नई दिल्ली: इस औपचारिक उद्घाटन से पहले, मैं खगड़िया में अपने भाइयों और बहनों से बात कर रहा था। आज गांव के आप सभी से बात करके कुछ राहत भी मिली है और संतोष भी मिला है। जब कोरोना महामारी का संकट बढ़ना शुरू हुआ था, तो आप सभी, केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार, दोनों की चिंताओं में बने हुए थे। इस दौरान जो जहां था वहाँ उसे मदद पहुंचाने की कोशिश की गई। हमने अपने श्रमिक भाई-बहनों के लिए स्पेशल श्रमिक ट्रेनें भी चलाईं !
वाकई, आपसे बात करके आज आपकी ऊर्जा में भी जो ताजगी थी, और एक सम्मान का भाव था, एक विश्वास था, यह सबकुछ मैं महसूस कर रहा हूं। कोरोना का इतना बड़ा संकट, पूरी दुनिया जिसके सामने हिल गई, सहम गई, लेकिन आप डटकर खड़े रहे। भारत के गावों में तो कोरोना का जिस तरह मुकाबला किया है, उसने शहरों को भी बहुत बड़ा सबक दिया है।
सोचिए, 6 लाख से ज्यादा गांवों वाला हमारा देश, जिनमें भारत की दो-तिहाई से ज्यादा आबादी, करीब-करीब 80-85 करोड़ लोग जो गांवों में रहते हैं, उस ग्रामीण भारत में कोरोना के संक्रमण को आपने बहुत ही प्रभावी तरीके से रोका है। और यह जो हमारे गावों की जनसंख्या हैं, ये जनसंख्या यूरोप के सारे देशों को मिला दें, तो भी उससे कहीं ज्यादा है। ये जनसंख्या, पूरे अमेरिका को मिला दें, रूस को मिला दें, ऑस्ट्रेलिया को मिला दें, तो भी उससे कहीं ज्यादा है। इतनी बड़ी जनसंख्या का कोरोना का इतने साहस से मुकाबला करना, इतनी सफलता से मुकाबला करना, बहुत बड़ी बात है। हर हिंदुस्तानी इस बात के लिए गर्व कर सकता है। इस सफलता के पीछे हमारे ग्रामीण भारत की जागरूकता ने काम किया है, पंचायत स्तर तक हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं, हमारी स्वास्थ्य सुविधाएं, हमारे चिकित्सा केंद्र-वेलनेस सेंटर, हमारे स्वच्छता अभियान की अहम भूमिका रही है।
लेकिन इसमें भी ग्राउंड पर काम करने वाले हमारे साथी, ग्राम प्रधान, आंगनवाड़ी वर्कर, आशा वर्कर्स, जीविका दीदी, इन सभी ने बहुत बेहतरीन काम किया है। ये सभी वाह वाही के पात्र हैं, प्रशंसा के पात्र हैं।
अगर यह बात कोई और पश्चिमी देश में हुआ होता, तो दुनिया में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस सफलता की कितनी चर्चा होती, कितनी वाह-वाही होती। लेकिन हम जानते हैं कुछ लोगो को अपनी बात भी बताने में संकोच होता है , कुछ लोगो को लगता है भारत के ग्रामीण जीवन की वाह-वाही हो जाएगी तो दुनिया में फिर वह क्या जवाब देंगे। आप हकदार हैं इस प्रशंसा के, आप हकदार हैं इस पराक्रम के, आप हकदार हैं इतने बड़े जीवन और मौत का खेल जहाँ खेला जाता है, ऐसे वायरस के सामने गाँव वालों को बचने के लिए प्रशंसा के हकदार हैं। खैर दुनिया में इस तरीका का स्वाभाव है. हमारे देश में भी कुछ लोग हैं जो आपकी पीठ नहीं थपथपायेंगे खैर, कोई पीठ थपथपाए या न थपथपाए, मैं आपकी जय-जयकार करता रहूँगा। मैं आपके इस पराक्रम की बात दुनिया में गाजे बाजे के साथ करता रहूँगा। आपने अपने हजारों-लाखों लोगों को कोरोना से बचाने का पुण्य किया है।
आज मैं इस कार्यक्रम की शुरुवात से पहले ही हिंदुस्तान के ग्रामीणजनो ने जो काम किया है , हर गाँव ने जो काम किया है , हर राज्य ने किया है, मैं ऐसे गाँव, गाँव वासियों को सँभालने वालों को आदर पूर्वक नमन करता हूं!
