New Delhi: आज बुद्ध पूर्णिमा है। इस बुद्ध पूर्णिमा के पावन पर्व पर मेरी आपको और देशवासियों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं। देश बदल रहा है, छुट्टी है, हम लोग काम कर रहे हैं। आज 10 मई का एक और भी महत्व है, 1857 का स्वतंत्रता संग्राम देश की आजादी का एक बहुत बडा व्यापक संघर्ष का प्रारंभ 10 मई, आज शुरू हुआ था।
आज आधुनिकता की ओर एक और कदम वो भी न्यायव्यवस्था की तरफ से हो रहा है। मैं चीफ जस्टिस साहब और उनकी पूरी टीम को हद्य से बहुत-बहुत बधाई देता हूं, अभिनंदन करता हूं। वैसे तो हम इलाहाबाद में एक कार्यक्रम में मिले थे, तो चीफ साहब ने बड़ा ही विस्तार से आंकड़ों का एक पूरा चित्र वहां प्रस्तुत किया था वहां सबके सामने और देश में जो cases बाकी पड़े है pendency हैं और उन्होंने देश की Judiciary को अपील की थी कि आप vacation का कुछ समय दीजिए। एक तो वो सुनना ही मेरे लिए बहुत आनंददायक था वहां बैठकर के और बड़ा प्रेरक था और मुझे खुशी है कि मुझे कई जगह से खबरें आ रही है कि बहुत बड़ी मात्रा में हाई कोर्ट में, सुप्रीम कोर्ट में judges अपने vacation को कम करके इस देश के गरीबों के लिए अपना समय देने वाले हैं, मैं इसके लिए आपका बहुत आभारी हूं। Quantum के रूप में इसका परिणाम क्या आता है वो अलग बात है लेकिन इस प्रकार का भाव पूरे वातावरण को बदल देता है। एक sense of responsibility को बल देता है और सामान्य मानवी के मन में भी एक नया विश्वास पैदा होता है और ‘New India’ के लिए नया विश्वास भी उतना ही आवश्यक है और मैं इसके लिए हद्य से आप सबका बहुत आभार व्यक्त करता हूं।
आज हम technology के संबंध में सरकार का जो अनुभव है, मैंने राज्य में भी काम किया है यहां भी काम किया है, सरकारें या सरकार से जुड़ी हुई सारी व्यवस्थाएं दुर्भाग्य से technology का हमारा बड़ा सीमित अर्थ रहा वो hardware से रहा, hardware खरीदना, hardware बसाना, उसी को हमने technology मान लिया। कई दफ्तरों में आप जाएंगे तो पहले के जमाने में टेबल पर एक flower-pot रहता था, बड़ा अफसर आए तो बड़ा ताजे फूलों वाला रहता था। छोटा अफसर आए तो थोड़ा छोटा, लेकिन Flower-pot रहता था। युग बदल गया आधुनिकता आई तो Flower-pot की जगह बढि़या सा computer रहता है, न उसने उसको कभी खोला है, न कभी हाथ लगाया है, लेकिन बड़ा अच्छा लगता है। इसलिए समस्या technology की कम है, बजट की भी कम है mind-set is a problem. अब आज बुद्ध पूर्णिमा हैं तो भगवान बुद्ध की एक बात बड़ी प्रेरक है, वो हमेशा कहते थे कि मन बदले, मत बदले, मंतव्य बदले तभी बदलाव की शुरूआत होती है। भगवान बुद्ध का एक बड़ा ही प्रेरक संदेश है ये। और उस अर्थ में आज भी हमने देखा है कि हर किसी को लगता है कि अब छ: महीने हो गए मोबाइल फोन का मॉडल पुराना हो गया जरा नया मॉडल ला दें, कितना ही नया मॉडल लाएगा फिर भी उसकी जेब में contact list की डायरी रहती है। जबकि मोबाइल फोन में contact list की पूरी व्यवस्था है फिर भी उसकी डायरी रहती है क्योंकि हम दोस्तों के बीच में बैठते हैं तो हाथ में मोबाइल तो अच्छा होना चाहिए और green या red button से ज्यादा कुछ पता नहीं होता है। हम इतने, हमारी स्थिति ऐसी है कि