नई दिल्ली: केंद्रीय संस्कृति मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने आज नई दिल्ली में अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (आईसीएच) की राष्ट्रीय सूची जारी की। इस अवसर पर अपने सम्बोधन में श्री पटेल ने कहा कि भारत में विलक्षण अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (आईसीएच) परम्पराओं का खजाना विद्यमान है, जिनमें से 13 को यूनेस्को द्वारा मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में मान्यता प्रदान की गई है। राष्ट्रीय आईसीएच सूची अपनी अमूर्त विरासत में अंत:स्थापित भारतीय संस्कृति की विविधता को मान्यता देने का एक प्रयास है। उन्होंने कहा कि इसका लक्ष्य भारत के विविध राज्यों की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत परम्पराओं के बारे में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता फैलाना और उनका संरक्षण सुनिश्चित करना है। यह पहल संस्कृति मंत्रालय के विज़न 2024 का भी एक भाग है।
अमूर्त सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण करने संबंधी यूनेस्को के 2003 अभिसमय का अनुसरण करते हुए इस सूची को मोटे तौर पर पांच क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है, जिनमें अमूर्त सांस्कृतिक विरासत अभिव्यक्त होती है:
■अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के वाहक के तौर पर भाषा सहित मौखिक परंपराएं और अभिव्यक्तियां;
■प्रदर्शन कलाएं;
■सामाजिक प्रथाएं, रीति-रिवाज और उत्सव घटनाक्रम;
■प्रकृति और विश्व से संबंधित ज्ञान तथा प्रथाएं;
■पारंपरिक शिल्पकारिता
इस सूची में वर्तमान परम्पराओं को संस्कृति मंत्रालय द्वारा 2013 में निरूपित ”भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत और विविध सांस्कृंतिक परंपराओं का संरक्षण” योजना के अंतर्गत स्वीकृत परियोजनाओं में से एकत्र किया गया है। अब तक इस सूची में 100 से ज्यादा परम्पराओं को शामिल किया जा चुका है। इस सूची में वे 13 परम्पराएं भी शामिल हैं, जो यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में पहले ही अंकित हो चुकी हैं।
इस राष्ट्रीय सूची के संबंध में कार्य अभी जारी है और इसे संस्करण का मसौदा समझा जा सकता है। संस्कृति मंत्रालय नियमित रूप से इसे अद्यतन करने की दिशा में प्रयासरत है। इसलिए वह विविध अमूर्त सांस्कृतिक विरासत परम्पराओं से जुड़े विशेषज्ञों और हितधारकों से प्राप्त वर्तमान सामग्री के बारे में सुझाव/योगदान/संशोधन आमंत्रित करता है। संस्कृति मंत्रालय से कैसे संपर्क करना है इस बारे में अधिक जानकारी इसकी वेबसाइट https://www.indiaculture.nic.in/national-list-intangible-cultural-heritage-ich पर देखी जा सकती है।
यह भी आशा की जाती है कि विशेषज्ञों और यूनेस्को जैसे अन्य हितधारकों के परामर्श से यह सूची भारत की आईसीएच इनवेंटरी को मजबूत करने में भी मदद कर सकती है, जो यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में किसी भी संभावित अभिलेख के लिए एक ‘अस्थायी सूची’ के रूप में कार्य करती है।
संस्कृति मंत्रालय,संगीत नाटक अकादमी (एसएनए) और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) द्वारा इस सूची को तैयार करने में प्रदान की गई सहायता के लिए उनका आभार प्रकट करता है। वह ”भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत और विविध सांस्कृंतिक परंपराओं का संरक्षण” योजना के शोधकर्ताओं को भी धन्यवाद देना चाहता है, जिनके कार्य ने इस सूची को तैयार करने में अपार योगदान दिया है।