नई दिल्ली: बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री श्री आर के सिंह ने कहा है कि पूर्वोत्तर भारत का विकास केन्द्र सरकार की उच्च प्राथमिकता है और इन राज्यों के आर्थिक विकास के लिए विद्युत क्षेत्र का विकास पहली शर्त है। उन्होंने आज गुवाहाटी में पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्य सचिवों और प्रधान सचिवों की बैठक में यह कहा। बैठक में बिजली मंत्रालय के आला अधिकारियों और डिस्कॉम के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया।
श्री आर के सिंह ने कहा कि विद्युत क्षेत्र में पिछले तीन-चार वर्षों के दौरान तमाम उपलब्धियां हासिल की गई हैं। उन्होंने यह भी कहा कि प्रणाली को कायम रखने के लिए समवेत प्रयासों की जरूरत है। 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता पूरी करने के लिए हमें घाटे को कम करना होगा और डिस्कॉम में सुधार करना होगा। श्री सिंह ने कहा कि केन्द्रीय सरकार की योजनाओं के लिए अनुदान केवल उन्हीं राज्यों को उपलब्ध कराया जाएगा, जो घाटे में कमी लाने जैसे अन्य सुधार करेंगे।
उल्लेखनीय है कि पूर्वोत्तर भारत में अपार पनबिजली क्षमता मौजूद है और पनबिजली परियोजनाओं में राज्य सरकारों की महत्वपूर्ण भूमिका है। श्री सिंह ने क्षेत्र में पनबिजली विकास को पूरा समर्थन देने का आश्वासन दिया और सभी हितधारकों से अपील की कि वे इस क्षमता का दोहन करने के लिए नजदीकी सहयोग करें। पंजाब और हिमाचल प्रदेश में पनबिजली परियोजनाओं के विकास ने राज्य की समृद्धि में बहुत योगदान किया है। इसी तरह पूर्वोत्तर राज्य भी पनबिजली परियोजनाओं के विकास से लाभ उठा सकते हैं।
बैठक के दौरान श्री आर के सिंह ने पूर्वोत्तर राज्यों में विद्युत क्षेत्र के विभिन्न योजनाओं और परियोजनाओं की समीक्षा की, जिसमें एकीकृत विद्युत विकास योजना (आईपीडीएस), दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाई), प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य) और आर-एआरडीआरपी योजनाएं शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि क्षेत्र के लिए आईपीडीएस के तहत 1797.43 करोड़ रुपये की नई परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।
इस अवसर पर सुबानसिरी लोअर पनबिजली परियोजना से विद्युत आपूर्ति के लिए अरुणाचल प्रदेश और एनएचपीसी लिमिटेड के बीच पीपीए पर हस्ताक्षर किए गए।