देश के गरीबों, मजदूरों, श्रमिकों की इस शक्ति को नमन! मेरे देश के गांवों को नमन। शत-शत नमन। वैसे मुझे बताया गया है कि परसो से पटना में कोरोना टेस्टिंग के एक बड़ी आधुनिक टेस्टिंग मशीन भी काम शुरू करने वाली है। इस मशीन से करीब-करीब 1500 टेस्ट एक ही दिन में करने संभव होंगे। इस टेस्टिंग मशीन के लिए भी बिहार के लोगों को बधाई।
इस कार्यक्रम में जुड़ रहे केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे साथी, अलग-अलग राज्यों के सम्माननीय मुख्यमंत्री महोदय, आदरणीय नीतीश बाबू, अशोक गहलोत जी, शिवराज जी, योगी आदित्यनाथ जी, उपस्थित सांसद और विधायक साथी, सभी अधिकारीगण, पंचायतों के प्रतिनिधिगण और टेक्नॉलॉजी के जरिए देश के सैकड़ों गांवों से जुड़े मेरे कर्मठ कामगार साथियों, आप सभी को फिर से मेरा नमस्कार !!
आज का दिन बहुत ऐतिहासिक है। आज गरीब के कल्याण के लिए, उसके रोजगार के लिए एक बहुत बड़ा अभियान शुरू हुआ है। ये अभियान समर्पित है हमारे श्रमिक भाई-बहनों के लिए, हमारे गांवों में रहने वाले नौजवानों-बहनों-बेटियों के लिए। इनमें से ज्यादातर वो श्रमिक हैं जो लॉकडाउन के दौरान अपने घर वापस लौटे हैं। वो अपनी मेहनत और हुनर से अपने गाँव के विकास के लिए कुछ करना चाहते हैं! वो जब तक अपने गांव में हैं, अपने गांव को आगे बढ़ाना चाहते हैं।
मेरे श्रमिक साथियों, देश आपकी भावनाओं को भी समझता है और आपकी जरूरतों को भी। आज खगड़िया से शुरू हो रहा गरीब कल्याण रोज़गार अभियान इसी भावना, इसी जरूरत को पूरा करने का बहुत बड़ा साधन है।
बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, ओड़ीशा, मध्य प्रदेश और राजस्थान, इन 6 राज्यों के 116 जिलों में ये अभियान पूरे जोर-शोर से चलाया जाएगा। हमारा प्रयास है कि इस अभियान के जरिए श्रमिकों और कामगारों को घर के पास ही काम दिया जाए। अभी तक आप अपने हुनर और मेहनत से शहरों को आगे बढ़ा रहे थे, अब अपने गाँव को, अपने इलाके को आगे बढ़ाएँगे। और साथियों, आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि मुझे इस कार्यक्रम की प्रेरणा कुछ श्रमिक साथियों से ही मिली।
साथियों, मैंने मीडिया में एक खबर देखी थी। ये खबर उत्तर प्रदेश के उन्नाव से थी। वहां एक सरकारी स्कूल को क्वारन्टाइन सेंटर बनाया गया था। जो शहर से श्रमिक वापस आये थे उनको वहां रखा था। इस सेंटर में हैदराबाद से आए कई श्रमिकों को रखा गया था। ये श्रमिक रंगाई-पुताई और पीओपी के काम में एक्सपर्ट थे। ये अपने गांव के लिए कुछ करना चाहते थे। तो उन्होंने सोचा ऐसे पड़े रहेंगे दो टाइम खाते रहेंगे उसके बजय हम जो जानते हैं हमारे हुनर का उपयोग करिए। और देखिए, सरकारी स्कूल में रहते हुए, इन श्रमिकों ने अपने हुनर से, स्कूल का ही कायाकल्प कर दिया।
मेरे श्रमिक भाई-बहनों के इस काम को जब मैंने जाना , उनकी देशभक्ति ने, उनके कौशल ने, मुझे मेरे मन को प्रेरणा दी, उसी में से मुझे आईडिया आया की यह कुछ करने वाले लोग हैं, और उसी में से इस योजना का जन्म हुआ है । आप सोचिए, कितना टैलेंट इन दिनों वापस अपने गांव लौटा है। देश के हर शहर को गति और प्रगति देने वाला श्रम और हुनर जब खगड़िया जैसे ग्रामीण इलाकों में लगेगा, तो इससे बिहार के विकास को भी कितनी गति मिलेगी!
