देहरादून: उत्तर प्रदेश प्रयागराज में 15 जनवरी से शुरू होने जा रहे कुंभ का न्यौता देने के लिए शुक्रवार को माननीय तकनीकी और चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री आशुतोष टंडन उत्तर प्रदेश सरकार देहरादून पहुंचे। यहां उन्होंने विधिवत रूप से माननीय राज्यपाल बेबी रानी मौर्य व माननीय मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत उत्तराखण्ड सरकार मुलाकात कर प्रयागराज कुंभ-2019 के लिए निमंत्रण दिया। इसके बाद होटल मधुबन में पत्रकार वार्ता के दौरान उन्होंने बताया कि यूनेस्को ने कुंभ की महत्ता को देखते हुए इस ‘मानवता’ की सूची में सम्मिलित किया है।
माननीय तकनीकी और चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री आशुतोष टंडन उत्तर प्रदेश सरकार ने पत्रकारों को बताया कि इस कुंभ में पांच हजार से ज्यादा प्रवासी भारतीय भी आएंगे। विश्वभर में मानवता के इस विशालतम समागम में देशभर से छः लाख से भी अधिक गावों के लोगों सहित विश्व से आने वाले श्रद्धालु भी इसमें प्रतिभागी बनेंगे।
सरकार के प्रयासों एवं भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के सहयोग से साढ़े चार सौ वर्षों में प्रथम बार कुम्भ में आने वाले श्रद्धालुओं को ‘अक्षय वट’ और ‘सरस्वती कूप’ के दर्शन का अवसर सुलभ होगा। कुम्भ का आयोजन त्रिवेणी संगम पर होता है किन्तु इसका सम्बन्ध सम्पूर्ण प्रयागराज क्षेत्र से है। इसके दृष्टिगत राज्य सरकार द्वारा कुम्भ से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से सम्बन्धित सभी स्थलों का सौन्दर्यीकरण कराया गया है। कुम्भ में श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों की सुविधा के लिए जल, थल और नभ से आने की पहली बार व्यवस्था की गयी है।
प्रयागराज में हर छः वर्ष बाद कुम्भ का आयोजन होता है और हर वर्ष माघ मेला लगता है। विकास की प्रक्रिया यहां निरन्तर चलती रहे, इसके लिए राज्य सरकार द्वारा प्रयागराज मेला प्राधिकरण का गठन किया गया है। कुम्भ कार्यों में 671 जनकल्याणकारी परियोजनाओं पर डेढ़ वर्ष में काम पूरा कराया गया है, जिनमें अधिकांश परियोजनायें स्थायी विकास कार्यों से जुड़ी हैं।
राज्य सरकार ने कुम्भ के सुचारु संचालन के दृष्टिगत प्रयागराज में प्रथम बार 64 से अधिक यातायात चौराहों तथा मेले को जोड़ने वाली 264 सड़कों का वृहद स्तर पर चौड़ीकरण एवं सुदृढ़ीकरण पिछले डेढ़ वर्षों में किया है।
15 जनवरी, 2019 से प्रयागराज में शुरू हो रहा यह कुम्भ अब तक का सबसे अनूठा कुम्भ होगा। पूरी दुनिया इसमें हिस्सेदारी कर रही है। लगभग 71 देशों के राजदूत इसकी तैयारी देख चुके हैं। अपने-अपने देशों के राष्ट्रध्वज उन्होंने त्रिवेणी तट पर कुम्भ मेले में लगाये हैं। जनवरी में प्रवासी भारतीय दिवस का सम्मेलन वाराणसी में है। फरवरी में 192 देशों के प्रतिनिधि इस कुम्भ में आयेंगे।
राज्य सरकार के प्रयासों से विशाल मेला क्षेत्र में एक नये नगर की स्थापना की जा रही है, जिसमें 250 किलोमीटर सड़कें तथा 22 पाण्टून पुल होंगे।
प्रथम बार मेला क्षेत्र में 40 हजार से अधिक एल0ई0डी0 लाइट लगाकर मेला क्षेत्र को दूधिया रोशनी से जगमग किया जा रहा है। मेला क्षेत्र में 10 घाटों के विकास एवं रिवर फ्रण्ट संरक्षण का कार्य प्रथम बार किया गया है।
जल-थल-नभ तीनों मार्गों से प्रयागराज को जोड़ने की परिकल्पना साकार हो रही है। मेले में प्रथम बार भारतीय अन्तर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण द्वारा 05 जेटी बनाई गयी हैं। इस काम पर जिनसे पहली बार प्रयागराज में बड़े क्रूज और मोटर बोटों का संगठित संचालन हो रहा है।
मेले में प्रथम बार दस हजार व्यक्तियों की क्षमता युक्त गंगा पण्डाल, दो हजार क्षमता का एक प्रवचन पण्डाल, एक हजार क्षमता के चार सांस्कृतिक पण्डाल स्थापित किये जा रहे हैं, जिनमें सांस्कृतिक कार्यक्रम लगातार होते रहेंगे। बीस हजार आम श्रद्धालुओं के लिए प्रथम बार यात्री निवास आदि की व्यवस्था भी की जा रही है।