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भारत-सिंगापुर आर्थिक सम्मेलन में प्रधानमंत्री का संबोधन

देश-विदेश

नई दिल्ली: भारत-सिंगापुर आर्थिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है। मेरी यह यात्रा बहुत लाभदायक और सकारात्मक रही है। आज सुबह सिंगापुर के नेताओं के साथ मेरी बैठकें बहुत बेहतरीन रही हैं। हमने सामरिक भागीदारी पर जो निर्णय लिए हैं वे हमारे संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाएगें। हमने इस रिश्ते के लिए महत्वाकांक्षा का एक उच्च स्तर निर्धारित किया है।

दोस्तों! हमारे ऐतिहासिक संबंध और सांस्कृतिक निकटता हमारी संपत्ति है। बड़ी संख्या में भारतीय प्रवासी सिंगापुर के जीवन और काम के माहौल को समृद्ध कर रहे हैं। हाल के वर्षों में आर्थिक संबंधों ने हमारे संबंधों में निर्णायक भूमिका निभाई है।

सिंगापुर, विश्व स्तर पर हमारा 10वां सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है। आसियान देशों में यह दूसरा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है। 2005 में व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते के बाद द्विपक्षीय व्यापार में कई गुना बढ़ोतरी हुई है। भारत में विदेशी निवेश के स्रोत के रूप में सिंगापुर दूसरे सबसे बड़े देश के रूप में उभरा है। हाल के दिनों में सिंगापुर में भारतीय विदेशी प्रत्यक्ष निवेश भी काफी बढ़ा है। सिंगापुर अब भारतीय निवेश के लिए शीर्ष स्थलों में से एक है।

भारतीय कंपनियाँ बड़ी संख्या में सिंगापुर में पंजीकृत हैं। पिछले कुछ दशकों में भारतीय बाजार की मौजूदगी की वजह से सिंगापुर की कंपनियों का भी भारतीय बाजार के साथ एक अपनेपन का रिश्ता बना है। हमारी कंपनियां बेहतरीन सेवा देने की स्थिति में हैं। दोनो ही तरफ से बड़ी संख्या में कंपनियों की बढ़ती हुई भागीदारी और दोनो देशों के बाजारों में विदेशी कंपनियों की मौजूदगी से मैं और भी रोमांचक भागीदारी की उम्मीद करता हूं।

  • आप को सुनिश्चितता की आदत है; भारत में विस्तार के लिए गुंजाइश है;
  • आप उर्ध्वाधर बढ़ने के शौकीन हैं; भारत का विकास ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज दोनों दिशाओं में है।
  • आप एक रोमांचक इनक्यूबेटर हैं; भारत एक विशाल प्रयोगशाला है।

इस प्रकार, सिंगापुर और भारत कई संभावनाओं वाले क्षेत्रों में एक साथ काम कर सकते हैं।

पिछले महीने मुझे सिंगापुर के सहयोग से शुरू होने वाली दो परियोजनाओं की आधारशिला रखने का अवसर मिला। पहली है, आंध्र प्रदेश की नयी राजधानी है- अमरावती। सिंगापुर इस नये शहर के मास्टर प्लान के निर्माण में जुड़ा है। दूसरा, मैंने मुंबई के जवाहर लाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट पर चौथे कंटेनर टर्मिनल की आधारशिला रखी जो पीएसए सिंगापुर की साझेदारी से बनाया जा रहा है। हम भी चांगी हवाई अड्डे के सहयोग से दो भारतीय हवाई अड्डों को संचालित करने का अवसर तलाश रहे हैं। ये हमारी आर्थिक साझेदारी को मजबूत बनाने के हाल के उदाहरण हैं।

सिंगापुर भी हमारे वैश्विक दृष्टिकोण में भारत का एक महत्वपूर्ण और मूल्यवान दोस्त है। हमारी लुक एंड एक्ट ईस्ट पॉलिसी के कार्यान्वयन में सिंगापुर एक आवश्यक सहयोगी है। इस नीति के क्रियान्वयन में सिंगापुर ने जो महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है, उसका मुझे पूरा ज्ञान है। मैं सिंगापुर के साथ एक बड़े स्तर पर काम करने को तत्पर हूं।

