देहरादून: एसिड अटैक पीडि़ता कविता बिष्ट उत्तराखण्ड में महिला सशक्तिकरण की ब्रांड एम्बेसेडर होंगी। न्यू कैंट रोड़ स्थित सीएम आवास में उत्तराखण्ड के महिला सशक्तिकरण व बाल विकास विभाग तथा सिडकुल के सहयोग से ‘‘पावर फाउंडेशन’’ द्वारा संचालित जेंडर समानता पर राष्ट्रीय अभियान ‘‘वी मेन फाॅर जैंडर इक्वेलिटी’’ का शुभारम्भ करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भरोसा दिलाया कि ‘‘वी मेन रियली सपोर्ट वूमेन इन उत्तराखण्ड’’।
उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण के लिए महिला शिक्षा, महिला स्वास्थ्य, महिलाओं के आर्थिक स्वावलम्बन के साथ ही देश व समाज की मुख्य धारा में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने पर विशेष तौर फोकस करना होगा।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि भारतीय समाज व संस्कृति में महिलाओं को सम्मानजनक स्थान दिया है। महिलाओं को मां, देवी व दुर्गा के रूप में देखा गया है। महिलाएं अपने परिवार को मजबूत करने के साथ ही अब समाज व देश को मजबूत करने में योगदान दे रही हैं। जब भी अवसर मिला है महिलाओं ने अपनी योग्यता को सिद्ध किया है। प्रकृति ने महिलाओं को यह अनूठी विशेषता दी है कि महिलाओं को जो भी उत्तरदायित्व सौंपा जाता है उसे वे पूरे परफेक्शन के साथ करती हैं। प्रमुख सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी इसका प्रतीक हैं।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने एसिड अटैक पीडि़ता कविता बिष्ट के साहस की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने जिस तरह के आत्मविश्वास के साथ संघर्ष किया और आज न केवल स्वावलम्बी हैं बल्कि दूसरी महिलाओं को भी प्रेरित कर रही हैं, वह दुर्गा का ही एक रूप है। उन्होंने राज्य में महिला सशक्तिकरण के लिए कविता बिष्ट को ब्रांड एम्बेसेडर बनाने की घोषणा की। मुख्यमंत्री श्री रावत ने उपस्थित स्कूली छात्रों, पुलिस के जवानों व अन्य लोगों को महिलाओं का सम्मान करने व महिलाओं पर होने वाले अन्याय का प्रतिकार करने की शपथ दिलाई।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि निश्चित रूप से इस तरह के अभियानों से समाज प्रेरित होगा। उन्होंने राज्य के तेरह जिलों में तेरह डिग्री कालेजों में ‘‘जेंडर समानता’’ पर परिचर्चाएं आयोजित करने को कहा। सीएम ने कहा कि हमें महिला सशक्तिकरण व जेंडर समानता के लिए चार बातों पर फोकस करना होगा। पहला, महिलाओं को शिक्षित करना होगा। समाज में रोल माॅडल के तौर पर काम कर रही महिलाएं काॅलेजों व अन्य स्थानों पर जाकर अन्य महिलाओं में आत्मविश्वास उत्पन्न करें। दूसरा, पोष्टिक तत्वों की उपलब्धता सुनिश्चित करते हुए महिलाओं के बेहतर स्वास्थ्य के लिए काम करने की आवश्यकता है। हमें प्रसन्नता है कि राज्य सरकार की पहल से कुछ जिलों में मातृत्व मृत्यु दर में कमी आई है। तीसरा, महिलाओं के स्किल डेवलपमेंट के माध्यम से उनके आर्थिक स्वावलम्बन पर भी ध्यान देना होगा। चतुर्थ, शासन व निर्णय प्रक्रिया में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करते हुए विकास की मुख्य धारा में लाना होगा।
पावर फाउन्डेशन की शमिना शफीक ने अभियान के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि इसमें 10 वर्षों की कार्ययोजना तैयार की गई है। एसिड अटेक पीडि़ता कविता बिष्ट ने अपने संघर्ष के बारे में बताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री श्री रावत व राज्य की तीन महिला अधिकारियों श्रीमती राधा रतूड़ी, डा. निधिमणि त्रिपाठी व आरती बलोदी ने काफी मदद की। आज वे पूरी तरह से स्वावलम्बी हैं।