लखनऊ: कुम्भ भारत की महान परम्परा का प्रतिनिधित्व करता है। 15 जनवरी, 2019 से प्रयागराज में प्रारम्भ हो रहे कुम्भ के माध्यम से
सर्वसाधारण को अपने अतीत के साथ एक बार फिर जुड़ने का अवसर प्राप्त होगा। प्रयागराज में कुम्भ के आयोजन को प्रधानमंत्री के प्रयासों से यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर के रूप में सम्मान दिया गया है। मुख्यमंत्री के प्रयासों से जनमानस की भावनाओं के अनुरूप प्रयागराज नाम बदलकर इसकी ऐतिहासिक एवं पौराणिक प्रतिष्ठा को स्थापित किया गया है। राज्य सरकार कुम्भ के भव्य और दिव्य आयोजन तथा कुम्भ में आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को सभी प्रकार की सुविधाएं मुहैया कराने के लिए राज्य सरकार कटिबद्ध है।
यह बातें प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा व प्राविधिक शिक्षा मंत्री श्री आशुतोष टण्डन ने आज देहरादून में प्रयागराज कुम्भ-2019 पर आयोजित प्रेसवार्ता में कही। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा इस आयोजन की प्रकृति के अनुरूप का नया ‘लोगो’ भी लाॅन्च किया गया है। विकास की प्रक्रिया यहां निरन्तर चलती रहे, इसके लिए राज्य सरकार द्वारा प्रयागराज मेला प्राधिकरण का गठन किया गया है। देश के अन्दर चार स्थानों पर यह पवित्र आयोजन सम्पन्न होता है जिसमें प्रयागराज का कुम्भ अपने आप में देश और दुनिया के लिए अलग ही कौतूहल एवं आकर्षण का विषय बनता है। कुम्भ का शुभारम्भ गंगा जी की पूजा से होता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी द्वारा 16 दिसंबर, 2018 को प्रयागराज में गंगाजी के पूजन से कुम्भ का शुभारम्भ किया गया है। प्रधानमंत्री जी और मुख्यमंत्री जी के सम्मिलित प्रयासों से इस कुम्भ में 5 हजार से ज्यादा प्रवासी भारतीय भी आएंगे। सम्पूर्ण विश्व में मानवता के इस विशालतम समागम में भारत के 6 लाख से अधिक गावों के लोगों सहित विश्व से आने वाले श्रद्धालु भी इसमें प्रतिभाग करेंगे। प्रदेश सरकार के प्रयासों एवं भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के सहयोग से साढ़े चार सौ वर्षों में प्रथम बार कुम्भ में आने वाले श्रद्धालुओं को ‘अक्षय वट’ और ‘सरस्वती कूप’ के दर्शन का अवसर सुलभ होगा। कुम्भ का आयोजन त्रिवेणी संगम पर होता है किन्तु इसका सम्बन्ध सम्पूर्ण प्रयागराज क्षेत्र से है। इसके दृष्टिगत राज्य सरकार द्वारा कुम्भ से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से सम्बन्धित सभी स्थलों का सौन्दर्यीकरण कराया गया है।
श्री टण्डन ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा कुम्भ के आयोजन को भारत की सनातन और समावेशी संस्कृति का प्रतिनिधि आयोजन बनाने की परिकल्पना प्रयागराज में साकार की जा रही है। कुम्भ के माध्यम से भारतीय संस्कृति के उन्नत जीवन, आचार और विचार से दुनिया को परिचित कराने का प्रयास इस आयोजन का लक्ष्य है। प्रयागराज में हर छः वर्ष बाद कुम्भ का आयोजन होता है और हर वर्ष माघ मेला लगता है। कुम्भ कार्यों में 671 जनकल्याणकारी परियोजनाओं पर डेढ़ वर्ष में काम पूरा कराया गया है, जिनमें अधिकांश परियोजनायें स्थायी विकास कार्यों से जुड़ी हैं। राज्य सरकार द्वारा स्थायी विकास की विभिन्न परियोजनाओं के साथ कुम्भ मेला 2019 हेतु 2800 करोड़ रुपये प्राविधानित किये गये। इसके अलावा अन्य बजट से कुल मिलाकर 4300 करोड़ रुपये से कुम्भ मेला और प्रयागराज में स्थायी विकास के कार्य कराये जा रहे हैं। कुम्भ 2013 में मात्र 1214 करोड़ रुपये व्यय किये गये थे। इन परियोजनाओं से प्रयागराज में मूलभूत अवसंरचना सुविधाओं जैसे सड़क, सेतुओं का निर्माण, पेयजल, विद्युत सुधार, पर्यटन विकास आदि के कार्य किये गये हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने कुम्भ के सुचारु संचालन के दृष्टिगत प्रयागराज में प्रथम बार 64 से अधिक यातायात चैराहों तथा मेले को जोड़ने वाली 264 सड़कों का वृहद स्तर पर चैड़ीकरण एवं सुदृढ़ीकरण पिछले डेढ़ वर्षों में किया है। 