नई दिल्ली: राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने नई दिल्ली में राष्ट्रीय भू-विज्ञान पुरस्कार प्रदान किए।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि भारत विश्व में तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। आगामी दशकों में हमारा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और वृहद विकास की प्रक्रियाएं बढ़ेंगी। अर्थव्यवस्था में इस बढोतरी के परिणामस्वरूप खनन और खनिज क्षेत्र का विकास होगा। जैसे-जैसे हम अधिक शहरों और आवासों तथा व्यवसायिक केंद्रों का निर्माण एवं आधुनिक बुनियादी ढांचा तैयार करेंगे वैसे-वैसे महत्वपूर्ण संसाधनों का उपयोग बढ़ेगा। जैसा कि सब जानते हैं वैश्विक मानकों पर भारत में प्रति व्यक्ति संसाधनों और वस्तुओं की खपत अभी भी काफी कम है और इसके बढ़ने की संभावना है। इसके लिये स्थायी, पारिस्थिकीय अनुकूल संसाधन पैदा करने के लिए उच्च गुणवत्ता की अनुसंधान पहल और खनन क्षेत्र में प्रौद्योगिकीय नवाचार में सार्थक निवेश की आवश्यकता होगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि इसलिये सरकार ने पिछले चार वर्षों में खनन क्षेत्र में सुधारों को बढ़ावा दिया है। मौजूदा कानूनों में संशोधन और रायल्टी के लिए अधिक न्यायसंगत प्रणाली विकसित करने सहित इन सुधारों के परिणाम नजर आने लगे हैं। कई खनिज ब्लाकों को खोजा जा रहा है। खान मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदमों से नीलामी के लिए राज्यों में संभावित खनिज ब्लाकों को चिन्हित किया गया है। इन उपायों से हमारे राज्यों की वित्तीय स्थिति सुदृढ़ होगी और वे खनन संसाधनो के लाभ का व्यापक विस्तार कर पायेंगे। अंततः खनिज संसाधनों की खोज और उनके दोहन तथा विकास का लाभ स्थानीय समुदायों को मिलना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि हाल के वर्षों में भू-वैज्ञानिक समुदाय से हमारी सामाजिक अपेक्षाएं बढ़ी हैं। भू-गर्भीय गति विज्ञान की गहरी समझ होने के कारण कृषि उत्पादकता और कृषको की आय बढ़ाने, स्मार्ट सिटी पहल में आधार प्रदान करने तथा जल की कमी की चुनौती से निपटने में हमारे नागरिको की मदद करने में भू-वैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भू-वैज्ञानिक अपने ज्ञान और तकनीकी कौशल से हमारे देश और लोगों की सेवा करते रहेंगे।