नई दिल्ली: संसद के मानसून सत्र से एक दिन पहले आयोजित सर्वदलीय बैठक में संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने घोषणा करते हुए बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 20 जुलाई को पार्लियामेंट एनेक्सी में कोरोना महामारी पर दोनों सदनों के सदस्यों को संबोधित करेंगे।
सरकार की इस घोषणा पर एतराज जताते हुए विपक्षी दलों ने सवाल उठाया कि जब संसद सत्र चल रहा होगा तो बाहर संबोधन करने की जरूरत क्या है। यह बेहद अनियमित है और इसका मकसद मानकों की अनदेखी करना है। पार्लियामेंट एनेक्सी संसद भवन परिसर में एक अलग इमारत है।तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य डेरेक
ओ-ब्रायन ने कहा, ‘संसद के बाहर जाने की जरूरत क्या है। कोई भी संबोधन सदन में होना चाहिए। यह संसद की अनदेखी करने का एक और तरीका है। संसद का मजाक बनाना बंद कीजिए।’ उन्होंने आगे कहा, ‘सांसद किसी कांफ्रेंस रूम में प्रधानमंत्री या इस सरकार से महामारी पर पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन नहीं देखना चाहते।’माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, उनकी पार्टी का हमेशा से यह रुख रहा है कि जब संसद सत्र चल रहा हो तो सरकार को जो कुछ कहना है वह सदन में कह सकती है।
पवार ने नहीं किया विरोध
ओ-ब्रायन ने दावा किया कि बैठक में मौजूद विपक्षी नेताओं अधीर रंजन चौधरी, मल्लिकार्जुन खड़गे, रामगोपाल यादव, सतीश मिश्रा ने सरकार की इस घोषणा को सिरे से खारिज कर दिया। सूत्रों के मुताबिक, विपक्षी नेताओं में सिर्फ राकांपा प्रमुख शरद पवार ने इस एलान को सिरे से खारिज नहीं किया।
एमपीलैड बहाल करने की मांग
बैठक में कांग्रेस, वाईएसआर कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस समेत विभिन्न पार्टियों ने एमपीलैड फंड्स (स्थानीय क्षेत्रीय विकास निधि) को बहाल करने की मांग की। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने उन्हें आश्वस्त किया कि वह इस मसले को सरकार के समक्ष उठाएंगे। याद दिला दें कि कोरोना महामारी के चलते एमपीलैड फंड्स को स्थगित कर दिया गया था।
10 मिनट से कम रहे पीएम
ओ ब्रायन ने प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना करते हुए दावा किया कि वह बैठक में 10 मिनट से भी कम समय तक रहें। संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह मोदी ही हैं जिन्होंने 2014 से प्रधानमंत्री के तौर पर बैठक में शरीक होने की परंपरा शुरू की।