द्विपक्षीय दायरे से परे, तीसरे देशों के साथ, सहयोग के माध्यम से, काम करने के महत्वपूर्ण अवसर भी हैं। इसका एक उदाहरण आसियान आर्थिक समुदाय है जो अस्तित्व में आ चुका है। यह 600 मिलियन लोगों के लिए 3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के बाजार का निर्माण कर रहा है। यह आगे हमारे व्यापार को साझे तौर पर व्यापक दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र में अवसर तलाशने में मदद करेगा।

क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी), जिसमें आसियान और उसके छह वार्ता भागीदार हैं, में भी हमारी कंपनियों के लिए एक और संभावित अवसर है। अभी हाल में नई दिल्ली  में आयोजित भारत अफ्रीका फोरम समिट में, सिंगापुर को खास मेहमान के तौर पर आमंत्रित किया गया था। यह भारत-सिंगापुर एकजुटता के एक और आयाम की मान्यता है। हम अफ्रीकी देशों में संयुक्त रूप से काम कर सकते हैं।

देवियो और सज्जनों!

भारत आर्थिक और सामाजिक पैमाने पर परिवर्तन की ऐसी गति के दौर से गुजर रहा है जो इतिहास में बेजोड़ है। हमारी विकास दर पिछले साल 7.3 प्रतिशत थी। विश्व बैंक ने इस साल और बेहतर विकास दर का अनुमान लगाया है। बड़े देशों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। हम भी इस विकास का लाभ आम आदमी तक पहुंचाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। हमने वित्तीय समावेशन पर प्रमुख योजनाओं की शुरूआत की है। हमारी रणनीति है:

  • अर्थव्यवस्था को उत्साहित करना
  • लोगों को सशक्त बनाना
  • गैर वित्त पोषित को वित्त पोषित बनाना
  • गरीब को सुरक्षित बनाना
  • और सभी के आय स्तर में वृद्धि करना।

धन अंतिम व्यक्ति तक पहुँचना चाहिए। इस उद्देश्य के साथ, हमने 190 मिलियन नए बैंक खाते खोले हैं। उनके माध्यम से, हम गरीबों को लाभ का सीधा हस्तांतरण सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं। यह लक्ष्यीकरण भी सरकारी खर्च में अनुशासन ला रहा है। हमने नई बीमा और पेंशन योजनाओं की शुरूआत की है। ‘मुद्रा’ नामक एक नए बैंक के माध्यम से, हम छोटे व्यापारियों और व्यवसायियों का वित्त पोषण कर रहे हैं। हमने सभी के लिए आवास, पानी, बिजली और स्वच्छता प्रदान करने के लिए समयबद्ध लक्ष्य निर्धारित किया है। इस प्रकार,भारत अब आर्थिक क्रांति के अगले दौर में है। हमारे बदलते प्रतिमानों ने वैश्विक निवेशक समुदाय के लिए नए अवसर पैदा किये हैं।

इन अवसरों में 100 स्मार्ट शहरों की स्थापना के लिए 50 लाख सस्ते घरों के निर्माण से लेकर; रेलवे नेटवर्क का आधुनिकीकरण और नये रेल गलियारों की स्थापना के लिए रेलवे स्टेशनों का फिर से विकास; पारेषण और वितरण नेटवर्क के साथ 175 गीगावॉट का अक्षय ऊर्जा का उत्पादन। राष्ट्रीय राजमार्गों, पुलों और मेट्रो रेल नेटवर्क का निर्माण।

माल के उत्पादन और बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए इस तरह की एक विशाल संभावना की क्षमता किसी भी अन्य देश में उपलब्ध नहीं होगी। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है किपृथ्वी पर कोई भी जगह ऐसी नहीं है जो इतने बड़े पैमाने पर ग्राहक आधार की पेशकश कर सकती है।