हम बदलते कैसे नहीं हैं हम किसी को अगर SMS करते हैं बाद में फोन करते हैं, मेरा SMS मिला। चुनौती software में नहीं है, चुनौती hardware में भी नहीं है और इसके लिए एक सामूहिक मन बनाना पड़ता है एक chain अगर टूट गई तो process अटक जाती है। किसी को लगा कि मैं… अब देखिए हममें से कोई including myself जब तक अखबार हाथ में लेकर के अखबार नहीं पढ़ते तब तक मजा नहीं आता है। अखबार पड़ा ऐसा रहता है आज के बच्चे अखबार को छूते नहीं है यूं-यू करते हुए दुनिया भर की खबर लेकर के आ जाते हैं। तो ये जो बदलाव है इस बदलाव के साथ अपने आप को जोड़ना और ये एक environment create करना पड़ता है, तब जाकर के होता है जी। एकाध व्यक्ति का interest होगा वो करता रहेगा तो एकदम से पूरी व्यवस्था में isolate हो जाता है।
और इसलिए अभी चीफ साहब मुझे कह रहे हैं कि हम अभी एक प्रकार से Training का लगातार discussion का काम कर रहे हैं ताकि ये नीचे तक कैसे percolate हो इसके लिए हम प्रयास कर रहें हैं technology की ताकत बड़ी अदभुत है जो इसको अनुभव करेगा उसको अंदाज आएगा कि इसको कैसे उपयोग में लाना चाहिए। शुरू में उसको बड़ा डर लगता है कि यार ये मेरे बस का रोग नहीं है। आपने देखा होगा आप घर में बहुत बढि़या VCR ले आए हैं, बढि़या टीवी ले आए हैं, लेकिन आपका पोता जब आपको कुछ समझ में नहीं आता तो पोते को बुलाते हो अरे देखो यार कैसे ये अटक गया तो वो ठीक कर देता है यानि इतना बड़ा gap है generation का इस सारे मामले में।
और इसलिए इसको cop-up करना, एक generation के लिए थोड़ा कठिन है, लेकिन अगर वो generation इसको cop-up नहीं करेगी तो नीचे percolate होना impossible है। और इसलिए ये सबसे बड़ी चुनौती है, इसके साथ जुड़ी हुई है।
मेरे हिसाब से E-Governance, Easy-Governance, Effective Governance, Economical Governance, Environment Friendly Governance हम इस e-Governance को जीवन के हर क्षेत्र में कैसे लाएं? अब जो हम एक कागज A-4 size का एक कागज उपयोग करते हैं Research कहता है कि A-4 size का एक कागज पूरी प्रक्रिया के दरम्यान 10 लीटर पानी consume करता है। 10 लीटर पानी … इसका मतलब ये हुआ कि मैं अगर इस Paper-less दुनिया की ओर जाता हूं, तो मैं कितनी बड़ी आने वाली पीढि़यों की सेवा करना वाला हूं। मैं कितने जंगल बचाऊंगा, मैं कितनी बिजली बचाऊंगा, जब मैं बिजली बचाऊंगा तो मैं कितने बड़े environment के issues को address करुंगा, यानि एक प्रकार से ये व्यवस्था की अपनी एक ताकत है। लेकिन जब तक उस पूरे स्वरूप को हम नहीं जानते तब तक छोड़ो यार ये मेरा काम नहीं है। अगर हम इसको इसके व्यापक रूप में भी लोगो को provoke करेंगे, ये कोई पहले का सब बुरा था, और पुराना था, और ये करता है वही आधुनिक है, इस रूप में इसको देखने की इसको जरूरत नहीं है, ये बहुत ही सरल है, बहुत ही उपयोगी है और आज के समय में जब समय की कठिनाई है तो कम समय में करने वाला काम इससे होता है।
