केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी, संचार और रेलवे मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव और केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी, कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर ने आज साइबर सिक्युरिटी ग्रैंड चैलेंज के विजेताओं को सम्मानित किया। देश में नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए यह अपनी तरह का पहला साइबर सिक्युरिटी चैलेंज है। ग्रैंड चैलेंज के विजेताओं को एक-एक ट्रॉफी, विजेता को एक करोड़ रुपये की नकद पुरस्कार राशि, प्रथम उपविजेता को 60 लाख रुपये और दूसरे उपविजेता को 40 लाख रुपये से सम्मानित किया गया।
विजेताओं के साथ-साथ उनके द्वारा संबोधित समस्या विवरण हैं:
स्टार्ट अप | समस्या का समाधान | |
विजेता | सिक्योरली शेयर सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड | गोपनीयता को सक्षम करने के लिए स्वचालित प्रणाली का विकास विश्लेषिकी / फोरेंसिक की रक्षा |
प्रथम उपविजेता | पयातू सिक्युरिटी कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड | हार्डवेयर उपकरणों, उत्पादों और घटकों की सुरक्षा का आश्वासन |
दूसरा उपविजेता | मोनोक्सर | माइक्रोसर्विसेज और सर्विसेज मेश आर्किटेक्चर को सुरक्षित करना |
साइबर सिक्युरिटी ग्रैंड चैलेंज को इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और भारतीय डेटा सुरक्षा परिषद द्वारा संयुक्त रूप से 15 जनवरी 2020 को 3.2 करोड़ रुपए की कुल पुरस्कार राशि के साथ लॉन्च किया गया था। देश में प्रमुख साइबर सुरक्षा क्षमताओं का निर्माण करके राष्ट्र की साइबर सुरक्षा स्थिति को मजबूत करने में योगदान के मकसद और नवाचार और उद्यमिता की भावना की संस्कृति को बढ़ावा देने के लक्ष्य के साथ इसे लॉन्च किया गया था। इस पहल के तत्वावधान में, भारत से साइबर सिक्युरिटी स्टार्ट-अप को नवाचार करने और समाधान बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है जिसे भारत में अपनाया जा सकता है और वैश्विक बाजारों में भी ले जाया जा सकता है। यह चैलेंज देश की साइबर सुरक्षा क्षमताओं को मजबूत करने, लोगों और समाज को लाभ पहुंचाने के लिए समाधानों की संख्या और विकास पर केंद्रित है। इस तरह की पहल के माध्यम से साइबर सुरक्षा में नवाचारों से साइबर खतरों को कम करने और साइबर स्पेस को सुरक्षित करने में मदद मिलेगी जो बदले में भारत के व्यापार परिदृश्य और नागरिकों की रक्षा करेगा। इस चैलेंज की एक अनूठी विशेषता यह है कि चुनौती के हिस्से के रूप में विकसित किए जा रहे उत्पाद का आईपीआर संबंधित स्टार्ट-अप के स्वामित्व में होगा।
चैलेंज को छह प्रॉब्लम स्टेटमेंट्स के साथ खोला गया था और इसे 3 चरणों में आयोजित किया गया था, अर्थात् आइडिया, न्यूनतम व्यवहार्य उत्पाद (एमवीपी) और अंतिम चरण। टीमों द्वारा प्रस्तुतियों का मूल्यांकन जूरी पैनल द्वारा किया गया था, जिसमें प्रत्येक चरण में सरकार, शिक्षा और उद्योग शामिल थे ताकि उन प्रविष्टियों को शॉर्टलिस्ट किया जा सके जो अगले चरण में जा सकती हैं। आइडिया (प्रथम) चरण में, ‘अवधारणा’ और ‘दृष्टिकोण’ के आधार पर समस्या बयानों में से एक के लिए एक उत्पाद बनाने का प्रस्ताव है, जूरी ने शीर्ष 12 टीमों को चुना जो एमवीपी (द्वितीय) चरण में चले गए। उनमें से प्रत्येक को 5 लाख रुपये की राशि और मेंटरशिप सपोर्ट दिया गया। एमवीपी (द्वितीय) चरण में, उनके ‘दृष्टिकोण’, ‘यूएसपी और मूल्य प्रस्ताव’, ‘तैनाती’ और ‘उत्पाद बाजार में फिट’ के आधार पर, जूरी ने शीर्ष छह (6) टीमों को चुना, जिनमें से प्रत्येक को एक और 10 लाख रुपये की राशि दी गई थी। जूरी ने अंतिम उत्पादों का मूल्यांकन किया और अंतिम चरण में विजेता और उपविजेता का चयन किया।
इस अवसर पर अपने मुख्य भाषण में, केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी, संचार और रेलवे मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, “हम आज एक जुड़ी हुई दुनिया में रह रहे हैं और कंप्यूटिंग, संचार और सेंसर का स्पष्ट अभिसरण है। इन तीन प्रौद्योगिकियों ने न केवल लागत कम की है बल्कि क्षमताओं और जटिलताओं को भी बढ़ाया है। आज अधिकांश प्रणालियाँ, चाहे औद्योगिक, विनिर्माण या बैंकिंग, डिजिटल रूप से नियंत्रित होती हैं जहाँ अरक्षितता कई गुना बढ़ गई हैं। एंट्री पॉइंट्स अब अच्छी तरह से परिभाषित नहीं हैं और हमारे बुनियादी ढांचे को सुरक्षित करने के लिए, हमें उन लोगों से कम से कम एक कदम आगे रहना होगा जो सिस्टम से समझौता करना चाहते हैं।