हम अपनी नीतियों और लोगों के माध्यम से इस विकास की क्षमता का दोहन करने की कोशिश कर रहे हैं। डिजिटल भारत और कौशल भारत जैसे अभियान इस प्रक्रिया में भाग लेने के लिए लोगों को तैयार कर रहे हैं। हमने हाल के दिनों में नए व्यवसायों की संख्या में भारी वृद्धि देखी है। इनमें से कुछ की स्थापना तो वैश्विक खिलाड़ियों को चुनौती देने वाली है। पूरी तरह से इस ऊर्जा का दोहन करने के लिए, हमने हाल ही में स्टार्ट अप इंडिया अभियान शुरू किया है। स्टार्ट अप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया।

मित्रों, पिछले कुछ महीनों में विदेशी निवेशकों की भारत में रूचि बहुत तेजी से बढ़ी है। हालांकि, कुछ विनियामक और कराधान मुद्दे उनकी भावनाओं पर प्रतिकूल असर डाल रहे थे। हमने लंबे समय से विचाराधीन चिंताओं तो दूर करने के लिए बहुत निर्णायक कदम उठाए हैं।

आपको कुछ उदाहरण दे रहा हूँ –

  • हमने सुरक्षा और पर्यावरण मंजूरी सहित नियामक मंजूरी में तेजी लाई है;
  • हमने लाइसेंस राज को काफी उदार बनाया है;
  • हमने रक्षा औद्योगिक लाइसेंस की वैधता अवधि तीन साल से बढ़ाकर अठारह साल कर दी है;
  • हमने करीब 60 प्रतिशत रक्षा मदों को लाइसेंस देने की प्रक्रिया से बाहर कर दिया है। निर्यात के लिए अंतिम उपयोग प्रमाण पत्र जैसे प्रतिबंधों को उदार बनाया है।
  • हमने स्पष्ट कर दिया है कि हम पूर्वव्यापी कराधान का सहारा नहीं लेंगे।
  • और हमने इस स्थिति का कई तरीकों से प्रदर्शन किया है।
  • हमने विदेशी एवं अन्य निवेशकों के लिए कम्पोजिट सेक्टर कैप की अवधारणा प्रस्तुत की है।
  • हमने वैकल्पिक निवेश कोष के लिए नियमों को अधिसूचित किया है।
  • हमने रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट के लिए पूंजी लाभ कर व्यवस्था को तर्कसंगत बनाया है।
  • हमने स्थायी प्रतिष्ठान के मानदंडों को संशोधित किया है;
  • हमने जनरल एंटी-अवॉयडेंस रूल्स के कार्यान्वयन को दो साल के लिए स्थगित करने का फैसला किया है।
  • हमने संसद में जीएसटी विधेयक को पेश किया है, हमें उम्मीद है कि 2016 में यह पारित हो जाएगा।
  • एक नया दिवालियापन संहिता और नई आईपीआर नीति का मसौदा तैयार किया जा रहा है। कंपनी कानून न्यायाधिकरण का जल्द ही गठन किया जाएगा।
  • कोयला, स्पेक्ट्रम, और लौह अयस्क जैसे प्रमुख प्राकृतिक संसाधनों के आवंटन एवं नीलामी की हमारी पारदर्शी प्रणाली अब स्थिर है।

ये तो कुछ उदाहरण भर हैं। हम अपनी टैक्स व्यवस्था को पारदर्शी एवं उम्मीदों के मुताबिक बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। हम इसके लिए भी उत्सुक हैं कि असली निवेशक और ईमानदार करदाता जल्द मिलें और टैक्स के मामलों में स्पष्ट फैसला लें। इस उद्देश्य को हासिल करने के लिए हमने पहले ही काफी सुधार किए हैं।

