नई दिल्लीः भारत के तीन बिलियन लोगों की ओर से आप सभी का नई दिल्ली में स्वागत करते हुए मुझे प्रसन्नता हो रही है।
मुझे उम्मीद है कि विदेशों से आए प्रतिनिधियों के पास दिल्ली के इतिहास और गौरव को देखने के लिए कुछ समय मिलेगा।
हमें विश्व पर्यावरण दिवस 2018 के लिए वैश्विक मेजबान बनने का गर्व है।
आज इस महत्वपूर्ण अवसर पर हम सार्वभौमिक भाईचारे के प्राचीन मूल्यों को याद करते हैं। यह संस्कृत में वसुधैव कुटुम्बकम् के रूप में व्यक्त किया गया है जिसका अर्थ है विश्व एक परिवार है।
महात्मा गांधी के ट्रस्टीशिप के सिद्धांत में भी यह मूल्य दिखता है। उन्होंने कहा था कि पृथ्वी प्रत्येक व्यक्ति की आवश्यकता पूरी करने के लिए पर्याप्त है लेकिन प्रत्येक व्यक्ति के लालच को पूरा करने के लिए काफी नहीं है।
हमारी परंपराओँ ने प्रकृति के साथ सौहार्द बनाकर रहने के महत्व पर बल दिया है।
यह प्रकृति के प्रति हमारे आदर व्यवहार में झलकता है। यह हमारे त्यौहारों और हमारी प्राचीन कृतियों में भी दिखता है।
देवियों औऱ सजनों, भारत आज विश्व की तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। हम अपने लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए संकल्पबद्ध है।
हम वह करने के लिए संकल्पबद्ध हैं जो सतत् औऱ हरित है।
इस दिशा में हमने पिछले दो वर्षों में 40 मिलियन नए रसोई गैस कनेक्शन दिए हैं।
इससे ग्रामीण महिलाओं को जहरीले धुएं की त्रासदी से मुक्ति मिली है।
इससे जलावन की लकड़ी पर उनकी निर्भरता खत्म हुई है।
इसी संकल्प के साथ भारत में 300 मिलियन एलईडी बल्ब लगाए गए हैं। बिजली बचाने के अतिरिक्त इससे कार्बनडाईऑक्साइड को रोकने में मदद मिली है।
हम नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। हमने 2022 तक 175 गीगावॉट सौर तथा पवन ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य तय किया है।
हम विश्व में सौर ऊर्जा के पांचवें सबसे बड़ा उत्पादक हैं। इतना ही नहीं हम नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन करने वाला छठां सबसे बड़ा देश है।
हमारा लक्ष्य प्रत्येक घर को बिजली कनेक्शन देना है जिससे पर्यावरण के लिए हानिकारक ईंधन पर निर्भरता घटेगी।
हम जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम कर रहे हैं। हम जहां कहीं संभव है ईंधन के स्रोत बदल रहे हैं। हम शहरों को बदल रहे हैं और सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को बदल रहे हैं।
हम युवा देश हैं। रोजगार सृजन के लिए हम भारत को वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग केन्द्र बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।
हमने मेक इन इंडिया अभियान लॉन्च किया है। ऐसा करते हुए हम शून्य दोष, शून्य प्रभाव विनिर्माण पर बल दे रहे हैं। इसका अर्थ यह है कि विनिर्माण दोष रहित हो और पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाए।
राष्ट्रीय निर्धारित योगदान के रूप में भारत 2005-2030 के दौरान अपने जीडीपी की 33 से 35 प्रतिशत उत्सर्जन तीव्रता कम करने के लिए संकल्पबद्ध है। हम 2030 के राष्ट्रीय निर्धारित योगदान को पूरा करने की राह में है।
यूएनईपी गैप रिपोर्ट के अनुसार भारत कोपेनहेगन संकल्प को पूरा करने की राह पर है। हम 2020 तक उत्सर्जन तीव्रता 20 से 25 प्रतिशत कम करेंगे।
हमारे राष्ट्रीय जैव-विविधता रणनीति मजबूत है। विश्व के केवल 2.4 प्रतिशत भूमि के साथ भारत रिकॉर्ड की गई प्रजाति विविधता के 7 से 8 प्रतिशत को समर्थन देता है। साथ-साथ भारत मानव आबादी के 18 प्रतिशत भाग को समर्थन प्रदान करता है। हमारे पेड़ और वन पिछले 2 वर्षों में एक प्रतिशत बढ़े हैं।
हमने वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में अच्छा काम किया है। बाघ, हाथी औऱ अन्य वन्यजीवों की आबादी बढ़ रही है।
हम जल उपलब्धता की समस्या के समाधान की आवश्यकता को स्वीकार करते हैं। यह भारत में बड़ी चुनौती बनती जा रही है। हमने नमामि गंगे कार्यक्रम प्रारंभ किया है। यह कार्यक्रम परिणाम देने लगा है और जल्द ही गंगा को संरक्षित करेगा।
