नई दिल्ली: भारत सरकार मानव विकास के लिए पोषण के रूप में विशेष तौर पर सर्वाधिक कमजोर समुदायों में प्रत्येक महिला की इष्टतम पोषण स्थिति को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह गर्भावस्था और स्तनपान दोनों की अवधि के दौरान अधिक महत्वपूर्ण है। एक महिला के पोषण की स्थिति और उसके स्वास्थ्य प्रभावों के साथ-साथ उसके शिशु के स्वास्थ्य और विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है।
एक कुपोषित महिला अधिकांश तौर पर एक कम वजन वाले बच्चे को जन्म देती है। जब इस कुपोषण का प्रारंभ गर्भाशय से होता है तो विशेष रूप से इसका प्रभाव महिला के सम्पूर्ण जीवन चक्र पर पड़ता है। आर्थिक और सामाजिक दवाब के कारण बहुत सी महिलाओं को अपनी गर्भावस्था के अंतिम दिनों तक परिवार के लिए आजीविका कमानी पड़ती है।
उपर्युक्त मुद्दों के समाधान के लिए महिला और बाल विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम की धारा 4 (बी) के प्रावधानों के अनुसार गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लाभ हेतु सशर्त नकद हस्तांतरण योजना मातृत्व लाभ कार्यक्रम का गठन किया गया था। इस योजना के अंतर्गत गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को नकद प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है। इस योजना में प्रसव से पूर्व और पश्चात आराम, गर्भधारण और स्तनपान की अवधि में स्वास्थ्य और पोषण स्थिति में सुधार एवं जन्म के छह महीनों के दौरान बच्चे को स्तनपान कराना बच्चे के विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इस योजना के अंतर्गत, केंद्र सरकार अथवा राज्य सरकार अथवा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में नियमित रूप से रोजगार करने वाली अथवा इसी प्रकार की किसी योजना की पात्र महिलाओं को छोड़कर सभी गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को पहले दो जीवित शिशुओं के जन्म के लिए तीन किस्तों में 6000 रुपये का नकद प्रोत्साहन देय है।
नकद हस्तांतरण को डीबीटी मोड में व्यक्तिगत बैंक/डाकघर खाते से जुड़े आधार के माध्यम से किया जायेगा।
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 31 दिसम्बर, 2016 को राष्ट्र को दिये गये अपने संबोधन में सभी जिलों में मातृत्व लाभ कार्यक्रम के अखिल भारतीय विस्तार की घोषणा की थी और यह 1 जनवरी 2017 से लागू है। इससे करीब 51.70 लाख लाभार्थियों को प्रतिवर्ष लाभ मिलने की उम्मीद है।
इस योजना के कार्यान्वयन और निगरानी के लिए विस्तृत दिशा निर्देश शीघ्र ही जारी किये जायेंगे।