25 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

नीति आयोग भवन में स्वच्छ भारत अभियान हेतु गठित मुख्यमंत्रियों के उपसमूह की बैठक के अवसर पर मुख्यमंत्री हरीश रावत

उत्तराखंड
नई दिल्ली/देहरादून: स्वच्छता अभियान के तहत पर्वतीय क्षेत्रों में ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन सेक्टर में वायबिलिटी गैप फण्डिंग अनुदान को 20 प्रतिशत से बढ़ाकर कम से कम 60 प्रतिशत किया जाए। शहरी क्षेत्रों में व्यक्तिगत शौचालयों के लिए निर्धारित प्रति यूनिट केन्द्रांश 4 हजार रूपये से बढ़ाकर ग्रामीण क्षेत्रों की भांति 12 हजार रूपये किया जाए।

इसी प्र्रकार पर्वतीय शहरी क्षेत्रों में सामुदायिक शौचालयों के लिए प्रति यूनिट निर्धारित मानक 65 हजार रूपये से बढ़ाकर 1 लाख 25 हजार रूपये किया जाए। बुधवार को नई दिल्ली के नीति आयोग भवन में स्वच्छ भारत अभियान हेतु गठित मुख्यमंत्रियों के उपसमूह की बैठक में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि पूर्व की केन्द्र सरकारों द्वारा सम्पूर्ण स्वच्छता प्राप्त करने की दिशा में आधारभूत कार्य कर जमीन तैयार कर दी गयी है। अब आवश्यकता मिलकर तैयार की गयी जमीन पर फसल लगाने की है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि कूड़ा बीनने वालों को संस्थागत रूप से ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन की प्रक्रिया से जोड़कर उनके पुनर्वासन की नितान्त आवश्यकता है। कूड़ा बीनने वालों को किसी गैर सरकारी संस्था के माध्यम से स्थानीय संस्थाओं के साथ रजिस्टर कर उन्हें सरकारी कार्यक्रमों का लाभ दिया जाए तथा गुमनामी एवं गन्दगी से निकाल कर उन्हें स्वच्छ जीवन का अवसर दिया जाए। स्वच्छता मिशन के तहत युवाओं के लिए रोजगार के नये अवसर उत्पन्न करने के लिए आईटीआई में सेनिटेशन ट्रेड प्रारम्भ किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड देश का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। जहां वर्ष भर तीर्थयात्रियों एवं श्रद्धालुओं का आना-जाना होता है। अतः स्वच्छ भारत अभियान के अन्तर्गत ही हरिद्वार, ऋषिकेश व चारधाम यात्रा मार्गांे से गुजरने वाले यात्रियों तथा फ्लोटिंग पोपुलेशन के लिए मार्गों के किनारे एवं धार्मिक स्थलों के समीप यात्री सुविधाएं निर्मित करना आवश्यक है। आंगनवाडी केन्द्रांे पर आने वाले बच्चों के लिए मोबाईल शौचालयों की व्यवस्था की जायंे।
स्वच्छ भारत अभियान के लिए संस्थागत ढ़ांचे के संबंध में सुझाव देते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि भारत सरकार में कैबिनेट सचिव स्तर पर महत्वपूर्ण विभागों के बीच समन्वय स्थापित किया जाए। प्रत्येक विभाग की भूमिका स्पष्ट हो व स्वच्छता के लिए बजट आवंटन तथा उसका उपभोग भी स्पष्ट हो। स्वच्छता कार्यो को गति देने हेतु केन्द्र व राज्य स्तर पर एक मिशन डारेक्टर हो तथा स्थानीय निकायों व समुदायों के साथ कार्य करने वाले विभागों (पंचायती राज, ग्राम्य विकास व शहरी विकास) विभागों के एक-एक उच्च अधिकारी एडिशनल मिशन डायरेक्टर हों। सभी विभागों के निदेशकों द्वारा मिशन डायरेक्टर को स्वच्छता की दिशा में किये गये कार्यों के सम्बन्ध में रिपोर्ट दी जाए। इससे स्वच्छता से सम्बन्धित डाटा प्रबंधन, नियोजन व क्रियान्वयन में मदद मिलेगी। जनपद स्तर पर जिलाधिकारी को जिला मिशन डायरेक्टर बनाया जाये तथा उनकी देख-रेख में स्वच्छता कार्यों की निरन्तर निगरानी व समीक्षा हेतु एक स्वच्छता प्रकोष्ठ भी बनाया जाये। इसी प्रकार खण्ड विकास अधिकारी को विकास खण्ड स्तर पर स्वच्छता प्रभारी बनाया जा सकता है।