सरकार में by and large हमारा अनुभव ये है कि हम लोग ये मानते हैं, हमारे विभाग ये मानते है कि हम जो करते हैं बहुत अच्छा है। हमारी कोई गलतिया नहीं, होती हमारी कोई कमिया नहीं होती हैं। स्वाभाविक है जो जहां काम करता है वो ये मानता ही है। अभी दो महीने पहले जरा मैंने जरा एक रिस्क लिया मैंने सब डिपार्टमेंट को कहा कि आप मुझे बताए कि आपके यहां आपको लगता है कुछ कठिनाईया हैं, कुछ गलत हो रहा है या इसको ठीक करना है या कुछ process को simplify करना है, जरा दिखाइये? कुछ दिन तो नहीं-नहीं साहब हमारा सब बढि़या चल रहा है, कुछ खास problem नहीं है। मैं पीछे लगा रहा तो करीब 400 issues को identify किया अलग-अलग department का on date कि जिसमें सुधार की जरूरत थी या कुछ न कुछ intervention की जरूरत थी। अब बाद में मैंने Universities को ये काम दिया खासकर के 18 से 20-22 साल की उम्र के बच्चों को, कालेज के बच्चों को दिया और उनका एक हैकाथान का कार्यक्रम बनाया है 36 hours nonstop एक ही छत के नीचे बैठकर के काम करना और उसके solution ढूढ़ना, 400 issues उनको दे दिए सरकार के। 42,000 बच्चों ने इसमें हिस्सा लिया more then hundred universities & colleges ने उसमें भाग लिया और 36 hours nonstop एक ही छत के नीचे बैठकर के उन्होंने exercise की। I was surprised अधिकतम issues के solutions उन्होंने दिए हैं। Process के solutions दिए हैं। ज्यादातर फिर सरकार के साथ उनका interface हुआ, सरकार को उन्होंने बताया कि देखो इसका रास्ता ये है, इसका ये है। कई department ने इसको adopt भी किया है। और ये पिछले दो महीनें में ही हो चुका है। इसका मतलब हुआ कि हमारे पास इतना बड़ी संभावनाएं हैं, अगर हम कोशिश करें। और मैं जो चाहता हूं कि आप भी देश के technology की field के students को ऐसे अगर issue देंगे उनको कहें के ढूंढ के लाओ रास्ता क्या निकल सकता है रास्ता, क्या हो सकता है, क्या software बन सकता है, कैसी technique काम आ सकती है मैं विश्वास से कहता हूं कि वो इतना बढि़या चीजें देते हैं और solution देते हैं हम सरलता से उसको accept कर सकते हैं मायने स्वीकार कर सकते हैं। और मेरा मत है कि IT+IT = IT अब ये arithmetic वालों के भी काम नहीं है। जब मैं कहता हूं बड़े विश्वास से कहता हूं IT+IT = IT means Information Technology + Indian talent = India Tomorrow ये सामर्थ्य है इसमें। इस सामर्थ्य का हम उपयोग करके कैसे आगे बढें।
अब एक जमाना था जबकि currency terracotta के, मिट्टी के coin बनते थे दुनिया चलती थी। वक्त बदल गया कभी तांबे के सिक्के आए, कभी चांदी के आए, कभी सोने के आए, कभी चमड़े के आए, धीरे-धीरे करके कागज के आए। अभी ये बदलाव हमीं लोगों ने स्वीकार किया युग के अनुसार अब वक्त आ चुका है कि अब कागज वाली currency का वक्त जा रहा है अब digital currency हमको हमारे स्वभाव को बनाना पड़ेगा।
मैं इन दिनों खासकर के 8 नवंबर के बाद जिस क्षेत्र में मेरा कोई अनुभव नहीं था उसमें जरा ज्यादा interest लेने का मौका आया Digital Currency के लिए, Demonetization का दिन था 8 नवंबर। और मैनें अनुभव किया कि नोट छापना, उसको सुरक्षित रखना, उसको पहुंचाना transportation, अरबों खरबों रुपयों का खर्च है जी एक ATM को संभालने के लिए एक.. एक ATM को संभालने के लिए छ:-छ: पुलिस वाले लगते हैं जी। जबकि technology available है जेब में एक currency न हो तो भी आप अपना गुजारा कर सकते हैं इतनी technology आज उपलब्ध है। हम अगर जैसे सरकार initiative लेकर के BHIM App बनाया है। एक रुपये का खर्चा नहीं है, आप अपने मोबाइल पर डाउनलोड कीजिए, सामने वाले के पास हो, अपना कारोबार शुरू कर दीजिए, कोई problem नहीं है। देश के अरबों खरबों रुपये अगर बचेंगें तो किसी न किसी गरीब के घर बनाने के लिए, गरीब बच्चों की शिक्षा देने के लिए काम आना वाला हैं।