हमारी पहल का परिणामः

  • विदेशी निवेश को लेकर भावनाएं अब प्रतिबद्धता में बदलने लगी है।
  • इस अवधि में पिछले साल की तुलना में इस साल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बढ़कर 40% हो गया है।
  • धारणाएं सकारात्मक परिणाम में बदल रही हैं।
  • विश्व बैंक के मुताबिक कारोबार को सरल बनाने के मामले में हम 12 पायदान ऊपर चढ़ गए हैं।
  • 32 फीसदी स्प्रिंट के साथ ब्रांड वैल्यू के मामले में भारत दुनिया का 7वां सबसे तरजीही देश बन गया है।
  • तमाम एजेंसियों एवं संस्थानों ने भारत को सबसे आकर्षक निवेश गंतव्य के रूप में लागातार नामित किया है।
  • साथ ही निवेश आकर्षित करने के मामले में भारत की यूएनसीटीएडी रैंकिंग सुधार हुआ है। हम पहले 15वें स्थान पर थे। लेकिन हम 9वें स्थान पर पहुंच गए हैं।
  • भारत भी विश्व आर्थिक मंच के वैश्विक प्रतिस्पर्धा सूचकांक पर 16 स्थानों की बढ़त हासिल की है।
  • रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत की रैंकिंग को सकारात्मक रूप से उन्नत किया है।

इस प्रकार सिर्फ 18 महीनों में हमने वैश्विक दिग्गजों की नजर में भारत की विश्वसनीयता को सफलतापूर्वक बहाल किया है। जैसे ही मेरी सरकार ने कार्यभार संभाला, हमने अन्य तमाम सुधारों के साथ एफडीआई जैसे उदारवाद को शुरू किया है। हमने रेलवे में 100 फीसदी एफडीआई की अनुमति दी है और रक्षा एवं बीमा क्षेत्र में इसकी सीमा बढ़ाकर 49 प्रतिशत कर दी है। हम ऐसी नीतियों को लेकर सचेत रहे हैं। हम पूरी भावना के साथ प्रक्रियाओं की भावना को तय कर रहे हैं। इस महीने की शुरुआत में एफडीआई के लिए अपनी अर्थव्यवस्था को खोलने के लिए कदम उठाए हैं।

इसके साथ अंतिम सुधारों का दौर: 

  • भारत विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के लिए सबसे अधिक खुली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।
  • एफडीआई के लिए कुछ नए क्षेत्रों को पूरी तरह खोल दिया गया है।
  • अधिकतर क्षेत्रों में अब एफडीआई को स्वतः मंजूरी दी जा रही है।
  • ग्रीनफील्ड क्षेत्रों के अलावा ब्राउनफील्ड जैसे क्षेत्र एफडीआई को स्वतः स्वीकर कर रहे हैं। इसमें सड़क, निर्माण एवं मेडिकल उपरण जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
  • एफडीआई के लिए प्रवेश और निकासी की स्थितियों में काफी राहत दी गई है।

दोस्तों! हम डिजिटल नेटवर्क्स और स्वच्छ ऊर्जा सहित अगली पीढ़ी के बुनियादी ढांचे में निवेश को बढाने के लिए उत्सुक हैं। मुख्य बुनियादी ढांचे के अलावा, अपने लोगों की आय तथा जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए हम अपने सामाजिक, औद्योगिक एवं कृषि-ढांचे में निवेश करने के लिए उत्सुक हैं।

हमने खर्चों पर नियंत्रण करके सार्वजनिक क्षेत्रों के द्वारा पूंजी निवेश में भारी बढ़ोतरी की है। इसका लाभ उठाने के लिए हमने नेशनल इंवेस्टमेंट एंड इफ्रास्ट्रक्चर फंड की स्थापना की है। कॉरपोरेट बॉन्ड मार्केट को विस्तार देने के लिहाज से हम टैक्स फ्री इंफ्रास्ट्रक्चर बॉन्डस लेकर भी आ रहे हैं। यह बुनियादी ढांचे के लिए दीर्घकालीन स्थिति में वित्त मुहैया कराएगा। बुनियादी ढांचे के लिए हमने कुछ देशों में रुपया बांड लांच करने का फैसला भी किया है। सिंगापुर भी उसमें से एक हो सकता है। इसको लेकर हम सिंगापुर के साथ काम करने के लिए काफी उत्सुक हैं।

