नई दिल्ली: विपक्ष के तमाम प्रतिरोधों के बावजूद सरकार लैंड बिल पर दोबारा अध्यादेश ले आई। शुक्रवार को राष्ट्रपति ने फिर से भूमि अधिग्रहण से जुड़े अध्यादेश पर साइन किए। उधर, विपक्षी दलों ने बिल पर अपने विरोध को और तेज करने के संकेत दिए हैं। लैंड बिल से जुड़े पिछले अध्यादेश के खत्म होने से एक दिन पहले सरकार ने राष्ट्रपति से इस पर मंजूरी ले ली।
उल्लेखनीय है कि इस पर पहला अध्यादेश 31 दिसंबर को आया था, जिसकी अवधि 4 अप्रैल को खत्म हो रही है। इसी के मद्देनजर सरकार ने 31 मार्च को दोबारा अध्यादेश का प्रस्ताव राष्ट्रपति को भेजा। उल्लेखनीय है कि सरकार की कोशिश अब 20 अप्रैल से शुरू हो रहे बजट सत्र के अगले हिस्से में इसे राज्यसभा से पास कराना रहेगा, जबकि नंबरों के आधार पर सदन में प्रभावी विपक्ष इसे रेाकने की पूरी कोशिश करेगा।
उल्लेखनीय है कि एनडीए सरकार के लैंड बिल का विरोध कर रहे तमाम राजनैतिक दलों ने पिछले दिनों राष्ट्रपति को ज्ञापन देकर किसान विरोधी अध्यादेश को मंजूरी न देने की अपील की थी। सरकार की मंशा को भांपते हुए विपक्षी दलों ने इस बिल को लेकर देशभर में प्रदर्शन, धरना व विरोध की रणनीति पर अमल करना शुरू कर दिया।
विपक्षी दल यूपीए एनडीए के किए गए संशोधनों को किसान विरोधी करार देते हुए बिल का विरोध कर रहे हैं। वह सरकार से इन संशोधनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। आने वाले दिनों में तमाम विपक्षी दल अध्यादेश की विरोध में देश भर में सड़कों पर उतरने की तैयारी कर रहे हैं।
कांग्रेस ने कहा, लोकतंत्र की उपेक्षा पार्टी के सूचना प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने पत्रकारों से कहा कि भूमि अधिग्रहण विधेयक की फिर से घोषणा बताती है कि सरकार संसदीय लोकतंत्र की उपेक्षा कर रही है और प्रधानमंत्री मोदी हठ कर रहे हैं और वह पूंजीपतियों के पक्ष में हैं।