नई दिल्ली: भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय ने देश भर में कम ऊर्जा खपत वाली चिलर प्रणालियां लगाने को प्रोत्साहित करने के लिए आज यहां एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम का शुभारंभ किया। चिलर स्टार लेबलिंग कार्यक्रम को ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) ने तैयार किया है। इस कार्यक्रम के तहत इनके द्वारा ऊर्जा की खपत करने की दृष्टि से इन्हें स्टार रेटिंग प्रदान करने की परिकल्पना की गई है। आरंभ में यह कार्यक्रम स्वैच्छिक आधार पर शुरू किया गया है और यह 31 दिसंबर, 2020 तक मान्य रहेगा।
इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए विद्युत सचिव श्री ए.के.भल्ला ने 24वें विश्व ओजोन दिवस के अवसर के साथ-साथ 16 सितंबर, 2018 को मनाई जाने वाली मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल की 31वीं वर्षगांठ को भी ध्यान में रखते हुए स्पेस एवं प्रोसेस कूलिंग सेक्टर में ऊर्जा दक्षता को बेहतर करने की जरूरत पर विशेष बल दिया। श्री भल्ला ने यह भी कहा कि इस पहल से केंद्रीय एचवीएसी (तापन, वायु-संचार और वातानुकूलन) से जुड़ी प्रौद्योगिकी को बढ़ावा मिलेगा और इसके साथ ही व्यापक वाणिज्यिक एवं औद्योगिक अनुप्रयोगों के लिए कम ऊर्जा खपत वाले समाधानों का पता लगाने में सुविधा होगी।
चिलर का व्यापक उपयोग भवनों में अंतर्निहित जगह के वातानुकूलन और औद्योगिक प्रक्रिया से जुड़ी कूलिंग में किया जाता है। भारतीय चिलर बाजार का आकार वर्ष 2017 में 1 मिलियन टन वार्षिक था जिसके 3.6 प्रतिशत की सीएजीआर की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया गया है। खुदरा, आतिथ्य और बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए ही यह अनुमान लगाया गया है। चूंकि चिलर को ऊर्जा गहन प्रणाली माना जाता है, इसलिए वाणिज्यिक भवनों में 40 प्रतिशत से भी अधिक ऊर्जा की खपत चिलर ही करते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए चिलर ऊर्जा की खपत कम करना और इसके इस्तेमालकर्ताओं के बीच जागरूकता पैदा करना आवश्यक है, ताकि लोग कम ऊर्जा खपत वाले चिलर का इस्तेमाल करने की ओर अग्रसर हो सकें।
बीईई ने इस पहल के तहत आसान एवं त्वरित मंजूरी के लिए एक ऑनलाइन पंजीकरण प्लेटफॉर्म विकसित किया है। निर्मातागण चिलर उपकरण की उपयुक्त स्टार रेटिंग से लाभ उठाने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण करा सकते हैं। नामित एजेंसियों से प्राप्त परीक्षण प्रमाण-पत्र के साथ-साथ बीईई की ओर से निर्धारित सत्यापन हो जाने के बाद स्टार लेबल (1 से लेकर 5 तक) प्रदान किया जाएगा। ‘5 स्टार’ प्राप्त करने वाले उपकरण को सबसे कम ऊर्जा खपत वाला चिलर माना जाएगा।