गरीब कल्याण रोज़गार अभियान के तहत आपके गांवों के विकास के लिए, आपको रोजगार देने के लिए 50 हज़ार करोड़ रुपए खर्च किए जाने हैं! इस राशि से गांवों में रोजगार के लिए, विकास के कामों के लिए करीब 25 कार्यक्षेत्रों की पहचान की गई है। ये 25 काम या प्रोजेक्ट्स ऐसे हैं, जो गांव की मूलभूत सुविधाओं से जुड़े हैं, जो गांव के लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए हैं। ये काम अपने ही गांव में रहते हुए, अपने परिवार के साथ रहते हुए ही आपको करने का अवसर मिलेगा ।
अब जैसे, खगड़िया के तेलिहार गांव में आज से आंगनबाड़ी भवन, सामुदायिक शौचालय, ग्रामीण मंडी और कुआं बनाने का काम शुरू किया किया जा रहा है। इसी तरह हर गांव की अपनी-अपनी जरूरतें हैं। इन जरूरतों को अब गरीब कल्याण रोज़गार अभियान के माध्यम से पूरा किया जाएगा। इसके तहत अलग-अलग गांवों में कहीं गरीबों के लिए पक्के घर भी बनेंगे, कहीं वृक्षारोपण भी होगा, कहीं पशुओं को रखने के लिए Shed भी बनाए जाएंगे। पीने के पानी के लिए, ग्राम सभाओं के सहयोग से जल जीवन मिशन को भी आगे बढ़ाने का काम किया जाएगा। इसके अलावा, जहां जरूरी है सड़कों के निर्माण पर भी जोर दिया जाएगा। और हां, जहां पंचायत भवन नहीं हैं, वहां पंचायत भवन भी बनाए जाएंगे।
ये तो वो काम हैं जो गांव में होने ही चाहिए। लेकिन, इसके साथ-साथ इस अभियान के तहत आधुनिक सुविधाओं से भी गांवों को जोड़ा जाएगा। अब जैसे, शहरों की तरह ही गांव में भी हर घर में सस्ता और तेज़ इंटरनेट होना ज़रूरी है। जरूरी इसलिए ताकि गांव के हमारे बच्चे भी अच्छे से पढ़-लिख सकें। गांव की इस जरूरत को भीगरीब कल्याण रोज़गार अभियान से जोड़ा गया है। देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है जब गांव में, शहरों से ज्यादा इंटरनेट इस्तेमाल हो रहा है। गांवों में इटंरनेट की स्पीड बढ़े, फाइबर केबल पहुंचे, इससे जुड़े कार्य भी होंगे।
साथियों, ये सब काम करेगा कौन? गांव के ही लोग करेंगे! मेरे जो श्रमिक साथी साथ में जुड़े हैं, आप लोग ही करेंगे! चाहे मजदूर हो, मिस्त्री हो, मटीरियल बेचने वाले छोटे दुकानदार हों, ड्राइवर, प्लंबर, इलेक्ट्रिशियन, मैकेनिक, हर प्रकार के साथियों को रोज़गार मिलेगा। जो हमारी बहनें हैं, उनको भी स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से भी जोड़ा जाएगा, ताकि वो अपने परिवार के लिए अतिरिक्त साधन जुटा सकें।
साथियों, यही नहीं, आप सभी श्रमिकों, आप सभी के हुनर की मैपिंग की भी शुरुआत की गई है। यानि कि, गांव में ही आपके हुनर की पहचान की जाएगी, ताकि आपके कौशल के मुताबिक आपको काम मिल सके! आप जो काम करना जानते हैं, उस काम के लिए जरूरतमंद खुद आपके पास पहुंच सकेगा।
