प्रचलित धारणा के बारे में बताया कि जलवायु परिवर्तन को लेकर ऐसी धारणा बना दी गई है जैसे यह सिर्फ पॉलिसी से जुड़ा विषय है। इसके लिए एक विचार प्रक्रिया की जरूरत मानते हुए इन सभी महत्वपूर्ण मुद्दों को केवल सरकार या अंतर्राष्ट्रीय संगठनों पर छोड़ दिया जाता है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन से हो रहे बदलाव को लोग अपने आसपास महसूस करने लगे हैं। पिछले कुछ दशकों में हमने इसके दुष्प्रभाव देखे हैं, अप्रत्याशित आपदाओं को झेला है। यह सीधे तौर पर स्पष्ट कर रहा है कि जलवायु परिवर्तन सिर्फ नीति-निर्माण से जुड़ा विषय नहीं है और लोग स्वयं यह समझ रहे हैं कि उन्हें एक व्यक्ति, परिवार और समुदाय के रूप में पर्यावरण में योगदान देना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा, “मिशन लाइफ का मंत्र ‘पर्यावरण के लिए जीवन-शैली’ है।” मिशन लाइफ के लाभों पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह इस धरती की सुरक्षा के लिए जन-जन की शक्तियों को जोड़ता है उनका बेहतर इस्तेमाल करना सिखाता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि मिशन लाइफ जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई को लोकतांत्रिक बनाता है जिसमें हर कोई अपने सामर्थ्य के हिसाब से योगदान दे सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा, “मिशन लाइफ हमें प्रेरित करता है कि हम सब अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में ऐसा बहुत कुछ कर सकते हैं जिसमें पर्यावरण की सुरक्षा हो। मिशन लाइफ मानता है कि अपनी जीवनशैली में बदलाव करके पर्यावरण की रक्षा की जा सकती है।” उन्होंने बिजली बिल कम करने और पर्यावरण की रक्षा के लिए भारत में एलईडी बल्ब को अपनाने का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, “इससे बड़े पैमाने पर बचत व पर्यावरणीय लाभ हुए और यह एक निरंतर स्थायी लाभ है।”
गुजरात को महात्मा गांधी की जन्मस्थली बताते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा, “वह उन विचारकों में से एक थे जो बहुत पहले पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर जीवन जीने का महत्व समझ गए थे। उन्होंने ट्रस्टीशिप की अवधारणा विकसित की। मिशन लाइफ हम सभी को पर्यावरण का ट्रस्टी बनाता है। ट्रस्टी वह होता है जो संसाधनों के अंधाधुंध इस्तेमाल की अनुमति नहीं देता है। एक ट्रस्टी एक पोषणकर्ता के रूप में काम करता है न कि एक शोषक के रूप में।”
प्रधानमंत्री ने विस्तार से बताया कि मिशन लाइफ पी-3 मॉडल की अवधारणा को मजबूत करेगा। पी-3 यानी प्रो प्लानेट पीपल। मिशन लाइफ धरती के लोगों को प्रो प्लेनेट पीपल के तौर पर जोड़ता है, सबको अपने विचार में समाहित कर, एक कर देता है। यह ‘लाइफ स्टाइल ऑफ द प्लानेट, फॉर द प्लेनेट एंड बाय द प्लानेट’ के मूल सिद्धांत पर चलता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अतीत की गलतियों से सीख लेकर ही भविष्य का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है। उन्होंने याद किया कि भारत में हजारों वर्षों से प्रकृति की पूजा करने की परंपरा रही है। वेदों में प्रकृति के तत्वों जैसे जल, पृथ्वी, भूमि, अग्नि और जल के महत्व का सटीक उल्लेख है। प्रधानमंत्री ने अथर्ववेद को उद्धृत किया और कहा, “माता भूमिः पुत्रोहं पृथिव्याः’ यानी पृथ्वी हमारी मां है और हम उसकी संतान हैं।”
प्रधानमंत्री ने ‘रिड्यूस, रियूज एंड रिसाइकल’ और सर्कुलर इकोनॉमी की अवधारणा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह हजारों वर्षों से भारतीयों की जीवन-शैली का हिस्सा रही है। दुनिया के अन्य हिस्सों की बात करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसी प्रथाएं प्रचलित हैं, जो हमें प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर चलने के लिए प्रेरित करती हैं। उन्होंने कहा, “मिशन लाइफ में प्रकृति के संरक्षण से जुड़ी हर उस जीवन-शैली को शामिल किया जाएगा, जिसे हमारे पूर्वजों ने अपनाया था और जिसे आज हमारी जीवनशैली का हिस्सा बनाया जा सकता है।”
