नई दिल्ली: शहरी विकास और आवास एवं शहरी गरीबी उपशमन मंत्री श्री एम. वैंकेया नायडू ने आज राजभाषा नीति के अंतर्गत लागू मानदंडों के अनुरूप सरकारी कार्यो में हिंदी के उपयोग को प्रोत्साहन देने के लिए दो शहरी मंत्रालयों को अपने प्रयासों में गति लाने को कहा।
इस संदर्भ में आज हिंदी सलाहकार समिति की एक बैठक के दौरान दोनों मंत्रालयों की प्रगति की समीक्षा की गई। श्री नायडू ने समिति के सदस्यों द्वारा राजभाषा के तौर पर हिंदी के उपयोग के नियमों को अपनाने में कमी से जुड़ी चिंताओं पर विचार-विमर्श किया। उन्होंने दोनों मंत्रालयों के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों से इस वर्ष दिसंबर तक हिंदी के उपयोग को प्रोत्साहन देने के लिए ठोस उपाय अपनाने के निर्देश दिए। इसकी समीक्षा समिति की अगली बैठक में की जाएगी।
श्री वैंकेया नायडू ने महसूस किया कि राज्य भाषा के तौर पर देश में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा हिंदी को संविधान के निर्माताओं ने व्यापक विचार-विमर्श के बाद घोषित किया था और इसलिए इसके कार्यान्वयन को सिर्फ रस्म के तौर पर नहीं लिया जा सकता। इसको गंभीरता के साथ कार्यान्वित करने की आवश्यकता है। देश के कुछ हिस्सों में प्रारंभिक तौर पर हुआ विरोध हिंदी भाषी लोगों की बढ़ती संख्या से अब समाप्त हो चुका है। केंद्र सरकार के कार्यों में हिंदी के साथ अंग्रेजी के उपयोग को भी प्रोत्साहन देने की जरूरत है साथ ही राज्य सरकार द्वारा स्थानीय भाषाओं को प्रोत्साहन देना चाहिए।
श्री वैंकेया नायडू ने कहा कि देश के चार प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री मोरारजी देशाई, श्री देव गौड़ा, श्री पी.वी. नरसिम्हा राव और श्री नरेंद्र मोदी गैर हिंदी भाषी प्रदेशों से आए और वे सभी हिंदी की अच्छी जानकारी रखते थे। यह विभिन्न प्रकार से महत्वपूर्ण विकास है। उन्होंने कहा कि श्री मोदी सभी अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर वैश्विक नेताओं से वार्तालाप के लिए हिंदी का उपयोग कर रहे हैं। श्री नायडू ने जापान, फ्रांस, जर्मनी आदि जैसे कई विकसित देशों के नेताओं का उल्लेख किया जो अपनी मातृभाषा का उपयोग कर रहे हैं और यह देश अंग्रेजी को शिक्षण का माध्यम बनाए बिना समृद्ध हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाषा एक समुदाय और एक राष्ट्र को प्राथमिक पहचान देती है और इस प्रकार से विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं और हिंदी को संरक्षित और संवर्द्धित किया जाना चाहिए। श्री नायडू ने कहा कि हिंदी के उपयोग को प्रोत्साहन देने के लिए कम लोकप्रिय साहित्यिक शब्दों के स्थान पर सरल और आसानी से समझ में आने वाले शब्दों का उपयोग किया जाना चाहिए।
दो शहरी मंत्रालयों की हिंदी सलाहकार समिति के सदस्यों ने हिंदी में तर्कसंगत कुशलता प्राप्त करने के लिए और संसदीय बहस और विचार-विमर्शों में व्यापक रूप से हिंदी का उपयोग करने के लिए श्री नायडू के प्रयासों की सराहना की। श्री नायडू ने कहा कि उन्होंने 1980 के दशक के अंत में राष्ट्रीय राजनीति में आने के बाद हिंदी की महत्ता को महसूस किया और इसको सीखा।
श्री वैंकेया नायडू ने समिति की सदस्यों को विश्वास दिलाया कि दोनों मंत्रालयों के सरकारी कार्य में हिंदी के उपयोग को और अधिक गंभीरता तथा उद्देश्यपूर्ण कार्यों के माध्यम से किया जाएगा।
बैठक में सांसद श्री के.सी. त्यागी, श्री महेशचंद्र गुप्त, डॉ. (श्रीमती) अनिता आर्या, श्री विभूति नारायण सिंह, श्री संजीव दूबे, दिलीप भाई पांडया सहित दोनों मंत्रालयों के सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ विभिन्न संबंधित और स्वायत्त संगठनों के प्रमुख भी उपस्थित थे।