Technology पूरे economical atmosphere को change कर सकती है, ये ताकत है इसकी। हम इसको किस प्रकार से उपयोग में लाए और जीवन के हर क्षेत्र में हम इसको किस प्रकार से प्रयोग लाए हमने प्रयास करना चाहिए। मेरा स्वयं का अनुभव है कि बहुत तेजी से इसका महात्मय लोगो की समझ में आने लगा है। अगर खुद को नहीं आता है तो एक हम नौजवान रख लेते हैं, देखो भई तुम मुझे मेरे इस काम में assist करो, मुझे आदत नहीं है लेकिन तुम करो वो कर देता है। आज हम जिस technology के युग में जी रहें है शायद हजार साल में technology ने जो रोल play किया होगा, पिछले तीस साल में उससे हजार गुना ज्यादा technology ने रोल play किया है। जो काम हजार साल में नहीं हुआ है, वो तीस साल में हुआ है। और आज जो हो रहा है यहां से निकलने के बाद वही technology हो सकता है out dated हो जाए इतनी तेजी से technology बदल रही है, बहुत दूर तक दिन होंगे जबकि Artificial Intelligence dominate करेगा। Artificial Intelligence का पूरा field पूरी मानव जात को drive करने वाला है। Job बचेगी कि नहीं बचेगी उसका debate होगा, driver-less car आएगी, Artificial Intelligence से चलने वाली कार आने वाली है। ड्राइवर का क्या होगा? क्या Artificial Intelligence आने के बाद भी job-creation की संभावना है क्या? और जो उसके expert हैं उनका कहना है कि Artificial Intelligence के बाद job-creation की भारी संभावनाए बढ़ने वाली हैं। पूरा विश्व एक नई सोच की ओर जाने वाला है। उसके लिए नई generation तैयार होने वाली है। यानि जगत कितनी तेजी से बदल रहा है, technology मनुष्य को जिस प्रकार से drive कर ले जा रहा है, अगर हम उसके साथ अपने आप को थोड़ा सा भी cop-up नहीं रखगें, तो फासला इतना बढ़ जाएगा कि फिर हम इतने irrelevant हो जाएगें कि हमें कोई पूछेगा तक नहीं ये अवस्था दूर नहीं है।
और इसलिए Space Technology हम लोग आज हिन्दुस्तान में Space Technology and Science में बड़ी इज्जत कमाई है, दुनिया में हमारी प्रतिष्ठा बनी हैं। हम जो Mars में गए दुनिया को वहां पर first trial में कोई सफल नहीं हुआ था, भारत first trial में सफल हुआ। और खर्चा कितना हुआ आज अगर हम टेक्सी किराए पर लेते हैं एक किलोमीटर का मानों 10 रूपया 11 रूपया होता है हम Mars पर गए एक किलोमीटर 7 रूपये में गए। और दुनिया में हॉलीवुड की फिल्म का जो खर्च होता है, उससे कम बजट में हिन्दुस्तान ने Mars success किया है आज ये हमारे Scientists की talent की कमाल है, ये हमारे देश के वैज्ञानिकों का सामर्थ्य है। लेकिन दुर्भाग्य से इतना बड़ा Space Technology भारत की इतनी बड़ी achievements, लेकिन applicable science में हम, Science को apply करने की दिशा में हम बहुत पीछे पड़ गए हैं। मेरे यहां आने के बाद मैंने