राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के सदस्यों के साथ बातचीत की। इस अवसर पर उन्होंने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी देखीं जिनमें बिहार के मल पहाड़िया, गुजरात के सिद्दी, केरल के इरुला, राजस्थान के सहरिया, मध्य प्रदेश के बैगा परधौनी और ओडिशा के बुदिगली शामिल थीं।
सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें पीवीटीजी के सभी 75 सदस्यों से मिलकर खुशी हुई। उन्होंने राष्ट्रपति भवन में उनका स्वागत किया। उन्होंने कहा कि उनमें से कई पहली बार अपने गांवों से बाहर आए हैं। उन्होंने कहा कि उनमें से प्रत्येक अपने समुदाय का प्रतिनिधि हैं। उन्होंने उनसे आग्रह किया कि वे अपने समुदाय के सदस्यों के साथ अपना अनुभव साझा करें और उन्हें सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के बारे में बताएं।
राष्ट्रपति ने पीवीटीजी के सदस्यों से शिक्षा को सबसे अधिक महत्व देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि पीवीटीजी समुदाय के विद्यार्थियों के लिए एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों में सीटों का विशेष प्रावधान किया गया है। इसके अलावा नेशनल फेलोशिप और ओवरसीज स्कॉलरशिप स्कीम में भी उनके लिए सीटें आरक्षित हैं। उन्होंने पीवीटीजी की महिलाओं से जनजातीय महिला सशक्तिकरण योजना सहित विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाने का भी आग्रह किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि जनजातीय उप-योजना के तहत भारत सरकार के 41 मंत्रालय और विभाग पीवीटीजी सहित जनजातीय समुदायों के कल्याण के लिए अपने बजट का हिस्सा अलग रखते हैं। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि पीवीटीजी के विकास के लिए सरकार द्वारा ‘प्रधानमंत्री पीवीटीजी विकास मिशन’ शुरू किया गया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि मौजूदा बजट में वर्ष 2047 तक सिकल सेल एनीमिया के उन्मूलन के लिए घोषित अभियान एक काफी महत्वपूर्ण कदम है।
राष्ट्रपति ने कहा कि विगत कुछ वर्षों से आदिवासी समुदाय के प्रतिभाशाली लोगों को विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान के लिए पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया जा रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि पीवीटीजी समाज के लगभग 28 लाख लोगों सहित आदिवासी समाज के 10 करोड़ से अधिक लोग अपनी प्रतिभा का विकास करते हुए समाज एवं देश के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि आदिवासी समाज के लोगों ने मातृभूमि और उसकी प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक संपदा की रक्षा के लिए काफी बलिदान दिया है। उन्होंने कहा कि सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हम सभी आदिवासी समाज से सीख सकते हैं। यह सभी नागरिकों, विशेष रूप से पीवीटीजी सहित जनजातीय लोगों का कर्तव्य और आकांक्षा है कि वे अपनी पहचान बनाए रखते हुए और अपने अस्तित्व की रक्षा करते हुए उनका विकास सुनिश्चित करें। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि पीवीटीजी के सदस्य हमारे देश के समावेशी विकास के सफर में आगे बढ़ते रहेंगे।
इससे पहले दिन में, पीवीटीजी के सदस्यों ने राष्ट्रपति भवन और अमृत उद्यान का भ्रमण किया। उसके बाद राष्ट्रपति ने अमृत उद्यान में उनसे मुलाकात और बातचीत की।