नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड-19 के मद्देनजर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने की पहलों और सशस्त्र बलों की लघु और दीर्घावधि आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भारत में एक मजबूत और आत्मनिर्भर रक्षा उद्योग को सुनिश्चित करने हेतु संभावित सुधारों पर विचार-विमर्श के लिए एक विस्तृत बैठक का अध्यक्षता की। बैठक में आयुध कारखानों के कामकाज में सुधार, खरीद प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने, संसाधन आवंटन पर ध्यान केंद्रित करने, अनुसंधान एवं विकास/नवाचार को प्रोत्साहन देने, महत्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकियों में निवेश को आकर्षित करने और निर्यात को बढ़ावा देने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया।
प्रधानमंत्री ने रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्रों में दुनिया के शीर्ष देशों में भारत को स्थापित करने के मद्देनजर आत्मनिर्भरता और निर्यात के दोहरे उद्देश्यों को पूरा करने के लिए डिजाइन से लेकर उत्पादन तक में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी पर बल दिया। उन्होंने रक्षा क्षेत्र में घरेलू और विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए प्रस्तावित सुधारों की भी समीक्षा की।
बैठक में रक्षा व्यय को मितव्ययी बनाने के साथ-साथ बचत का उपयोग रणनीतिक रक्षा पूंजी अधिग्रहण के रूप में करने पर विचार-विर्मश किया गया। इसके अलावा रक्षा खरीद प्रक्रियाओं, ऑफसेट नीतियों, पुर्जों के स्वदेशीकरण, प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण, भारत में विनिर्माण सुविधाओं को स्थापित करने के लिए वैश्विक ओईएम को आकर्षित करने, अंतर्राष्ट्रीय आपूर्ति श्रृंखलाओं में भारतीय उपस्थिति का विस्तार करने आदि से संबंधित मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया गया। बैठक में इस विषय पर भी विशेष रूप से बल दिया गया कि रक्षा विनिर्माण में वैश्विक रूप से अग्रणी बनने हेतु भारत को गुणवत्ता और अत्याधुनिक उपकरणों/प्रणालियों/प्लेटफार्मों के निर्यात पर भी ध्यान केंद्रित करना होगा।
प्रधानमंत्री ने भारत की आयात निर्भरता को कम करने और अत्याधुनिक रक्षा उपकरणों के डिजाइन, विकास और विनिर्माण के लिए अपनी घरेलू क्षमताओं के निर्माण हेतु “मेक इन इंडिया” को आगे बढ़ाने के भी निर्देश दिये। उन्होंने वैश्विक रक्षा उत्पाद मूल्य श्रृंखला में उद्योगों की भागीदारी के साथ रक्षा उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने की पहलों के लिए एक ऐसे वातावरण को बनाने पर जोर दिया जहाँ अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ नवाचार को पुरस्कृत करते हुए भारतीय आईपी स्वामित्व का निर्माण किया जा सके।
बैठक में रक्षा मंत्री, गृह मंत्री, वित्त मंत्री और वित्त राज्य मंत्री के साथ-साथ भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कोयला और खान क्षेत्र को प्रोत्साेहन देने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए बैठक की
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कोविड-19 महामारी की पृष्ठभूमि में अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने के लिए खान एवं कोयला क्षेत्रों में संभावित आर्थिक सुधारों के बारे में विचार विमर्श करने के लिए आज एक विस्तृत बैठक की। इस बैठक में घरेलू स्रोतों से खनिज संसाधनों की सुगम और प्रचुर उपलब्धता सुनिश्चित करने, अन्वेषण बढ़ाने, निवेश और आधुनिक प्रौद्योगिकी आकृष्ट करने, पारदर्शी और कुशल प्रक्रियाओं के माध्यम से बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसरों का सृजन करने पर चर्चा की गई।
इस बैठक में अतिरिक्त ब्लॉक्स की नीलामी, नीलामी में व्यापक भागीदारी को प्रोत्साहन देने, खनिज संसाधनों का उत्पादन बढ़ाने तथा खान और ढुलाई की लागत में कमी लाने और कारोबार में सुगमता बढ़ाने के साथ साथ पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ विकास सहित कार्बन के उत्सर्जन में कमी लाने पर भी विचार विमर्श किया गया।
इस दौरान नीलामी की संरचना में सुधारों, कुशल संस्थागत प्रबंधों, अन्वेषण और खनन में निजी क्षेत्र की भागीदारी, सार्वजनिक क्षेत्र को और ज्यादा प्रतिस्पर्धी बनाने और साथ ही साथ खनिज विकास कोष के माध्यम से सामुदायिक विकास संबंधी गतिविधियों को व्यापक बनाने से संबंधित मामलों पर भी चर्चा की गई। घरेलू आपूर्तियों के लिए समुद्री मार्गों का उपयोग करने सहित खनिजों के निकास संबंधी बुनियादी ढांचे को विस्तृत और बेहतर बनाने पर भी विचार विमर्श किया गया।
संभावित सुधारों के लिए खानों से कोयले की रेलवे स्लाइडिंग तक ढुलाई के लिए कुशल एवं पर्यावरण की दृष्टि से सुदृढ़ फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी, रेल वेगनों पर ऑटोमैटिक लदान, कोयले के गैसीकरण और द्रवण, कोल बैड मीथेन अन्वेषण पर भी चर्चा की गई।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने रोजगार के अवसर बढ़ाने और विकास को बढ़ावा देने में खान क्षेत्र के योगदान की समीक्षा की। प्रधानमंत्री ने खनिजों के उत्पादन और देश के भीतर उनकी प्रॉसेसिंग के क्षेत्र में देश की आत्मनिर्भरता में सुधार लाने पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने कहा कि खनिज क्षेत्र को अपने परिचालनों को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाना चाहिए और उन्होंने इसके लिए उन्हें एक कार्ययोजना तैयार करने की सलाह दी। उन्होंने कुशल खनन के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकियों के उपयोग का आग्रह किया। उन्होंने मंजूरी प्राप्त करने में होने वाले विलम्ब में कमी लाने और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए निजी निवेश बढ़ाना सुगम बनाने के लिए राज्यों के साथ साझेदारी करने का लक्ष्य निर्धारित करने का निर्देश दिया। उन्होंने इस साल देश में विशेषकर कोयले के भंडार की विशाल इंफेंट्री की मौजूदगी को देखते हुए तापीय कोयला आयात स्थानापन्नता को लक्षित करने का निर्देश दिया।