एक workshop किया सभी Joint Secretaries का कई दिनों तक किया Department-wise किया Space Technology का Governance में कैसे उपयोग होता है। आज हम रोड बनाते हैं, तो ऐसे-ऐसे बनाते हैं। Space Technology का उपयोग करिए तो आप minimum curves के साथ straight-way road बना सकते हैं, आप design कर सकते हैं और सारी चीजें कर सकते हैं। मुझें tribal को rights देना था जमीन का। मैंने Space Technology का उपयोग किया। और मुझे कोई proof की जरूरत नहीं थी, Space Technology से मैं सीधे कर सकता था कि ये Forest land है, जो कभी farming के लिए आती थी, 15 साल के पुराने फोटोग्राफ से, मैं तय कर सकता हूं कि यदि उसका right बनता है, हम उसको provide कर सकते हैं।
आज Justice System में जितनी खासकर के Criminal Justice के field में, न्याय की संभावना बढ़ गई है क्योंकि technology बहुत बड़ा support कर रही है। मोबाइल फोन ऐसे सबूत छोड़ कर के जाता है कि आपको evidence के लिए एकदम से scientific सुविधाए मिल जाती हैं। Forensics Science का बहुत बड़ा रोल हो रहा है! Accident के मसले CCTV Camera के फुटेज से आप Judgement देने के नतीजे पर पहुँच जाते हैं। कहने का तात्पर्य है कि पूरी Judiciary System को और अधिक सक्षम बनाना, और सरल बनाने में technology Forensics Science बहुत बड़ा role play कर सकती है। हम जितनी तेजी से इन चीजों को adopt करेंगे, हम बड़े सटीक निर्णय देंगे।
अब कोई कल्पना कर सकता था किक्रेट पहले umpire तय करता था हारा कि जीता। अब third umpire तय करता है कि भई तुम्हारा बाल सही था, पकड़े नहीं पकड़े, वो बता देता है, तो ऊपर से light कर देता है। अब कोई कहेगा umpire की नौकरी चली गई, umpire की नौकरी नहीं चली गई efficiency आई है। और इसलिए मैं समझता हूं कि technology के संबंध में हम जितनी सरलता के साथ उसको स्वीकारगें उतनी सरलता से मुझे जरूर लगता है कि इसका बहुत ही लाभ मिलने वाला है।
अभी रविशंकर जी pro-bono की बात कर रहे थे। मैं जरूर इसका आप सबके सामने उल्लेख करना चाहूंगा। ये जो हमारे देश में सोच है, ये देश के नागरिक ऐसे हैं, लोग ऐसे हैं, लोगों को तो अपना ही है, ये reality नहीं हैं। ये देश का मिजाज हम पहचानें, देश का मिजाज अलग है। ये platform ऐसा नहीं, मैं उदाहरण देने जा रहा हूं, उचित है लेकिन फिर भी वो ज्यादा suitable है इसलिए मैं दे रहा हूं, मुझे क्षमा करना, 2014 का जो इलेक्शन हुआ है। मेरी पार्टी ने मुझे प्रधानमंत्री के रूप में, उम्मीदवार के रूप में मुझे प्रस्तुत किया था, सामने भी कांग्रेस की पार्टी के लोग चुनाव लड़ रहे थे और उस चुनाव के पहले आपको मालूम होगा दिल्ली में एक बहुत बड़ी मीटिंग हुई थी कांग्रेस पार्टी की। और देश का पूरा ध्यान था कि वो क्या लेकर के देश के सामने आते हैं देश में चुनाव के लिए और जब प्रेस कांफ्रेंस हुआ था तो उन्होनें कहा था कि हमने निर्णय किया है कि 9 गैस की cylinder की बजाय 12 cylinder देंगे, यानि 2014 का चुनाव एक तरफ 9 cylinder और 12 cylinder इस तरफ था और दूसरी तरफ अलग ही वो एक। मैं उस समय की दृश्य की इसलिए याद दिलाता हूं, अब आप देखिए कि technology के बारह जिस देश में 9 और 12 cylinder