स्वच्छ भारत मिशन को सस्टेनेबल बनाने के लिए सुझाव देते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि विकेन्द्रीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन की नीति अपनाये जाने की आवश्यकता है। नयी आवासीय परियोजनाओं की स्वीकृति सोलिड वेस्ट मेनेजमेंट के दृष्टिकोण से स्वनिर्भर इकाई के रूप में दी जाय, तथा उपलब्ध तकनीकों के माध्यम से ‘‘ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन सम्बन्धित आवासीय कल्याण समितियों’’के द्वारा ही किया जाय। पूर्व से निर्मित बड़ी आवासीय काॅलोनियों में विकेंन्द्रित ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन के उपायों पर विचार किया जाना आवश्यक है, क्योंकि अधिकांश पुराने शहरों में केंद्रीकृत ठोस अपशिष्ट निस्तारण पूरी तरह सफल नहीं है, जिसका नई दिल्ली स्वयं एक उदाहरण है। औद्योगिक शहरी क्षेत्रों में जल प्रदूषण की गंभीर समस्या के दृष्टिगत उन क्षेत्रों के लिए डिसेंट्रलाईज्ड वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट स्वच्छ भारत अभियान के अन्तर्गत निर्मित किये जायें। उद्योगों के अवशिष्ट को ट्रीटमेंट के पश्चात उद्योगों में ही या कृषि, बागवानी, पार्को के सौन्दर्यीकरण हेतु उपयोग में लाया जाये। औद्योगिक क्षेत्रों की भांति ही उपनगरीय क्षेत्रों में भी डिसेंट्रलाईज्ड वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट स्वच्छ भारत अभियान के तहत निर्मित किये जायें तथा स्वच्छीकृत जल का कृषि/बागवानी आदि कार्यो हेतु उपयोग किया जाए।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि व्यवहार परिवर्तन संचरण में स्थानीय कलाकारों एवं स्वयं सहायता समूहों का उपयोग किया जाय, क्योंकि स्थानीय कलाकार उस समुदाय की भावनाओं को समझता है तथा समुदाय स्थानीय कलाकारों के कला में छुपे संदेश को समझता है। इसके अतिरिक्त स्वयं सहायता समूह तथा सहकारी संस्थाओं का भी सम्पूर्ण स्वच्छता प्राप्ति तथा उसकी सतत्ता बनाये रखने हेतु उपयोग किया जा सकता है। ग्राम पंचायतों, किसी व्यक्ति गैर सरकारी संस्था या किसी सरकारी कर्मचारी या अधिकारी द्वारा स्वच्छता के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य किये जाने पर पुरस्कृत किया जाये तथा उनकी कहानियां प्रकाशित की जाए ताकि दूसरों को भी इस दिशा में कार्य करने की प्रेरणा मिले।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने जानकारी देते हुए बताया कि उत्तराखण्ड राज्य सरकार ने जनपद चमोली तथा बागेश्वर को स्वयं के संसाधनों से वर्ष 2016-17 तक खुला शौच मुक्त करने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि सोलिड वेस्ट मेनेजमेंट रूल्स 2015 में अजैविक कूड़ा पैदा करने वालों पर एक्सटेंडेड प्रोड्यूसर रेस्पोंसिबिलिटी को प्रभावी बनाने हेतु सम्बन्धित को अपशिष्ट प्रबन्धन की जिम्मेदारी दी जाये या लेवी लगायी जाए।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि स्वच्छता अभियान हेतु मार्गदर्शिका निर्धारण तथा धनराशि आवंटन में राज्यों की भौगोलिक परिस्थितियों को अवश्य ध्यान में रखा जाये। ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन के क्षेत्र में वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा संचालित पीपीपी के माध्यम से इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के लिए वायबिलिटी गैप फण्डिंग स्कीम का लाभ लिये जाने के सम्बन्ध में सुझाव दिया कि पर्वतीय क्षेत्रों की भौगोलिक परिस्थिति, अत्यधिक परिवहन लागत तथा छितरी आबादी के कारण पीपीपी प्रोजेक्ट में निजी संस्थाओं का रूझान नगण्य है। इसलिए पर्वतीय क्षेत्रों में इसे सफल बनाने के लिए स्वच्छ भारत अभियान के अन्तर्गत वीजीएफ अनुदान को 20 प्रतिशत के स्थान पर कम से कम 60 प्रतिशत किया जाये।
स्वच्छ भारत मिशन के लिए सतत् वित्तीय संसाधन की व्यवस्था पर बल देते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने सुझाव दिया कि विभिन्न वित्तीय संसाधनों के बीच डवटेलिंग की जा सकती है। उन्होंने कहा कि नाॅन बायोडिग्रेडेबल वेस्ट उत्पादकों व हानिकारक रसायनयुक्त द्रव अपशिष्ट छोड़ने वाले उद्योगों पर लेवी लगाई जा सकती है। चूंकि स्वच्छता व जलापूर्ति एक दूसरे से जुडे़ हुए हैं, उपरोक्त लेवी से प्राप्त होने वाली धनराशि को केन्द्र सरकार के बजटरी सहायता, बाह्य संस्थाओं से प्राप्त होने वाले ऋण व अनुदान, कारपोरेट सोशियल रेस्पोंसिबिलिटी से प्राप्त होने वाली धनराशि, अन्य निजी दाताओं, वित्त आयोग से पंचायतों तथा शहरी स्थानीय निकायों को दी जाने वाली धनराशि, राज्य सरकार द्वारा जल व स्वच्छता हेतु बजट आदि समस्त स्रोतांे से प्राप्त होने वाली धनराशि को युगमित् (डवटेलिंग) कर स्वच्छता व जलापूर्ति के कार्य को समेकित रूप से लिया जाये।

Related posts

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More