केंद्रीय कोयला, खान और संसदीय कार्य मंत्री श्री प्रहलाद जोशी ने भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) से क्षेत्र सर्वेक्षण पूरा करने और देश में संभावित खनिज संसाधन भंडार पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने में लगने वाले समय को कम करने का आग्रह किया। श्री जोशी ने जीएसआई को नवीनतम तकनीकों का उपयोग करके एक वर्ष के समय में सर्वेक्षण और रिपोर्ट तैयार करने का काम पूरा करने के लिए कहा।
नई दिल्ली में आज केंद्रीय भूवैज्ञानिक प्रोग्रामिंग बोर्ड (सीजीपीबी) की 61वीं बैठक को संबोधित करते हुए श्री जोशी ने कहा कि एक प्रतिष्ठित संस्थान के रूप में 175 वर्षों की विरासत को अस्तित्व में रखने वाले जीएसआई से खान मंत्रालय के हालिया प्रयासों से खनिज संसाधनों के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने में योगदान की उम्मीद है। श्री जोशी ने कहा कि जीएसआई और निजी क्षेत्र के प्रयास इसमें महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। श्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि भारत में खनिजों का विशाल भंडार है। हालांकि, हम विभिन्न प्रकार के खनिजों का बड़ी मात्रा में आयात कर रहे हैं। श्री जोशी ने कहा कि उर्वरकों के मामले में भी यही सच है।
श्री जोशी ने जीएसआई के वैज्ञानिकों से संभावित खनिज भंडार के बारे में रिपोर्ट तैयार करने में वैश्विक रुझानों का विश्लेषण करने का आह्वान किया। खनन अन्वेषण में नवीनतम प्रौद्योगिकी के महत्व पर बल देते हुए श्री जोशी ने खान मंत्रालय से जीएसआई को हर प्रकार की सहायता देने का वादा किया।
श्री प्रहलाद जोशी ने आज ओडिशा, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के संबंधित राज्य के डीजीएम के प्रतिनिधियों को तांबा, बॉक्साइट, पोटाश, चूना पत्थर, लोहा और मैंगनीज जैसी वस्तुओं की सात संसाधन भूवैज्ञानिक रिपोर्ट (जी 2 और जी 3 चरण) सौंपी। सम्मिश्र लाइसेंस (सीएल) के रूप में नीलामी के लिए संभावित जी-4 खनिज ब्लॉक को 11 राज्यों, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना और राजस्थान के संबंधित राज्य प्रतिनिधियों को सौंप दिया गया है। इन संभावित ब्लॉक में बेस मेटल, बॉक्साइट, फॉस्फोराइट, जिप्सम, चूना पत्थर, ग्रेफाइट, सोना, निकल, क्रोमियम, लोहा, मैंगनीज, पीजीई और हीरा जैसी खनिज वस्तुएं शामिल हैं। बैठक के दौरान कुछ प्रकाशन और “जीएसआई द्वारा समुद्री खनिज अन्वेषण” पर एक वीडियो का भी विमोचन किया गया।
इससे पहले, बैठक के समापन सत्र के दौरान खान मंत्रालय के सचिव श्री आलोक टंडन ने अपने सम्बोधन में कहा कि राज्य सरकारों के अनुरोध के आधार पर जीएसआई द्वारा कई नई परियोजनाएं शुरू की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि जहां तक खनिज संसाधनों का संबंध है, भारत किसी भी अन्य समृद्ध राष्ट्र के बराबर है।
खान मंत्रालय, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के वरिष्ठ अधिकारी, अन्य केंद्रीय मंत्रालयों के सदस्य, राज्य खनन और भूविज्ञान निदेशालय, निजी खनन उद्योग के प्रतिनिधि, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, खनन संघों और अन्य हितधारकों ने बैठक में भाग लिया।
जीएसआई ने वर्ष 2022-23 के लिए लगभग 983 वैज्ञानिक कार्यक्रम तैयार किए हैं, जिसमें 14 समुद्री खनिज जांच कार्यक्रमों सहित खनिज अन्वेषण के अंतर्गत 250 कार्यक्रम शामिल हैं। सामरिक-महत्वपूर्ण और उर्वरक खनिजों की खोज पर बल दिया गया है। वर्ष 2022-23 के लिए उर्वरक खनिजों पर 20 परियोजनाओं सहित रणनीतिक और महत्वपूर्ण खनिजों पर कुल 106 परियोजनाएं प्रस्तावित की गई हैं। पब्लिक गुड जियोसाइंसेज के अंतर्गत उच्च सामाजिक-आर्थिक प्रभाव वाले लगभग 100 कार्यक्रम प्रस्तावित किए गए हैं। 2021-22 के दौरान, जीएसआई ने 979 कार्यक्रमों को लागू किया, जिसमें खनिज अन्वेषण के अंतर्गत 251 कार्यक्रम शामिल थे, जिसमें 11 समुद्री खनिज परीक्षण कार्यक्रम और ब्लिक गुड जियोसाइंसेज के अंतर्गत 106 कार्यक्रम शामिल थे।
वर्ष 2022-23 के दौरान, 983 परियोजनाओं में से, जीएसआई राज्य सरकारों के अनुरोध पर 32 कार्यक्रम; राष्ट्रीय संस्थानों, संगठनों और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-आईआईटी के सहयोग से 12 कार्यक्रमों को शुरू करेगा। इसरो और एमओईए के साथ चार प्रायोजित प्रशिक्षण पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे और एनडब्ल्यूडीए, सीडब्ल्यूसी, एनएचपीसी, भारतीय रेलवे, राज्य सिंचाई विभाग, बीआरओ आदि जैसे विभिन्न हितधारकों के साथ 20 प्रायोजित भू-तकनीकी परियोजनाएं होंगी। कार्यक्रमों को अंतिम रूप देने और सरकार द्वारा अपने विभिन्न नीतिगत निर्णयों के माध्यम से तथा सीजीपीबी समितियों और राज्य भूवैज्ञानिक प्रोग्रामिंग बोर्ड (एसजीपीबी) की बैठकों की सिफारिशों के आधार पर निर्धारित महत्व और प्राथमिकताओं को ध्यान में रखा जाएगा।
केंद्रीय भूवैज्ञानिक प्रोग्रामिंग बोर्ड (सीजीपीबी) देश में विभिन्न संगठनों/एजेंसियों द्वारा विशेष रूप से खनिज अन्वेषण के क्षेत्र में किए गए भू-वैज्ञानिक गतिविधियों के समन्वय और प्राथमिकता के लिए राष्ट्रीय स्तर पर शीर्ष निकाय है। यह सर्वश्रेष्ठ तंत्र है जिसमें केंद्रीय और राज्य एजेंसियों द्वारा भू-विज्ञान जांच के विस्तृत कार्यक्रम की गणना की व्यापक अन्वेषण रणनीति को अंतिम रूप देने के लिए उपलब्ध संसाधनों के इष्टतम उपयोग के साथ समन्वित और सहयोगात्मक दृष्टिकोण में चर्चा की जाती है।