की debate लोकसभा तक भविष्य तय करने के लिए हो रही थी, सरकार बनने के बाद मैंने देशवासियों से एक छोटी सी अपील की थी, लालकिले पर से और मैंने कहा था कि भाई अगर आप कोई afford कर सकते हैं तो आप सब्सिडी छोड़ दीजिए ना! इतना सा कहा और मैं आज बड़े गर्व के साथ कहता हूं कि मेरे देश के एक करोड़ 20 लाख परिवारों ने गैस की सब्सिडी surrender कर दी। हमने अपनी सोच के कारण 9 और 12 में हम उलझे थे, उनकी ताकत क्या है कभी उसको हमने address ही नहीं किया था जी।
एक बार मैंने डाक्टरों से अपील की थी कि आप के पास बहुत काम होगा बहुत patient होंगें जब एक काम मेरी मदद कर सकते हैं क्या? मैंने कहा हर महीना 9 तारीख को कोई भी गरीब pregnant women आपके दरवाजे पर आएगी आप बिना फीस लिए उस गरीब pregnant मां की चिंता करिए। आपको जानकर के आनंद होगा कि इस देश के हजारों gynecologists doctors ने अपने अस्तपताल के बाहर बोर्ड लगाया है और नौ तारीख को वो बिना charge लिए गरीब pregnant women को सेवा करते हैं, उनको मदद करते हैं उनको guide करते हैं, दवाई करते हैं।
जब मैं गुजरात में था बड़ा भंयकर भूकंप आया था, मैंने इंजीनियरिंग के students को कहा था छ: महीने के लिए समय दिजिए। बहुत बड़ी मात्रा में इंजीनियरिंग के students आए थे और मिशन तक मेरे साथ काम करने को खड़े हो गए थे। आज मैं देश की Legal fraternity को, खासकर के मेरे वकील मित्रों से आग्रह कर रहा हूं ये जो pro-bono की क्रमश: हमने एक App तैयार किया है आप अपने आप को register करवाइए किसी गरीब को मदद चाहिए तो मैं गरीब के लिए मुफ्त में तैयार हूं। एक पूरा देश में movement खड़ा हो गरीबों को legal help करने के लिए हम आगे आएं। और ये एक technology का कमाल है कि ये pro-bono के द्वारा व्यवस्था खड़ी की गई हैं। Technology से आप उसमें register कर सकते है, technology के माध्यम से जो requirement वाला है वो आ सकता है, या हमारे छोटे-मोटे organization हैं उनके द्वारा link up कर सकते हैं, लेकिन एक नया initiative अगर मेरे देश के गरीब, विधवा रिटायर टीचर वो जाकर के कतार में खड़ी रहकर के गैस सेलेंडर की सब्सिडी surrender कर सकती हैं, मेरे देश का Gynecologist doctor नौ तारीख को गरीब मां की सेवा करने को तत्पर रहता है, मेरे देश का नौजवान आपदा के समय अपने इंजीनियरिंग skill को लगा देने के लिए तैयार होता है, मेरे देश के IT का professional मैं उसको कहूं कि 36 घंटे खाये-पिये बिना एक छत के नीचे आ जाओ और देश की समस्याओं के समाधान के लिए कोई रास्ते निकालनें आ जाओ और 42 thousand नौजवान 36 घंटें के लिए 400 समस्याओं के समाधान के लिए रास्ता खोजते हैं, मुझे विश्वास है मेरे देश के वकील भी मेरे के गरीबों की मदद करने के लिए इस technology के माध्यम से आगे आएगे, और देश का भविष्य बदलने के लिए काम आएगें।
इसी अपेक्षा के साथ ये जो नया काम आपने शुरू किया है, खान्विलकर जी को मैं बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं, बधाई देता हूं चीफ साहब का मैं बहुत अभिनंदन करता हूं। मैं मानता हूं Digital India की दिशा में, न्याययिक व्यवस्था में technology का आना अपने आप में बहुत सेवा करेगा। बहुत-बहुत धन्यवाद।