सरकार पूरा प्रयास कर रही है कि कोरोना महामारी के इस समय में, आपको गांवों में रहते हुए किसी से कर्ज न लेना पड़े, किसी के आगे हाथ न फैलाना पड़े। गरीब के स्वाभिमान को हम समझते हैं। आप श्रमेव जयते, श्रम की पूजा करने वाले लोग हैं, आपको काम चाहिए, रोजगार चाहिए। इस भावना को सर्वोपरि रखते हुए ही सरकार ने इस योजना को बनाया है, इस योजना को इतने कम समय में लागू किया है। इससे पहले आपकी और देश के करोड़ों गरीबों की तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए भी सरकार ने लॉक डाउन के प्रारम्भ में तुरंत कदम उठाए थे।
आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत ही प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना से हुई थी। और मुझे याद है जब शुरू में हम गरीबो के लिए योजना लाये तो चारो तरफ चिल्लाहट शुरू हुई थी – उद्योगों का क्या होगा, व्यापर का क्या होगा, MSME का क्या होगा, सबसे पहले यह करो। बहुत लोगो ने मेरी आलोचना की थी. लेकिन मैं जानता हूँ इस संकट में गरीबो का हाथ पकड़ना प्राथमिकता थी मेरी ।
इस योजना पर कुछ ही सप्ताह के भीतर करीब-करीब पौने 2 लाख करोड़ रुपए खर्च किए गए। इन तीन महीनों में 80 करोड़ गरीबों की थाली तक राशन-दाल पहुंचाने का काम हुआ है। राशन के साथ साथ उन्हें गैस सिलिंडर भी मुफ्त दिए गए। इसी तरह, 20 करोड़ गरीब माताओं-बहनों के जन धन खातों में 10 हजार करोड़ रुपए से अधिक सीधे ट्रांसफर किए गए। गरीब बुजुर्ग, माताओं-बहनों और दिव्यांग साथियों के लिए 1000 रुपए की सहायता भी सीधे उनके खातों में भेजी गई।
अगर घर घर जाकर आपके जन धन खाते न खुलवाए गए होते, मोबाइल से इन खातों और आधार कार्ड को जोड़ा नहीं होता, तो ये कैसे हो पाता? पहले का समय तो आपको याद ही होगा! पैसा ऊपर से चलता तो था, आपके नाम से ही चलता था, लेकिन आप तक आता नहीं था! अब ये सब बदल रहा है। आपको सरकारी दुकान से अनाज की दिक्कत न हो इसके लिए, एक देश एक राशन कार्ड योजना भी शुरू की गई है। यानि कि, अब हमारे गरीब भाई-बहन एक ही राशन कार्ड पर देश के किसी भी राज्य में, किसी भी शहर में राशन ले सकेंगे।
आत्मनिर्भर भारत के लिए आत्मनिर्भर किसान भी उतना ही जरूरी है। लेकिन इतने वर्षों से हमारे देश में कृषि और किसान को बेवजह के नियमों और क़ानूनों से बांधकर रखा गया था। आप सब किसान साथी जो मेरे सामने बैठे हैं, आप तो खुद ही इतने सालों से इस बेबसी को महसूस कर रहे होंगे!