भारत जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री ने बताया, “आज भारत में सालाना प्रति व्यक्ति कार्बन फुटप्रिंट करीब करीब डेढ़ टन ही है जबकि दुनिया का औसत 4 टन प्रति वर्ष का है।” फिर भी, भारत, जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक समस्या के समाधान के लिए सबसे आगे काम कर रहा है। श्री मोदी ने हर जिले में उज्ज्वला योजना, 75 ‘अमृत सरोवर’ जैसी पहलों और कचरे से धन पर अभूतपूर्व जोर देने के बारे में बताया। आज भारत के पास दुनिया में अक्षय ऊर्जा की चौथी सबसे बड़ी क्षमता है। प्रधानमंत्री ने कहा, “आज हम पवन ऊर्जा में चौथे और सौर ऊर्जा में पांचवें स्थान पर हैं। पिछले 7-8 वर्षों में भारत की अक्षय ऊर्जा क्षमता में लगभग 290 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। हमने समय-सीमा से 9 साल पहले गैर-जीवाश्म-ईंधन स्रोतों से बिजली क्षमता का 40 प्रतिशत हासिल करने का लक्ष्य भी प्राप्त कर लिया है। हमने पेट्रोल में 10 प्रतिशत एथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य भी हासिल किया था और वह भी समय-सीमा से 5 महीने पहले। राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन के माध्यम से भारत पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा स्रोत की ओर बढ़ा है। इससे भारत और दुनिया के कई देशों को नेट जीरो के अपने लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी।” आज भारत ‘प्रगति भी’ और ‘प्रकृति भी’ का एक उत्तम उदाहरण बन गया है। उन्होंने कहा कि आज भारत विश्व की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था भी बना है, हमारा वन क्षेत्र भी बढ़ रहा है और वन्यजीवों की संख्या में भी वृद्धि हो रही है।
वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड के वैश्विक अभियान पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अब ऐसे लक्ष्यों के प्रति अपने संकल्प को मजबूत करते हुए दुनिया के साथ अपनी साझेदारी को और भी बढ़ाना चाहता है। प्रधानमंत्री ने कहा, “डिजास्टर रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए गठबंधन के निर्माण का नेतृत्व करके, भारत ने दुनिया को पर्यावरण संरक्षण की अपनी अवधारणा से अवगत कराया है। मिशन लाइफ इस श्रृंखला का अगला चरण है।”
प्रधानमंत्री ने इस तथ्य से अवगत कराया कि जब भी भारत और संयुक्त राष्ट्र ने एक साथ मिलकर काम किया है, दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने के नए तरीके खोजे गए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का प्रस्ताव रखा था, जिसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा समर्थन दिया गया था। आज यह दुनिया भर के लाखों लोगों को स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रेरित कर रहा है।” अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष का उदाहरण देते हुए, जिसे संयुक्त राष्ट्र से काफी समर्थन मिला, प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत दुनिया को अपने पारंपरिक और पर्यावरण के अनुकूल, मोटे अनाज से जोड़ना चाहता है। उन्होंने कहा कि अगले साल अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष की चर्चा पूरी दुनिया में होगी। उन्होंने आगे कहा, “मिशन लाइफ इसे दुनिया के हर कोने, हर देश में ले जाने में सफल होगा।” प्रधानमंत्री ने निष्कर्ष के तौर पर कहा, “हमें इस मंत्र को याद रखना है- प्रकृति रक्षति रक्षिता, अर्थात जो प्रकृति की रक्षा करते हैं, प्रकृति उनकी रक्षा करती है। मुझे विश्वास है कि हम अपने मिशन लाइफ का पालन करके एक बेहतर दुनिया का निर्माण करेंगे।”
संयुक्त राष्ट्र महासचिव श्री एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि हमारे ग्रह के लिए इस खतरनाक समय में, हमें सभी को एक साथ लाने की जरूरत है। लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट-लाइफ पहल को आवश्यक और आशावादी सच्चाइयों को रेखांकित करने के लिए डिजाइन किया गया है। हम सभी, व्यक्ति और समुदाय, हमारी पृथ्वी और हमारे सामूहिक भविष्य की रक्षा से संबंधित समाधान का हिस्सा बन सकते हैं और ऐसा होना भी चाहिए। आखिरकार, अत्यधिक उपभोग ही पृथ्वी के तीन संकटों- जलवायु परिवर्तन, जैव-विविधता का नुकसान और प्रदूषण का मूल कारण है। हम अपनी जीवन-शैली के समर्थन के लिए अपने ग्रह पृथ्वी की तुलना में 1.6 गुना अधिक संसाधन का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बड़ी ज्यादती को बड़ी असमानता से जोड़ा गया है। