लखनऊः जीर्णशीर्ण एवं कच्चे मकानों में निवास कर रहे बेघर एवं गरीब परिवारों को आवास देने के लिए संचालित प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के तहत 31 मार्च, 2018 तक 7.71 लाख आवासों का निर्माण पूरा कर लिया गया जो संशोधित लक्ष्य का 85 प्रतिशत है। इस तरह उ0प्र0 भारतवर्ष में आवासों को पूरा करने में देश के अन्य राज्यों की तुलना में पहले स्थान पर आ गया है।
ग्राम्य विकास विभाग द्वारा उपलब्ध करायी गयी जानकारी के अनुसार इस योजना के अन्तर्गत ऐसे परिवार पात्र है जो आवासहीन है या कच्चे आवासों में रह रहे हैं और भारत सरकार द्वारा निर्धारित पात्रता और मानकों के अन्तर्गत आते हैं। इस योजना में आवास की लागत सामान्य क्षेत्रों के 1.20 लाख रुपये तथा नकसल प्रभावित जनपदों के लिए 1.30 लाख रुपये निर्धारित की गयी है।
बनाये जा रहे आवासों का क्षेत्रफल 25 वर्गमीटर निर्धारित किया गया है जिसमें रसोई का क्षेत्रफल भी शामिल है, प्रत्येक आवास के साथ शौचालय का भी निर्माण कराया जा रहा है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में वर्ष 2016-17 एवं 2017-18 अर्थात दो वर्षों के लक्ष्य को एक ही वर्ष में पूरा करने के लिए चलाये जा रहे अभियान के अन्तर्गत 8.85 लाख आवासों के लक्ष्य के सापेक्ष अब तक 100 फीसदी आवास स्वीकृत किये जा चुके हैं।
उ0प्र0 में अधिकांश आवास 08 से 09 माह की अवधि में पूरे हुए हैं। उ0प्र0 के तथा सम्भवतः भारतवर्ष के इतिहास में इतने कम समय में इतने अधिक संख्या के आवासों का निर्माण पूर्व में किसी भी राज्य में नहीं हुआ। मौजूदा समय में 7.98 लाख आवास पूर्ण हो चुके हैं तथा अब तक 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि का व्यय किया गया है जो सीधे डीबीटी के माध्यम से लाभार्थियों के खाते में पहुंचायी गयी है।
प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के क्रियान्वयन में पूरी पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर लाभार्थी की सूची दिवारों पर पेंट करायी गयी है तथा किसी प्रकार की शिकायत सीडीओ एवं परियोजना निदेशकों तथा खण्ड विकास अधिकारियों के मोबाइल पर अंकित कराने के लिए मोबाइल नम्बर भी दिये गये हैं।