नई दिल्ली: राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द ने पंडित दीन दयाल उपाध्याय राष्ट्रीय दिव्यांग व्यक्ति संस्थान (पीडीडीयूएनआईपीपीडी), दिल्ली में आज ‘दिव्य कला शक्तिः दिव्यांगता में योग्यता का दर्शन’ कार्यक्रम में भाग लेने वाले दिव्यांग बच्चों के साथ बातचीत की। संसद के जीएमसी बालयोगी ऑडिटोरियम में आयोजित इस सांस्कृतिक कार्यक्रम को राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्रिमंडल के सदस्यों और संसद सदस्यों ने देखा। इस कार्यक्रम का आयोजन सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्रालय के अंतर्गत दिव्यांग सशक्तिकरण विभाग द्वारा किया गया था।
राष्ट्रपति द्वारा बच्चों के साथ बातचीत के दौरान केन्द्रीय सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्री श्री थावरचंद गहलोत, राज्य मंत्री श्री रामदास अठावले, सचिव श्रीमती शकुंतला डी. गामलिन उपस्थित थी।
विभिन्न राज्यों और संगठनों के सयोजकों ने राष्ट्रपति को अपने दिव्यांग बच्चों के विशिष्ट गुणों के बारे में जानकारी दी। दिव्यांग युवाओं ने राष्ट्रपति के साथ अपने अनुभव साझा किए। राष्ट्रपति ने उनके रचनात्मक कला-कार्यों की सराहना की तथा उन्हें भविष्य में सफलता की शुभकामनाएं दी। राष्ट्रपति दिव्यांग युवाओं द्वारा बनाई गई पेंटिंग को देखने के लिए पेंटिंग गैलरी भी गए बाद में राष्ट्रपति ने दिव्यांग युवाओं के साथ जलपान किया।
विभिन्न राज्यों, सांस्कृतिक संगठनों, संस्थाओं के 175 कलाकारों ने कार्यक्रम प्रस्तुत किए। इससे कार्यक्रम की रूपरेखा में राष्ट्रीयता की भावना का समावेश हुआ।
दिव्यांग सशक्तिकरण विभाग की स्थापना दिव्यांगजनों के नीतिगत मामलों पर ध्यान देने तथा उन्हें लागू करने के उद्देश्य से की गई है। संसद द्वारा पारित तीन अधिनियमों के दायरे में विभाग पुनर्वास सेवा, प्रशिक्षण, शिक्षा आदि कार्यक्रमों का संचालन कर रहा है। पूरे देश में स्थित 8 राष्ट्रीय संस्थानों के माध्यमों से दिव्यांगता के विभिन्न प्रकारों पर शोध किया जा रहा है। संस्थानों, राज्य सरकारों और एनजीओ को सहायता प्रदान करने के लिए विभिन्न केन्द्रीय योजनाएं चलाई जा रही है। लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाना एक निरंतर प्रक्रिया है। दिव्यांगजनों के अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने वाले संस्थानों और संगठनों को केन्द्र सरकार वित्तीय सहायता प्रदान करती है। इसके अलावा दिव्यांगजनों के कल्याण के लिए कार्यरत व्यक्तियों और संस्थानों को केन्द्र सरकार राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्रदान करती है। इस पुरस्कार की स्थापना 19 अप्रैल, 2017 को की गई थी।