किसान अपनी फसल कहाँ बेच सकता है, अपनी फसल को स्टोर कर सकता है या नहीं, ये भी तय करने का अधिकार किसान को नहीं दिया गया था। इस तरह के भेदभाव वाले क़ानूनों को हमने दो सप्ताह पहले खत्म कर दिया है! अब आप कहाँ फसल बेचेंगे, ये सरकार तय नहीं करेगी, अधिकारी तय नहीं करेंगे, बल्कि किसान खुद तय करेगा।
अब किसान अपने राज्य के बाहर भी अपनी फसल बेच सकता है, और किसी भी बाज़ार में बेच सकता है! अब आप अपनी उपज का अच्छा दाम देने वाले व्यापारियों से, कंपनियों से सीधे जुड़ सकते हैं, उन्हें सीधे अपनी फसल बेच सकते हैं। पहले जो कानून फसल के स्टॉक करने पर रोक लगाता था, अब उस कानून में भी परिवर्तन कर दिया गया है।
आत्मनिर्भर भारत पैकेज में किसानों की फसल रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज बनें, किसानों को सीधे बाज़ार से जोड़ा जाए, इसके लिए भी 1 लाख करोड़ के निवेश की घोषणा की गई है। जब किसान बाज़ार से जुड़ेगा, तो अपनी फसल को ज्यादा दामों पर बेचने के रास्ते भी खुलेंगे।
आपने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत एक और फैसले के बारे में सुना होगा! आपके गांवों के पास, कस्बों और छोटे शहरों में स्थानीय उपज सेअलग अलग उत्पाद बने, पैकिंग वाली चीजें बने, इसके लिए उद्योग समूह बनाए जाएंगे। इसका बहुत बड़ा लाभ किसानों को होने जा रहा है।
अब जैसे, खगड़िया में मक्का की फसल कितनी अच्छी होती है! लेकिन अगर किसान मक्के के उत्पाद बनाने वाली कंपनियों से सीधा जुड़ जाए, खगड़िया की मक्का के लोकल products तैयार हों, तो कितना फायदा होगा! इसी तरह बिहार में मखाना है, लीची है, केला है! यूपी में आंवला है, आम है, राजस्थान में मिर्च है, मध्य प्रदेश की दालें हैं, ओडिशा में- झारखंड में वनों की उपज हैं, हर जिले में ऐसे अनेक लोकल उत्पाद हैं, जिनसे जुड़े उद्योग पास में ही लगाए जाने की योजना है।
बीते 6 वर्षों से लगातार चल रहे इन सभी प्रयासों का एक ही उद्देश्य है, हमारा गांव, हमारा गरीब अपने दम पर खड़ा हो, सशक्त हो। हमारे किसी गरीब, मजदूर, किसान को किसी के सहारे की ज़रूरत ना पड़े! आखिर, हम वो लोग हैं जो सहारे से नहीं, श्रम के सम्मान से जीते हैं!
गरीब कल्याण रोज़गार अभियान से आपके इस आत्मसम्मान की सुरक्षा भी होगी, और आपके श्रम से आपके गाँव का विकास भी होगा। आज आपका ये सेवक, और पूरा देश, इसी सोच के साथ, इसी संकल्प के साथ आपके मान और सम्मान के लिए काम कर रहा है।
आप काम पर निकलें, लेकिन मेरा ये भी अनुरोध है कि ज़रूरी सावधानी भी रखें। मास्क लगाने का, गमछा या चेहरे को कपड़े से ढकने का, स्वच्छता का, और दो गज़ की दूरी के नियम का पालन करना ना भूलें। आप सावधानी बरतेंगे, तो आपका गाँव, आपका घर इस संक्रमण से बचा रहेगा। ये हमारे जीवन और हमारी आजीविका दोनों के लिए बहुत ज़रूरी है।
आप सब स्वस्थ रहिए, आगे बढ़िए, और आपके साथ देश भी आगे बढ़े, इन्हीं शुभकामनाओं के साथ, आप सभी साथियों का बहुत-बहुत धन्यवाद !!
मैं सभी आदरणीय मुख्यमंत्रियों का आभारी हूँ, विशेष रूप से बिहार सरकार का आभारी हूँ, इस अत्यंत महत्वपूर्ण काम की योजना करने के लिए और उसको आगे बढ़ाने के लिए, आपके साथ और समर्थन के लिए मैं आपका आभार व्यक्त करते हुए आप सबको बहुत बहुत धन्यवाद ।