साइबर सुरक्षा पर प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण बहुत स्पष्ट है। हमें साइबर सुरक्षा में विचारशील नेता और मार्केट लीडर बनना होगा। मैं स्टार्ट-अप्स, उद्योग जगत, शिक्षाविदों से इसे बड़े नजरिए से देखने का आग्रह करता हूं। सरकार नए विचारों, नई संरचनाओं के साथ खड़ी है और उनका समर्थन करने के लिए तैयार है।”
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री, कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर, ने कहा, “डिजिटल इंडिया के लिए प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के तीन व्यापक परिणाम हैं: (i) प्रौद्योगिकी और इंटरनेट भारतीय नागरिकों के जीवन को सशक्त और परिवर्तित करता है; (ii) प्रौद्योगिकी हमारी अर्थव्यवस्था में अवसरों का विस्तार करती है; (iii) प्रौद्योगिकी हमारे देश के भीतर रणनीतिक क्षमताओं का निर्माण करती है। और साइबर सुरक्षा दूसरे और तीसरे बिंदु के चौराहे पर आती है, क्योंकि यह डिजिटल अर्थव्यवस्था के विस्तार को बढ़ावा देती है और अवसर और निवेश पैदा करती है; और गंभीर रणनीतिक क्षमताओं को संबोधित करने के केंद्र में भी है, जिसकी देश को सुरक्षा और विश्वास सुनिश्चित करके इंटरनेट की सुरक्षा के लिए आवश्यकता है।
साइबर सुरक्षा में क्षमताएं सरकार, उद्योग और स्टार्ट-अप के बीच सहयोग से पैदा होंगी। मंत्रालय स्टार्ट-अप को सफल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है और स्पष्ट रूप से आपके साथ खड़ा होगा और आपको बढ़ने में मदद करेगा, सरकार के भीतर और बाहर बाजार तक पहुंच प्राप्त करेगा। हमारा लक्ष्य भारत को साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में अत्यधिक सक्षम बनाना है।”
श्री अजय साहनी, सचिव, इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कहा, “चूंकि हमारा लक्ष्य ट्रिलियन-डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था का लक्ष्य है, साइबर सुरक्षा एक प्रमुख क्षेत्र बना हुआ है। आईटीयू के वैश्विक साइबर सुरक्षा सूचकांक में भारत की रैंकिंग 2018 में 47वें स्थान से 37 स्थान की छलांग लगाकर 2020 में 10वें स्थान पर पहुंच गई है। जैसे-जैसे हम आगे बढ़ रहे हैं, भारत और विश्व के लिए बड़ी संख्या में स्वदेशी साइबर सुरक्षा उत्पादों का निर्माण करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। सरकार ई-मार्केट प्लेस के माध्यम से सरकारी खरीदारों के भीतर उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा देकर उत्पादों को बढ़ाने में मदद करेगी। हम अगले ग्रैंड चैलेंज की दिशा में काम कर रहे हैं जो काफी बड़ा और स्कोप में बड़ा होगा।”
डॉ. राजेंद्र कुमार, अतिरिक्त सचिव, इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कहा, “महामारी के बाद की दुनिया में जब साइबर सुरक्षा के बढ़ते महत्व को देखते हुए अधिक से अधिक डिजिटल तकनीक अपनाने के कारण नई चुनौतियां सामने आई हैं, ऐसे में यह ग्रैंड चैलेंज सही समय पर आया है। इस चैलेंज ने भारत में संपूर्ण सुरक्षा स्टार्ट-अप इकोसिस्टम के हित को प्रेरित किया है।”
जूरी के अध्यक्ष और पूर्व राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक डॉ. गुलशन राय ने कहा, “साइबर सुरक्षा ग्रैंड चैलेंज ने भारत में साइबर सुरक्षा स्टार्ट-अप को पारंपरिक तकनीकी विकास मॉडल से अलग होने की आजादी दी है। वे लंबे समय से इस पर काम कर रहे हैं और वे फ्यूचरिस्टिक वर्किंग मॉडल के साथ आ रहे हैं। जूरी ने ऐसे समाधानों पर ध्यान दिया जो उत्पादों और सेवाओं में प्रौद्योगिकियों के अभिसरण के कारण उभरती सुरक्षा समस्याओं का समाधान करते हैं।”
डीएससीआई के अध्यक्ष श्री राजेंद्र एस पवार ने कहा, “प्रधानमंत्री के आह्वान पर, नैसकॉम-डीएससीआई ने साइबर सुरक्षा कार्यबल बनाया और साइबर सुरक्षा परिदृश्य का अध्ययन किया। प्रमुख निष्कर्षों में से एक यह था कि साइबर सुरक्षा समूह तब फलते-फूलते हैं जब उद्योग, शिक्षा और सरकार के बीच कड़ा सहयोग होता है। यह नवाचार और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक महान पहल है, और मैं बिना शर्त समर्थन देने के लिए सरकार की सराहना करता हूं क्योंकि यह स्टार्ट-अप को एक स्पष्ट संदेश देता है कि इस तरह की पहल सरकार के लिए महत्वपूर्ण है।