आपको बता दें, कि हिंदू धर्म में वैसे तो कई सारे व्रत और त्योहार होते हैं मगर प्रदोष व्रत बहुत ही खास महत्व रखता हैं हिंदू धर्म पंचांग के मुताबिक त्रयोदशी को सौभाग्यदायक तिथि मानी जाती हैं कई सारे कार्यों के लिए यह शुभ मानी जाने वाली तिथि पर भगवान शिव और देवी मां पार्वती की पूजा के लिए विशेष व्रत रखा जाता हैं जिसे करने से सभी तरह के दोष दूर हो जाते हैं
वही इस व्रत को प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता हैं आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानी की आज यह पावन व्रत रखा जा रहा हैं। वही प्रदोष काल में किए जाने वाले नियम, व्रत और पूजन को प्रदोष व्रत या अनुष्ठान कहा जाता हैं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा से जुड़ा यह पावन व्रत का फल प्रत्येक वार के हिसाब से मनुष्य को अलग अलग मिलता हैं।
जानिए प्रदोष व्रत का महत्व—
बता दें कि पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक प्रदोष व्रत करने वाले साधक पर हमेशा ही शिव की कृपा बनी रहती हैं और उसका दुख दारिद्रय दूर हो जाता हैं कर्ज से भी मुक्ति मिल जाती हैं प्रदोष व्रत में शिव संग शक्ति यानी की देवी मां पार्वती की पूजा की जाती हैं वही जिस साधक के जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर करते हुए उसका कल्याण करती हैं।
जानिए प्रदोष व्रत की पूजन विधि—
प्रदोष व्रत करने के लिए जल्दी सुबह उठकर सबसे पहले स्नान करें और भगवान शिव को जल चढ़ाकर भगवान शिव का मंत्र जाप करें। इसके बाद पूरे दिन निराहार रहते हुए प्रदोषकाल में भगवान शिव को शमी, बेल पत्र,कनेर, धतूरा, चावल, पुष्प, धूप, दीप, फल, पान, सुपारी आदि।