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि लाइफ अभियान की पहल पूरी दुनिया में फैले। उन्होंने कहा, “मैं पर्यावरण की दृष्टि से अच्छी नीतियों को आगे बढ़ाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता और अक्षय ऊर्जा में निवेश बढ़ाने के संकल्प से बहुत उत्साहित हूं, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन का समर्थन करता हूं। हमें अक्षय क्रांति लाने की जरूरत है और मैं इस एजेंडे को आगे बढ़ाने में भारत के साथ काम करने के लिए उत्सुक हूं।” मिस्र में आगामी सीओपी 27 के बारे में बात करते हुए, महासचिव ने कहा कि सम्मेलन पेरिस समझौते के सभी स्तंभों पर विश्वास प्रकट करने और कार्रवाई में तेजी लाने के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक अवसर प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहा, “जलवायु प्रभावों और इसकी विशाल अर्थव्यवस्था के प्रति अपनी संवेदनशीलता के साथ, भारत एक महत्वपूर्ण ब्रिजिंग भूमिका निभा सकता है।”
महात्मा गांधी का हवाला देते हुए, श्री गुटेरेस ने कहा, “दुनिया के पास सभी की जरूरतों के लिए पर्याप्त संसाधन है लेकिन हर किसी के लालच के लिए नहीं।” उन्होंने कहा कि हमें पृथ्वी के संसाधनों का विवेक और सम्मान के साथ व्यवहार करना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने धनी देशों और जीवन-शैली में बदलाव लाने का संकल्प लिया ताकि हम पृथ्वी के संसाधनों को उचित रूप से साझा कर सकें और केवल वही ले सकें जो हमें चाहिए। अब जबकि भारत पूरी तरह से अपने इतिहास, संस्कृति और परंपरा के अनुरूप स्थिरता के एक नये युग की शुरुआत करने में मदद देने हेतु जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण करने वाला है, उन्होंने सभी देशों से भारत पर भरोसा करने का भी आग्रह किया।
गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल, केंद्रीय विदेश मंत्री श्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर और संयुक्त राष्ट्र महासचिव श्री एंटोनियो गुटेरेस भी इस अवसर पर अन्य लोगों के साथ उपस्थित थे।
पृष्ठभूमि
मिशन लाइफ का उद्देश्य स्थिरता के प्रति हमारे सामूहिक दृष्टिकोण को बदलने के लिए त्रिस्तरीय रणनीति का पालन करना है। सबसे पहले व्यक्तियों को अपने दैनिक जीवन (मांग) में सरल लेकिन प्रभावी पर्यावरण के अनुकूल कार्यों का अभ्यास करने के लिए प्रेरित करना है; दूसरा, उद्योगों और बाजारों को बदलती मांग (आपूर्ति) के लिए तेजी से प्रतिक्रिया देने में सक्षम बनाना और; तीसरा है टिकाऊ खपत और उत्पादन (नीति) दोनों का समर्थन करने के लिए सरकार और औद्योगिक नीति पर प्रभाव डालना।
Mission LiFE is a global movement to safeguard our environment from impact of climate change. https://t.co/aW6Vr556TA
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PM @narendramodi begins his address at global launch of Mission LiFE.
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Gujarat has been leading from the front in efforts towards renewable energy and environment protection. pic.twitter.com/A6jCMFx44e
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Climate change goes beyond only policy making. pic.twitter.com/myYczP3XO4
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मिशन लाइफ का मंत्र है ‘Lifestyle For Environment’ pic.twitter.com/KXrrqF2KMz
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Mahatma Gandhi spoke about Trusteeship.
Mission LiFE encourages us to be a trustee of the environment. pic.twitter.com/QTbh9cyRs5
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Pro Planet People. pic.twitter.com/1Yr0ITiHmF
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Lifestyle of the planet, for the planet and by the planet. pic.twitter.com/2G4taEAGTE
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Reduce, reuse, recycle as well as circular economy has been an integral part of Indians since thousands of years. pic.twitter.com/aYHBBKEFun
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India is committed to tackle the menace of climate change. pic.twitter.com/2LHaaBVxXF
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‘प्रगति भी और प्रकृति भी’ pic.twitter.com/xiFncvCZHD
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