नई दिल्ली: राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद ने चेन्नई में मद्रास विश्वविद्यालय के 160वें दीक्षांत समारोह एवं गुरु नानक महाविद्यालय के 42वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुए एवं उन्हें संबोधित किया।
इस अवसर पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि 19वीं सदी के मध्य से ही मद्रास विश्वविद्यालय हमारी राष्ट्र निर्माण परियोजना का केंद्र बिंदु रहा है। यह भारत में शिक्षा, बौद्धिक उन्नति एवं ज्ञान उत्पादन की मजबूत बुनियाद के लिए उत्तरादायी संस्थानों में से एक रहा है। उन्होंने नोट किया कि इस क्षेत्र में यह ‘विश्वविद्यालयों की जननी‘ के नाम से लोकप्रिय है।
महामहिम राष्ट्रपति ने कहा कि ‘निरंतरता के साथ बदलाव‘ की अभिव्यक्ति का अक्सर उपयोग और कई बार इसका अति उपयोग भी किया जाता है। लेकिन कई संस्थानों के लिए यह बहुत सार्थक है और मद्रास विश्वविद्यालय भी एक ऐसा ही संस्थान है। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय की कई विशेषताओं में से एक है कि इसने बदलाव को समाविष्ट किया लेकिन मूलभूत मूल्यों को भी यथावत बनाये रखा।
महामहिम राष्ट्रपति ने कहा कि मद्रास विश्वविद्यालय को तमिलनाडु की विद्वता की परंपरा से, जो तमिलनाडु की पहचान है, से लाभ भी पहुंचा है और इसने उसमें योगदान भी दिया है। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में रहने वाला एक साधारण परिवार भी शिक्षा के मूल्य पर समुचित जोर देता है।
महामहिम राष्ट्रपति ने कहा कि तमिलनाडु की अनुसंधान एवं नवान्मेषण की गौरवपूर्ण संस्कृति है। यह चाहे विशुद्ध विज्ञानों में हो या फिर चिकित्सा में या फिर अभियांत्रिकी और विनिर्माण में। यहां काफी उन्नत आईटी क्षेत्र है और बढ़ती हुई डिजिटल अर्थव्यवस्था में वे काफी सहयोग देते हैं।
महामहिम राष्ट्रपति ने कहा कि तमिलनाडु के लोग एवं मद्रास विश्वविद्यालय जैसे संस्थान हमारे देश के लिए मॉडल यानी आदर्श है। हम ऐसे संस्थानों की तरफ ही 21वीं सदी के आरंभ में दिशा एवं नेतृत्व के लिए देखते हैं। उन्होंने कहा कि मद्रास विश्वविद्यालय जैसे संस्थान इस यात्रा में हमारे मांझी हैं।
इसके बाद, महामहिम राष्ट्रपति ने गुरु नानक महाविद्यालय के 42वें दीक्षांत समारोह में भी भाग लिया एवं चेन्नई के वेलाचेरी में गुरु अमर दास ब्लॉक एवं शहीद बाद दीप सिंह सभागार का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए महामहिम राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें यह जान कर बेहद प्रसन्नता हुई है कि गुरु नानक एजुकेशनल सोसाइटी, जो महाविद्यालय को संचालित करने वाला एक गैर सरकारी संगठन है, चेन्नई में रहने वाले 250 सिख परिवारों द्वारा समर्थित है।
इससे पूर्व सुबह में, महामहिम राष्ट्रपति ने भारत के पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह को उनकी जयंती पर चेन्नई में राज भवन में उनकी प्रतिमा के समक्ष श्रद्धांजलि अर्पित की।