भारत मुख्य रूप से कृषि प्रधान देश है। कृषि के लिए जल की निरंतर उपलब्धता महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना लॉन्च की गई है ताकि यह सुनिश्चित हो की कोई भी खेत पानी के बिना नहीं रहे। हमारा नारा है अधिक फसल, प्रतिबूंद।
हमने व्यापक अभियान यह सुनिश्चित करने के लिए चलाया है कि हमारे किसान कृषि अवशेषों को जलाने के बजाय मूल्यवान पोषाहार के रूप में बदलें।
विश्व असुविधाजनक सच्चाई पर फोकस करता है लेकिन हम सुविधाजनक कार्रवाई की ओर बढ़े हैं। इसी कार्रवाई की वजह से भारत ने फ्रांस के साथ अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन किया है। यह पेरिस सम्मेलन के बाद शायद पर्यावरण के क्षेत्र में अकेली सबसे बड़ी वैश्विक पहल है।
लगभग 3 महीने पहले 45 से अधिक देशों के नेता, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के स्थापना सम्मेलन में शामिल होने के लिए एकत्रित हुए थे।
इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस एक बहुत ही महत्वपूर्ण चुनौती का समाधान करना चाहता है।
प्लास्टिक अब मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा बनते जा रहा है। इसमें से अधिकांश की रिसाइक्लिंग भी नहीं हो पाती है। इससे भी बुरी चीज यह है कि इसमें बड़ी मात्रा में गैर-जैव-अपघटन योग्य है।
प्लास्टिक प्रदूषण पहले से ही हमारे समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर घातक प्रभाव डाल रहा है। वैज्ञानिकों और मछुआरों ने समान रूप से इस परेशानी को इंगित भी किया है। इसकी वजह से मछलियों की संख्या में गिरावट होने के साथ-साथ समुद्र के तापमान में गर्मी तथा समुद्री जीव विलुप्त हो रहे हैं
समुद्री कचरा, विशेष रूप से सूक्ष्म-प्लास्टिक एक प्रमुख समस्या है। भारत “स्वच्छ समुद्र अभियान” में शामिल होने की तैयारी कर रहा है और महासागरों को बचाने में अपना योगदान दे रहा है।
प्लास्टिक प्रदूषण अब हमारी खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर रहा है। यहां तक कि सूक्ष्म प्लास्टिक अब नमक, बोतलबंद पानी और नल के पानी जैसे हमारे बुनियादी भोजन में प्रवेश कर रहा है।
विकसित दुनिया के कई हिस्सों की तुलना में भारत में प्रति व्यक्ति प्लास्टिक खपत काफी कम है।
स्वच्छता और साफ-सफाई के हमारे राष्ट्रीय मिशन – ‘स्वच्छ भारत अभियान’ का विशेष ध्यान “प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन” पर केंद्रित है।
कुछ समय पहले, मैंने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा आयोजित की गई प्रदर्शनी को देखा था। यहां हमारी कुछ सफल कहानियों को प्रदर्शित किया गया है। इसके प्रतिभागियों में संयुक्त राष्ट्र, केंद्र और राज्य सरकारें, उद्योग तथा गैर-सरकारी संगठन शामिल हैं। मुझे उम्मीद है कि ये प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने का अनुकरणीय काम जारी रखेगें।
पर्यावरणीय नुकसान का सबसे ज्यादा असर गरीब और कमजोर वर्ग पर पड़ता है।
यह हम सबका कर्तव्य है कि हम यह सुनिश्चित करें कि भौतिक समृद्धि की खोज के लिए हम अपने पर्यावरण से समझौता नहीं करेंगे।
सतत विकास के 2030 के एजेंडा के भाग के रूप में विश्व ने “किसी को पीछे मत छोड़ो” के विषय पर सहमत जताई थी। यह तब तक संभव नहीं है जब तक हम सभी यह सुनिश्चित नहीं कर लेते कि मातृ प्रकृति द्वारा जो हमें दिया गया है उसकी सुरक्षा भी हमें ही करनी है।
यह भारतीय तरीका है। और विश्व पर्यावरण दिवस के शुभ अवसर पर हमें इसे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ फिर से साझा करने में प्रसन्नता हो रही है।
अंत में, विश्व पर्यावरण दिवस 2018 के वैश्विक मेजबान के रूप में, मैं सतत विकास के प्रति हमारी वचनबद्धता को दोहराता हूं।
चलिए प्लास्टिक प्रदूषण को खत्म करने के लिए हम सभी एक साथ जुड़ें और इस धरती को जीने के लिए एक बेहतर जगह बना दें।
आज हमारे पास जो विकल्प है वो हमारे सामूहिक भविष्य को परिभाषित करेंगे। विकल्प आसान नहीं हो सकतें हैं। लेकिन मुझे यकीन है कि जागरूकता, प्रौद्योगिकी और ईमानदार वैश्विक साझेदारी के माध्यम से, हम सही विकल्प का चुनाव कर सकते हैं।