 दोस्तों! भारत में लगभग 80 करोड़ लोग 35 साल की उम्र के नीचे हैं। उनकी आकांक्षाओं, ऊर्जा, उद्यम और कौशल का इस्तेमाल भारत के आर्थिक बदलाव के लिए किया जाएगा। लेकिन इसका लाभ उठाने के लिए युवाओं को रोजगार देना तात्कालिक चुनौती है। इस चुनौती से निपटने के लिए हमें विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने की जरूरत है, जो कई दशकों से जीडीपी केकरीब 16 फीसदी पर ठहर गई है। अल्प एवं मध्यम अवधि में इस साझेदारी को करीब 25 फीसदी तक पहुंचाना होगा। इसके मद्देनजर हमने मेक इन इंडिया की शुरुआत की है। हम सभी मोर्चों पर भारत को एक वैश्विक निर्माण हब बनाने के लिए काम कर रहे हैं। आधुनिक अर्थव्यवस्था की स्थापना के लिए विश्वस्तरीय निर्माण क्षेत्र के साथ हम वैश्विक कौशल को विकसित कर रहे हैं। इस उद्देश्य को हासिल करने के लिए कारोबार को सरल बनाने हेतु  उद्योगों एवं निर्माण क्षेत्र के लिए त्वरित मंजूरी दे रहे हैं। हमारी रणनीति का हॉल मार्क सुशासन है, जो भागीदारी एवं नीतियों को चलाने वाली है।

पीपीपी मॉडल के जरिये हम उन क्षेत्रों में निवेश के लिए निजी क्षेत्रों को उत्साहित कर रहे हैं, जहां अब तक सिर्फ सरकार निवेश करती रही है। हम बाजार में अनुशासन स्थापित करने के लिए सार्वजिनक क्षेत्र में अपनी हिस्सेदारी कम कर रहे हैं। अपनी अर्थव्यवस्था को दुनिया के साथ एकीकृत करने के लिए हम लगातार काम कर रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि आगामी तीन महीने भारत में निवेश को प्रभावित करने वाले मुद्दों को सुलझा लेंगे।

दोस्तों! जो कुछ भी हम कर रहे हैं;  उसकी दो तरह की प्रतिबद्धताएं हैं – पहली, हमारे लोग उसके केंद्र में रहने चाहिए। जो हम निवेश कर रहे हैं वह जनता के लिए होना चाहिए। हमारी विकास की तेज रफ्तार से लोगों का जीवन बदलना चाहिए।

हमारी दूसरी प्रतिबद्धता पर्यावरण, धरती और प्रकृति के प्रति है। राजनीति और अर्थव्यवस्था के विकास से जलवायु परिवर्तन के प्रति हमारी प्रतिबद्धता कम नहीं होती है। उनमें भय या पक्षपात का भाव नहीं दिखना चाहिए। वे इससे अलग नहीं कर सकते हैं कि प्रकृति हमारी मां है। प्रकृति हमें जीवन देती है और हमारे जीवन को स्थायीत्व प्रदान करती है। यह हमारी आस्था का एक लेख है। मुझे भरोसा है कि वैश्विक समुदाय इसके प्रति उससे अधिक काम करेगा जितनी आवश्यकता है। हम सामान्य रूप से जितना कर सकते हैं उससे अधिक काम करेंगे।

इन दोनों प्रतिबद्धताओं के साथ आर्थिक अवसर एवं गतिविधि मुहैया कराने के लिहाज से एक लहर पैदा होती है जो कि दूसरे देशों में नहीं है। बड़े निवेशकों के लिए अवसर के द्वार खुले हुए हैं।

यहां वे बातें बता रहा हूँ जो पिछले 18 महीनों में हमने कही हैं,

  • सुधारों से बड़े रास्ते खुल रहे हैं, अब उन्हें अंतिम दूरी तय करनी है;
  • सुधार से व्यवस्था में बदलाव आएगा ताकि वे काम कर सकें;
  • सामान्य भाषा में कहें तो उनका लक्ष्य लोगों को यह अहसास कराना है कि उनमें क्षमता है और वे अपने सपने पूरे कर सकते हैं;
  • इस और सामान्य भाषा में कहें तो, उनके चेहर पर और अधिक चमक आ गई है
  • इसके अलावा नई सीमाओं और वित्तीय बाजारों के लिए नींव रखी गई है।
  • अर्थव्यवस्था के उड़ान भरने के रास्ते तय कर दिए गए हैं

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