15 जनवरी, 2019 से प्रयागराज में शुरू हो रहा यह कुम्भ अब तक का सबसे अनूठा कुम्भ होगा। पूरी दुनिया इसमें हिस्सेदारी कर रही है। लगभग 71 देशों के राजदूत इसकी तैयारी देख चुके हैं। अपने-अपने देशों के राष्ट्रध्वज उन्होंने त्रिवेणी तट पर कुम्भ मेले में लगाये हैं। जनवरी में प्रवासी भारतीय दिवस का सम्मेलन वाराणसी में है। फरवरी में 192 देशों के प्रतिनिधि इस कुम्भ में आयेंगे। राज्य सरकार के प्रयासों से विशाल मेला क्षेत्र में एक नये नगर की स्थापना की जा रही है, जिसमें 250 किलोमीटर सड़कें तथा 22 पाण्टून पुल होंगे। यह विश्व का सबसे बड़ा अस्थायी नगर होगा।
चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्रथम बार मेला क्षेत्र में 40,000 से अधिक एल0ई0डी0 लाइट लगाकर मेला क्षेत्र को दूधिया रोशनी से जगमग किया जा रहा है। राज्य सरकार देश के हर हिस्से से लोगों की भागीदारी इस सांस्कृतिक आयोजन में सुनिश्चित करने के लिए हर प्रदेश से लोगों को यहां लाने का प्रयास कर रही है। केन्द्र सरकार ने प्रयागराज में नया हवाई सिविल टर्मिनल निर्मिंत कर प्रमुख हवाई उड़ानों की संख्या में ऐतिहासिक वृद्धि सुनिश्चित की है। प्रयागराज को देश के कई प्रमुख महानगरों यथा बैंगलुरू, इन्दौर, नागपुर, पटना आदि नगरों से हवाई मार्ग से जोड़ने में सफलता प्राप्त की गयी है। राज्य सरकार द्वारा कुम्भ में आने वाले हर वर्ग के यात्रियों और पर्यटकों की सुविधा के अनुरूप आधुनिक एवं सुलभ व्यवस्थायें-जिसमें आवास, भोजन, टूर, तीर्थस्नान आदि की सुविधायें विकसित की गयी हैं। पर्यटकों को उच्च स्तरीय सुविधा देने के लिए प्रीमियम टेण्ट सिटी भी कुम्भ मेले मंे बसाया जा रहा है। पहली बार इस पूरे कुम्भ को इण्टीग्रेटेड कण्ट्रोल एवं कमाण्ड सेण्टर सी0सी0टी0वी0 कैमरों की निगरानी में रखा गया है। प्रयागराज में लगभग 247 करोड़ रुपये की योजना के दो कण्ट्रोल एवं कमाण्ड सेण्टर होंगे, जिसमें लगभग 116 करोड़ रुपये की लागत से तैयार एक कण्ट्रोल एवं कमाण्ड सेन्टर तैयार कर कार्यरत कर लिया गया है। जो केवल 5 महीनों में तैयार हो गया है। उन्होंने कहा कि प्रयागराज में गंगा का तट, त्रिवेणी का तट साफ रहे, गंगा जी का जल निर्मल रहे, इसके लिये हर स्थान पर अभियान चल रहा है। स्वच्छ भारत मिशन और नमामि गंगे के अभियान प्रयागराज में सफलता से चल रहे हैं। प्रयागराज में अबतक गंगा में गिरने वाले 32 नाले टेप कराये जा चुके हैं। गंगा में प्रदूषण नियंत्रण करने के उद्देश्य से ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रयागराज में चार योजनायें चल रही हैं, जिनमें दो योजनायें पूर्ण की जा चुकी हैं तथा शेष दो में भी 90 प्रतिशत तक का कार्य पूरा हो चुका है। जल-थल-नभ तीनों मार्गों से प्रयागराज को जोड़ने की परिकल्पना साकार हो रही है। प्रयागराज नगर को भारतीय संस्कृति और कला के बड़े सुन्दर चित्रों से सजाया गया है। प्रयागराज की दीवारों पर भारतीय संस्कृति की चित्रकारी खुलकर बोल रही है। मेले में प्रथम बार 10,000 व्यक्तियों की क्षमता युक्त गंगा पण्डाल, 2000 क्षमता का एक प्रवचन पण्डाल, 1000 क्षमता के 4 सांस्कृतिक पण्डाल स्थापित किये जा रहे हैं, जिनमें सांस्कृतिक कार्यक्रम लगातार होते रहेंगे।