नई दिल्ली: ‘सबका साथ-सबका विकास’ अभियान का उद्देश्य तभी हासिल किया जा सकेगा, जब सरकार के कामकाज का फायदा समाज के अंतिम छोर तक पहुंचेगा। नीति आयोग विभिन्न सूचकांकों के साथ आगे आया है जिससे न सिर्फ इसके सहयोग और प्रतिस्पर्धा संघवाद का उद्देश्य पूरा होगा, बल्कि नए भारत की उम्मीदों को पूरा करने के लिए राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को चुनौती भी मिलेगी। हालांकि नीति आयोग ने इसके संभावित परिणामों पर विचार-विमर्श नहीं किया है।
नीति आयोग जल संसाधनों के प्रभावी प्रबंधन में प्रदर्शन सुधारने के एक उपयोगी साधन के रूप में समग्र जल प्रबंधन सूचकांक ला रहा है। यह सूचकांक राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को जल के प्रभावी और अधिकतम उपयोग करने और जरूरत के हिसाब से जल के पुनरावर्तन के लिए प्रेरित करने की एक कोशिश है।
जल संसाधनों की सीमित उपलब्धता और जल की बढ़ती मांगों को देखते हुए जल संसाधनों का सतत प्रबंधन का महत्व काफी बढ़ गया है। सूचकांक का इस्तेमाल जल संसाधनों के बेहतर प्रबंधन के लिए उचित उपाय तय करने और उन्हें लागू करने में होगा। राज्यों से फीडबैक और जाने-माने विशेषज्ञों की सलाह सहित एक विस्तृत अभ्यास के बाद इसे अंतिम रूप दे दिया गया है।
यह सूचकांक राज्यों और इससे संबंधित केन्द्रीय मंत्रालयों/विभागों को उपयोगी सूचना उपलब्ध कराएगा, जिससे जल संसाधन के बेहतर प्रबंधन के लिए उचित उपाय करने और उसे लागू करने में उन्हें मदद मिलेगी।
केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री श्री नितिन गडकरी नीति आयोग के उपाध्यक्ष श्री राजीव कुमार, नीति आयोग के सीईओ श्री अमिताभ कांत, जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण सचिव श्री यू.पी. सिंह, ग्रामीण विकास सचिव श्री अमरजीत सिन्हा और पेयजल एवं सफाई सचिव श्री परमेश्वरन अय्यर की मौजूदगी में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान यह सूचकांक जारी करेंगे।